Haryana के लोकायुक्त जस्टिस हरिपाल वर्मा ने शहरी स्थानीय निकाय विभाग (ULB) के चीफ विजिलेंस अधिकारी (CVO) को तलब किया है। यह कार्रवाई प्रॉपर्टी आईडी (PPP) सर्वे के मामले में की गई है, जिसमें 12 IAS अधिकारियों और सर्वे करने वाली याशी कंपनी को जांच में क्लीन चिट देने का आरोप है। लोकायुक्त ने शिकायतकर्ता RTI एक्टिविस्ट पीपी कपूर को भी 11 सितंबर को कोर्ट में उपस्थित रहने के लिए कहा है।
पिछले साल 19 जुलाई 2023 को RTI दस्तावेजों के साथ लिखित शिकायत देकर कार्रवाई की मांग की गई थी। शिकायत में आरोप लगाया गया था कि याशी कंपनी के सर्वे में बड़ा घोटाला हुआ है। सर्वे की फिजिकल वेरिफिकेशन किए बिना अधिकारियों ने साइन ऑफ सर्टिफिकेट जारी कर याशी कंपनी को लगभग 63 करोड़ रुपये की पेमेंट जारी करवा दी, जबकि सर्वे में कई गलतियां थीं।
क्लीन चिट की जानकारी
6 मई 2024 को निकाय विभाग के CVO जेएस बोपाराय ने अपनी जांच रिपोर्ट में याशी कंपनी और 12 अधिकारियों को क्लीन चिट दे दी। शिकायतकर्ता ने इस रिपोर्ट को गलत बताते हुए इसे रद्द करने और घोटाले की विस्तृत जांच कराने की मांग की। इस पर लोकायुक्त ने CVO को तलब किया है।
सर्वे में अनियमितताएं
पैसे वसूलने के लिए 88 शहरों में 42,70,449 प्रॉपर्टियों का सर्वे किया गया था, जिनमें से करीब आधी प्रॉपर्टियां खाली प्लॉट, निर्माणाधीन या बंद पड़ी थीं। इसके बावजूद अधिकारियों ने याशी कंपनी को भुगतान कर दिया। सर्वे कंपनी को भुगतान से पहले सभी प्रॉपर्टियों के 10वें हिस्से की फिजिकल वेरिफिकेशन करनी चाहिए थी।
शिकायतकर्ता का आरोप
शिकायतकर्ता पीपी कपूर ने आरोप लगाया कि तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की सरकार की यह योजना बड़े भ्रष्टाचार के चलते आम लोगों के लिए समस्या बन गई है। रोजाना हजारों लोग अपनी प्रॉपर्टी आईडी ठीक कराने के लिए परेशान हो रहे हैं और दलालों से लूट रहे हैं। सरकार ने घोटाले में संलिप्त अधिकारियों को बचाने के लिए याशी कंपनी को क्लीन चिट दी है।