➤ आईफोन-14 की जांच में खुला राज, 2019 से 2025 तक 76 लाख का संदिग्ध ट्रांजैक्शन
➤ गूगल-पे, फोन-पे से सरकारी मुलाजिमों और प्राइवेट व्यक्तियों से वसूली के साक्ष्य मिले
➤ अच्छी पोस्टिंग, ट्रांसफर रुकवाने जैसे कामों के बदले रकम वसूली, कैश लेन-देन की अलग परतें
डिप्टी कमिश्नर के निजी सहायक (PA) शशांक की गिरफ्तारी के बाद रिश्वत के खेल का गहराता खुलासा सामने आया है। एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) की जांच में शशांक के आईफोन-14 से ऐसे डिजिटल साक्ष्य मिले हैं, जो न केवल चौंकाने वाले हैं, बल्कि प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल भी खड़े करते हैं।
शशांक को 20 जून को ₹3.5 लाख की रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा गया था, जिसके बाद उसके आईफोन की तकनीकी जांच शुरू की गई। इस जांच में सामने आया है कि साल 2019 से 2025 के बीच उसके व्यक्तिगत बैंक खातों से करीब 75-76 लाख रुपये के लेन-देन किए गए हैं। ये सभी लेन-देन UPI, गूगल-पे और फोन-पे के माध्यम से किए गए, जो कि कथित रूप से सरकारी अधिकारियों, प्राइवेट ऑपरेटरों और दलालों से संबंधित हैं।
ACB को संदेह है कि ये लेन-देन ट्रांसफर रुकवाने, अच्छी पोस्टिंग दिलवाने और अन्य सुविधाजनक काम करवाने के एवज में ली गई रिश्वत से जुड़े हैं। इतनी बड़ी राशि का डिजिटल ट्रांजैक्शन एक पीए के लिए असामान्य है, और इससे उसकी आय और संपत्ति पर गहरा सवाल खड़ा हो गया है।
ACB ने कोर्ट में आरोपी का तीन दिन का अतिरिक्त रिमांड मांगा, जिसे न्यायालय ने खारिज करते हुए 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। अगली सुनवाई अब 5 जुलाई को होगी।
वहीं, जांच अधिकारियों का मानना है कि कैश ट्रांजैक्शन अभी जांच के दायरे से बाहर हैं, और यह रिश्वत का जाल और गहरा हो सकता है। ACB डिजिटल डेटा, कॉल रिकॉर्ड्स, चैट्स और मनी ट्रेल की बारीकी से जांच कर रही है।