Dallewal

शंभू और खनौरी बॉर्डर पर डटे किसानों को SKM का समर्थन, आमरण अनशन पर बैठे डल्लेवाल की हालत गंभीर, हड्डियां लगी सिकुड़ने!

हरियाणा पंजाब

हरियाणा-पंजाब के शंभू और खनौरी बॉर्डर पर बीते 11 महीने से चल रहे किसान आंदोलन को नया मोड़ मिला है। संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने इस आंदोलन को अपना समर्थन दे दिया है। रविवार को पटियाला के पातड़ा में 4 घंटे तक चली अहम मीटिंग में SKM और किसान नेताओं ने 18 जनवरी को दोबारा बैठक कर आगे की रणनीति तय करने का फैसला लिया।

किसान नेता सरवण पंधेर ने कहा कि आंदोलन को आगे बढ़ाने और सरकार पर दबाव बनाने के लिए सभी किसान संगठनों का एकजुट होना जरूरी है। किसान नेता जोगिंदर सिंह उगराहां ने कहा, “हमारा संघर्ष सांझा है और दुश्मन भी। अब कोई भी एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी नहीं करेगा।” सुरजीत सिंह फूल ने इसे एकता के लिए सकारात्मक कदम बताया। 26 जनवरी को होने वाले ट्रैक्टर मार्च की योजना पर भी चर्चा हुई।

49 दिनों से आमरण अनशन पर डटे डल्लेवाल की हालत नाजुक
फसलों पर MSP की कानूनी गारंटी समेत 13 मांगों को लेकर खनौरी बॉर्डर पर किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल 49 दिनों से आमरण अनशन पर बैठे हैं। डॉक्टरों के अनुसार, उनकी हालत चिंताजनक है। शरीर सिकुड़ने की वजह से उनकी सेहत तेजी से बिगड़ रही है। पंजाब सरकार ने धरनास्थल पर एंबुलेंस और अस्थायी अस्पताल की व्यवस्था की है, लेकिन डल्लेवाल ने अब तक कोई मेडिकल सुविधा नहीं ली है। मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है।

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10 महीने से प्रदर्शन कर रहे बुजुर्ग किसान की मौत
प्रदर्शन में शामिल 80 वर्षीय किसान जग्गा सिंह की तबीयत बिगड़ने पर उन्हें पटियाला के राजिंदरा अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली। जग्गा सिंह, जो फरीदकोट के रहने वाले थे, पिछले 10 महीने से लगातार प्रदर्शन का हिस्सा थे।

सुसाइड से मचा हड़कंप
इससे पहले, 9 जनवरी को शंभू बॉर्डर पर तरनतारन जिले के किसान रेशम सिंह (55) ने सल्फास निगलकर जान दे दी थी। उसकी जेब से मिले सुसाइड नोट में उसने सरकार को अपनी मौत के लिए जिम्मेदार ठहराया। इस घटना के बाद आंदोलनकारी किसानों में आक्रोश बढ़ गया।

MSP की कानूनी गारंटी पर भाजपा प्रधान का बयान
आंदोलन के बीच पंजाब भाजपा अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने MSP की कानूनी गारंटी को किसानों के लिए नुकसानदायक बताया। जाखड़ ने कहा कि वर्तमान में पंजाब और हरियाणा के किसानों को केंद्र से गेहूं और धान की खरीद पर MSP मिल रही है, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर MSP लागू होने से उन्हें मौजूदा लाभ से वंचित होना पड़ सकता है।

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