भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में जस्टिस Sanjiv Khanna 11 नवंबर 2024 को शपथ लेंगे। वह CJI डीवाई चंद्रचूड़ के रिटायरमेंट के बाद इस पद की जिम्मेदारी संभालेंगे। जस्टिस खन्ना का कार्यकाल केवल छह महीने का होगा, क्योंकि वह 13 मई 2025 को रिटायर हो जाएंगे।
CJI पद की शपथ लेने से पहले जस्टिस संजीव खन्ना ने अपनी सुबह की वॉक बंद कर दी है। वह दिल्ली के लोधी गार्डन में हर सुबह अकेले कई किलोमीटर टहलते थे, लेकिन अब उन्हें सुरक्षाकर्मियों के साथ चलने की सलाह दी गई है, जिसका उन्होंने विरोध किया। जस्टिस खन्ना का कहना है कि वह इसकी आदत नहीं डाल सकते।
CJI चंद्रचूड़ ने खन्ना के नाम की सिफारिश की
CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने जस्टिस संजीव खन्ना के नाम की सिफारिश की है। यह परंपरा है कि मौजूदा CJI अपने उत्तराधिकारी के नाम की सिफारिश करते हैं, जब कानून मंत्रालय से ऐसा करने का आग्रह किया जाता है। जस्टिस खन्ना का नाम वरिष्ठता सूची में अगला था, इसलिए उनका नाम प्रस्तावित किया गया।
विवादों में रहे जस्टिस खन्ना का करियर
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस खन्ना का करियर विवादों से भी जुड़ा रहा है। 2019 में उनकी सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति पर विवाद हुआ था, जब उनके नाम को वरिष्ठता में 32 जजों को नजरअंदाज करते हुए प्रस्तावित किया गया था। इसके बाद उन्हें सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत किया गया था।
जस्टिस खन्ना का परिवार न्यायिक पृष्ठभूमि से जुड़ा
जस्टिस संजीव खन्ना का परिवार भी न्यायिक पृष्ठभूमि से जुड़ा है। उनके चाचा, जस्टिस एचआर खन्ना, और उनके पिता, जस्टिस देवराज खन्ना, दोनों ही सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट में जज रहे। यह दुर्लभ संयोग था कि जस्टिस खन्ना ने सुप्रीम कोर्ट में जज के तौर पर अपना पहला दिन उसी कोर्ट रूम से शुरू किया, जहां उनके चाचा रिटायर हुए थे।
समलैंगिक विवाह केस में अलग होने का निर्णय
जस्टिस खन्ना ने अगस्त 2024 में समलैंगिक विवाह पर सुनवाई से खुद को अलग किया। इसके पीछे उन्होंने निजी कारणों का हवाला दिया था। इससे पहले, 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया था। इसके बाद 52 रिव्यू पिटीशन दायर की गई थीं, जिन पर अब नई बेंच द्वारा सुनवाई की जाएगी।