बिजनेस टाइकून RATAN TATA ने दुनिया को अलविदा कह दिया है। रतन टाटा की गिनती बड़े दानवीर अरबपतियों में होती है। रतन टाटा ने अपने कारोबार के अलावा कई स्टार्टअप्स में भी निवेश कर उनको एक नई दिशा दी है। रतन टाटा को किसी पहचान की आवश्यकता नहीं है। सफल बिजनेसमैन होने के साथ ही वह अपने परोपकारी कार्यों के लिए भी जाने जाते थे।
रतन टाटा का जन्म 1937 में मुंबई में नवल टाटा और सूनी टाटा के घर में हुआ था और 9 अक्टूबर 2024 को उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली। जब रतन टाटा केवल 10 साल के थे, उनके माता-पिता अलग हो गए थे, जिसके बाद उनकी परवरिश उनकी दादी नवाजबाई टाटा ने की थी।
टाटा ग्रुप को कई बुलंदियों तक पहुंचाने के पीछे रतन टाटा का बड़ा योगदान है। आज देश-विदेश में टाटा ग्रुप ने काफी नाम कमाया है। रतन टाटा ने भले ही टाटा ग्रुप को दुनिया में एक नाम दिया पर आज भी वह जमीन से जुड़े हैं। आज भले ही दुनिया में रतना टाटा को एक सफल बिजनेसमैन के तौर पर जाना जाता है पर कई लोग नहीं जानते हैं कि उन्होंने अपनी करियर की शुरुआत कर्मचारी के तौर पर की थी। रतन टाटा के जीवन से जुड़े कुछ रोचक किस्से है जो एक तरह से बिजनेस लेसन भी है जो बड़े काम के साबित हो सकते है।
बिल फोर्ड को रतन का सबक
यह बात 1998 की है जब टाटा मोटर्स ने देश की पहली स्वेदेशी कार टाटा इंडिका लॉन्च की। यह रतन टाटा का ड्रीम प्रोजेक्ट था, लेकिन सफलता नहीं मिली। कंपनी बड़े घाटे में चली गई। टाटा मोटर्स ने एक साल के भीतर ही अपने कार कारोबार को बेचने का फैसला लिया। 1999 में टाटा ने अमेरिका की बड़ी कार कंपनी फोर्ड के सात डील करने का फैसला लिया। फोर्ड के चेयरमैन बिल फोर्ड के साथ मीटिंग तय हुई। बिल ने टाटा को कहा कि आपने पैंसेजर कार डिवीजन शुरु ही क्योंं की, जब आपको इस बारे में कोई ज्ञान और अनुभव नहीं था। फोर्ड का कहना था कि यह डील करके वह टाटा पर एहसान ही करेंगे। यह टाटा के लिए बड़ा अपमान था। रतन टाटा ने फैसला लिया कि वे कार प्रोडक्शन यूनिट नहीं बेचेंगे।
साल 2008 में वैश्विक मंदी के उस दौर में अमेरिकी कंपनी फोर्ड दिवालिया होने के कगार पर पहुंच गई। 9 साल बाद चींजे काफू बदल चुकीं थी। जिसके बाद रतन टाटा ने फोर्ड के दो पॉपुलर ब्रांड जगुआर और लैंड रोवर को 2.3 बिलियन डॉलर में खरीद लिया। आज के हिसाब से यह रकम करीब 19 हजार करोड़ रुपये है।
लाख रुपये की कार
रतन टाटा ने एक बार मुंबई की तेज बारिश में टू व्हीलर पर 4 लोगों के एक परिवार को भीगते हुइ देखा। इसी दृश्य ने उन्हें टाटा नैनो के निर्माण की प्रेरणा दी। रतन टाटा ने इंजीनियर्स को बुलाया और 1 लाख रुपये में कार तैयार करने को कहा। साल 2008 में मिडिल क्लास को ध्यान में रखते हुए टाटा नैनों लॉन्च की। ये भारतीय कार इतिहास की अब तक की सबसे सस्ती कारों में से एक है। हालांकि लोगों को ये कार ज्यादा पंसद नहीं आई और साल 2020 तक इसका प्रोडक्शन बंद करना पड़ा।
चार बार हुआ टाटा को प्यार
