हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री Bhupinder Singh Hooda के लिए मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। पंचकूला स्थित पीएमएलए विशेष अदालत द्वारा सुनवाई पर रोक लगाए जाने के करीब 6 महीने बाद, प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में इस आदेश को चुनौती दी है।
भूपेंद्र हुड्डा पर आरोप है कि उन्होंने हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (हुडा) के अध्यक्ष रहते हुए अयोग्य आवेदकों को प्लॉट बांटे। इसके लिए उन्होंने नियमों में बदलाव भी किए थे।
ED ने क्या कहा?
ED की ओर से याचिका में कहा गया है कि मामला इंडस्ट्रियल प्लॉट के आवंटन से संबंधित है। हुड्डा ने आवंटन मानदंडों को अंतिम रूप देने के लिए फाइल को अपने पास रखा और आवेदन आमंत्रित करने की तारीख 6 जनवरी 2016 के बाद मानदंडों में बदलाव किया। ED का आरोप है कि हुड्डा ने अपने पद का दुरुपयोग किया और अयोग्य आवेदकों को प्लॉट आवंटित किए।
ED की दलील
ED ने अपनी याचिका में कहा कि विशेष अदालत ने वैधानिक प्रावधानों को नजरअंदाज करते हुए पीएमएलए के तहत मुकदमा रोकने का आदेश दिया। ED का कहना है कि मनी लॉन्ड्रिंग का अपराध स्वतंत्र और अलग है, इसलिए किसी अन्य आदेश पर निर्भर न होते हुए यह अलग से चलाया जाना चाहिए।
इस मामले में अब पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस महाबीर सिंह सिंधु 9 दिसंबर को अगली सुनवाई करेंगे। ED की वकील डॉ. नेहा अवस्थी ने मामले में बहस की और कोर्ट ने याचिका पर नोटिस जारी किया।