- पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार की सामाजिक-आर्थिक आधार पर बोनस अंक देने की अधिसूचना को रद्द कर दिया।
- कोर्ट ने आदेश दिया कि जिन भर्तियों में इन अंकों के आधार पर परिणाम तैयार हुआ है, उन्हें 4 महीने में नए सिरे से तैयार किया जाए।
- इस फैसले से 25-30 हजार नियुक्त अभ्यर्थियों की नौकरी पर संकट मंडर गया है, खासकर वे जो सिर्फ बोनस अंकों से चयनित हुए थे।
Bonus Marks Policy: हरियाणा में सामाजिक-आर्थिक आधार पर 5 से 10 बोनस अंक देने वाली अधिसूचना को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने असंवैधानिक मानते हुए रद्द कर दिया है। यह अधिसूचना 11 जून 2019 को खट्टर सरकार द्वारा जारी की गई थी, जो 2021 से लागू हुई थी। यह प्रावधान उन उम्मीदवारों को अतिरिक्त अंक देने के लिए था जिनके परिवार में कोई सरकारी नौकरी में नहीं है और सालाना आय ₹1.80 लाख से कम है।
इस अधिसूचना को करनाल निवासी मोनिका रमन और अन्य ने चुनौती दी थी। मोनिका ने जूनियर सिस्टम इंजीनियर की परीक्षा में 90 में से 90 अंक प्राप्त किए थे, फिर भी बोनस अंक न मिलने के कारण उनका चयन नहीं हो पाया। इस आधार पर उन्होंने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा और जस्टिस मीनाक्षी आई. मेहता की खंडपीठ ने माना कि बोनस अंक का यह आधार अनुचित है और इससे मेधावी छात्रों के साथ अन्याय हो रहा है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जहां भी ऐसे बोनस अंकों के आधार पर परिणाम बनाए गए हैं, वे सभी परिणाम नए सिरे से तैयार किए जाएं और यह प्रक्रिया अगले 4 महीने में पूरी हो।
इस निर्णय से हरियाणा पुलिस की सब इंस्पेक्टर, महिला सब इंस्पेक्टर और सिपाही भर्ती सहित अनेक भर्तियों पर असर पड़ेगा। आंकड़ों के मुताबिक, इन भर्तियों में अधिकांश सीटें बोनस अंक वाले उम्मीदवारों को मिली थीं।
वकीलों के अनुसार, 25 से 30 हजार उम्मीदवारों को अब तक इस नीति का लाभ मिला है, जिनमें से लगभग 10 हजार की नियुक्ति पर प्रभाव नहीं पड़ेगा, लेकिन बाकी की नौकरी पर संकट है।
पिछले साल सरकार ने CET परीक्षा में बोनस अंक देने की नीति को पहले ही हटा दिया था, लेकिन अभी तक CET आधारित नई भर्ती नहीं हुई है।