BABA BINDAL

बडौली-रॉकी के खिलाफ गैंगरेप मामले में नया कनेक्शन: सियासी चालबाज या बाबा बिंदल? जानिए, 80 करोड़ के गबन से लेकर टिकट के लिए सिर मुंडवाने तक की कहानी

हरियाणा सोनीपत

सोनीपत के चर्चित कारोबारी और कभी जेजेपी तो कभी भाजपा का हिस्सा रहे अमित बिंदल एक बार फिर चर्चा में हैं। BJP प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली और रॉकी मित्तल के खिलाफ दर्ज गैंगरेप केस में अब बिंदल का नाम भी उछल रहा है। एटलस रोड, सोनीपत निवासी बिंदल का राजनीतिक सफर और विवादों से भरा जीवन कई सवाल खड़े कर रहा है।

राजनीति में एंट्री और जेजेपी से नाता

2019 में अमित बिंदल ने जेजेपी पार्टी से सोनीपत विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें महज 782 वोट मिले। इसके बावजूद उन्होंने पार्टी में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश की और 2021 में शहरी अध्यक्ष का पद भी हासिल कर लिया। हालांकि कुछ समय बाद जब वे ज्यादा लोगों को पार्टी से नहीं जोड़ सके तो उन्हें पद से हटा दिया गया। चेयरमैन बनने के प्रयास भी विफल रहे, जिससे खफा होकर बिंदल ने जेजेपी से किनारा कर लिया।

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भाजपा में वापसी और भगवा अवतार

2022 में बिंदल भाजपा में शामिल हुए और तब से लगातार लोकसभा चुनाव के लिए टिकट की मांग करते रहे। 2024 के चुनाव में टिकट पाने की कोशिश में उन्होंने सिर मुंडवाकर भगवा वस्त्र धारण कर लिया और ‘बाबा बिंदल’ बनकर नेताओं के दरवाजे खटखटाते रहे। बावजूद इसके, उन्हें टिकट नहीं मिला और वे पार्टी के कार्यक्रमों से गायब हो गए।

80 करोड़ के गबन और जेल यात्रा

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अमित बिंदल का नाम 2022 में 80 करोड़ के जीएसटी घोटाले में भी सामने आया। इस आरोप के चलते उन्हें 56 दिन तक तिहाड़ जेल में रहना पड़ा। जेल से रिहा होने के बाद उन्होंने फिर से भाजपा का दामन थाम लिया और लघु उद्योग प्रकोष्ठ हरियाणा के प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए।

शानो-शौकत की जिंदगी और सुरक्षा काफिला

बीजेपी में एक पद मिलने के बाद बिंदल ने खुद को बड़े नेताओं की तरह पेश करना शुरू किया। वे कई गाड़ियों के काफिले के साथ घूमते थे। उनके पास निजी पायलट कार, बाउंसर और गनमैन का सुरक्षा घेरा भी रहता था, जिससे वे हर जगह चर्चा में बने रहे।

टिकट न मिलने के बाद से हुए गायब

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भाजपा के जिला अध्यक्ष के अनुसार, बिंदल ने टिकट के लिए काफी प्रयास किए, लेकिन सफलता नहीं मिली। इसके बाद से वे पार्टी के किसी भी कार्यक्रम में नजर नहीं आए। फिलहाल उनके पास कोई पद नहीं है। बिंदल की इस कहानी में सस्पेंस अभी बाकी है। सवाल यह है कि क्या वे फिर से किसी नई राजनीतिक पार्टी का रुख करेंगे या इसी विवादित छवि के साथ एक नई योजना बनाएंगे।

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