रतन टाटा ने एक इंटरव्यू में बताया था उन्हें चार बार प्यार हुआ और बात शादी तक बात आ पहुंची थी। हालांकि, हर बार अंत में शादी नहीं हो सकी। प्यार की इन चारों कहानियों में सबसे ज्यादा सीरियस लव स्टोरी टाटा के अमेरिका में रहने से जुड़ी है। अमेरिका में हुए प्यार के बाद टाटा शादी करने वाले थे, लेकिन उसी बीच भारत लौट आए। लड़की को भारत आना था, लेकिन 1962 में भारत-चीन के बीच चल रहे युद्ध के कारण वो भारत नहीं आ पाई और कुछ साल बाद अमेरिका में ही उसने किसी और से शादी कर ली।
रतन टाटा ने आईबीएम में की थी पहली नौकरी
रतन टाटा ने पहली नौकरी टाटा ग्रुप में नहीं की थी। उन्होंने आईबीएम में सबसे पहले नौकरी की। आईबीएम में काम करते हुए उन्होंने टाटा ग्रुप के लिए रिज्यूम बनाया था। इसके बाद उन्होंने टाटा ग्रुप ज्वाइन किया।
कैसे ज्वाइन किया टाटा ग्रुप
रतन टाटा आर्किटेक्चर एंड स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के लिए कॉर्नेल यूनिवर्सिटी गए थे। डिग्री लेने के बाद उन्होंने अमेरिका में ही नौकरी करने का मन बना लिया था , लेकिन उनकी दादी यानी लेडी नवजबाई की तबीयत खराब होने के बाद उन्हें भारत वापस आना पड़ा। यहां आकर उन्होंने आईबीएम ज्वाइन कर लिया था। उनकी पहली नौकरी के बारे में उनके परिवार को भी नहीं पता था।
माना जाता है कि उस समय टाटा ग्रुप के चेयरमैन जेआरडी टाटा को जब रतन टाटा की नौकरी के बारे पता चला तो वह काफी नाराज हुए। उन्होंने रतन टाटा को फोन करके डांटा और अपना बायोडाटा शेयर करने के लिए कहा। रतन टाटा के पास उस समय बायोडाटा नहीं था। उन्होंने आईबीएम में ही टाइपराइटर्स पर टाइप करके अपना बायोडाटा बनाया था। इसके बाद उन्होंने जेआरडी टाटा को अपना बायोडाटा शेयर किया था।
वर्ष 1962 में टाटा इंडस्ट्रीज में उनकी नौकरी लग गई थी। रतना टाटा भले ही टाटा फेमिली के मेंबर थे फिर भी उन्हें कंपनी के सार काम करने होते थे। वह अनुभव लेने के बाद कंपनी के सर्वोच्च पद पर पहुंचे थे। वर्ष 1991 में उन्होंने टाटा संस और टाटा ग्रुप के अध्यक्ष का कार्यभार संभाला था।
इसके बाद 21 वर्षों तक उन्होंने कंपनी का नेटृत्व किया और कंपनी को कई बुलंदियों तक पहुंचाने में मदद की। रतन टाटा के अध्यक्ष पद पर कार्यरत करते समय ही टाटा ग्रुप ने टेटली टी, जगुआर लैंड रोवर और कोरस को टेकओवर कर लिया था। इसके अलावा टाटा ग्रुप का कारोबार 100 से ज्यादा देशों तक फैला है। रतन टाटा ने कुछ चर्चित स्टार्टअप्स में भी निवेश किया है।
ओला/ओला इलेक्ट्रिक
ओला ओला इलेक्ट्रिक में भी रतन टाटा का निवेश है। उन्होंने साल 2015 में इस कंपनी में पहली बार निवेश किया था। तब कंपनी की स्थापना को 5 साल हुए थे। साल 2019 में उन्होंने ओला इलेक्ट्रिक मोबिलिटी प्राइवेट लिमिटेड को फंड दिया। कंपनी का आईपीओ भी आने वाला है। कंपनी ने सेबी के पास इसके डॉक्युमेंट सब्मिट कर दिए है।
पेटीएम
रतन टाटा ने निवेश फिनटेक फर्म पेटीएम में भी है। साल 2015 में यह निवेश पेटीएम की पैरेंट कंपनी वन 97 कम्युनिकेशंस के फंडिग राइंड का हिस्सा था। आज पेटीएम देश की लीडिंग फिनटेक फर्म है। कंपनी शेयर बाजार में भी लिस्टेड है।
स्नैपडील
रतन टाटा ने अगस्त 2014 में स्नैपडील में अपने निवेश के साथ ई-कॉमर्स इंडस्ट्री में एंट्री ली थी। उन्होंने 5 करोड़ रुपये शुरुआती निवेस करके स्नैपडील में 0.17 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल की थी। साल 2010 में कुणाल बहल और रोहित बंसल द्वारा लॉन्च किया गया स्नैपडील एक वक्त में ई-कॉमर्स इंडस्ट्री का चर्चित प्लेटफॉर्म था।
गुडफोलो
रतन टाटा ने गुफोलो नामक एक स्टार्टअप में निवेश किया है। रतन टाटा के लिए काम कर चुके शांतनु नायडू ने गुडफेलो की स्थापना की थी। इसका मकसद युवाओं और शिक्षित स्नातकों को सार्थक सहयोग के लिए जोड़कर बुजुर्गों के अकेलेपन को दूर करना है।
जीवामी
महिलाओं के लिए चर्चित ऑनलाइन लॉन्जरी ब्रांड जीवामी में उद्धोगपति रतन टाटा का भी निवेश है। सिंतबर 2015 में जीवामी को रतन टाटा से निवेश प्राप्त हुआ।
लेंसकार्ट
चर्चित आईवियर प्लेटफार्म लेंसकार्ट की स्थापना 2010 में पीयूष बंसल और अमित द्वारा की गई थी। इस स्टार्टअप को अप्रैल 2016 में रतन टाटा से फंडिंग मिली।
योर स्टोरी
रतन टाटा का निवेस डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म योर स्टोरी में भी है। हालांकि इसमें रतन टाटा का कितना निवेश है। इसकी जानकारी नहीं है।
कार देखो
यह देश का एक प्रमुख ऑटो सर्च प्लेटफॉर्म है। इसकी मूल कंपनी गिरनारसॉफ्ट में रतन टाटा का निवेश है। यह प्लेटफॉर्म कार खरीदारों के लिए काफी मददगार है।
क्योर फिट
यह हेल्थ सेक्टर का फिटनेस प्लेटफॉर्म है। इस प्लेटफॉर्म पर कलारी कैपिटल, एक्सेल पार्टनर्स, चिराता वेंचर्स के अलावा रतन टाटा का भी निवेश रहा है।
टाटा के बिजनेस
टाटा ग्रुप्स का कारोबार टेक्नोलॉजी, स्टीव, ऑटोमोटिव, कंज्यूमर एंड रिटेल, इंफ्रा, फाइनेंशियर सर्विसेज, एयरोस्पेस एंड डिफेंस, टूरिज्म एंड ट्रैवल, टैलीकॉम एंड मीडिया और ट्रेडिंग एंड इन्वेस्टमेंट के सेक्टर में फैला हुआ है। टाटा ग्रुप के रेवेन्यू की बात करें तो 2022-23 के दौरान 150 बिलियन डॉलर था। टाटा ग्रुप की कंपनियों का कुल मार्केट कैपिटल 300 बिलियन डॉलर के पार जा चुका है।
परोपकारी कार्यों में रहते थे आगे
केवल बिजनेस ही नहीं रतन टाटा को उनके परोपकारी कार्यों के लिए भी जाना जाता है। भारत छात्रों की मदद के लिए रतन टाटा ने Cornell University में पूरे 28 मिलियन डॉलर का दान दिया था। इससे गरीब और मध्यम वर्ग के भारतीय स्टूडेंट्स की मदद की जाती है। इसके साथ ही हार्वर्ड बिजनेस स्कूल ने छात्रों की मदद के लिए 50 मिलियन डॉलर दान किए थे। इसके अलावा आईआईटी बॉम्बे में रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने 2014 में 95 करोड़ रुपये की राशि दान दी थी। इसके साथ ही वह हर साल अपनी कमाई का एक बड़ा हिस्सा परोपकारी कार्यों में खर्च करते हैं।