Sonipat : प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में माता-पिता के बाद गुरु का महत्वपूर्ण योगदान होता है। सोनीपत के गांव बैयांपुर के रहने वाले पैरालिंपियन खिलाड़ी अमित सरोहा ने एक ऐसी मिसाल कायम की है कि उन्होंने अपने गुरुजी और अपने कोच वह सहयोगी के योगदान को कभी नहीं बुलाया है और इसी के चलते अपने दो कोच को 10-10 लाख रुपये का चेक देकर उनका सम्मान किया है। इससे पहले भी कोचों को समर्पित कर चुके हैं। दिव्यांगता को घुटने पर लाने वाले अमित सरोहा आज समाज में अन्य युवाओं को भी प्रशिक्षित कर रहे हैं और युवाओं को नशे से दूर रहने के लिए खेल क्षेत्र में आगे आने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
सोनीपत के एक निजी रेस्टोरेंट में पैरालिंपियन खिलाड़ी अमित सरोहा ने अपने गुरु और सहयोगियों के सम्मान के लिए कार्यक्रम का आयोजन किया। अपनी हिम्मत और ताकत के बलबूते पर शारीरिक अक्षमता को पराजित करने वाले अमित सरोहा ने पैरा गेम में लगातार भारत का डंका बजाया है। जहां अमित ने अपने कोच वजीर, देवेंद्र कुमार और एस्कॉर्ट देवेंद्र के सम्मान में कार्यक्रम के दौरान 10-10 लाख के चेक वितरित किए हैं। दिव्यांगता को परास्त करने वाले अमित सरोहा ने आज के युवाओं को भी प्रेरणा दी है कहा है कि नशे से दूर रहना चाहिए।

उन्होंने कहा है कि खेल एक ऐसा माध्यम है जो मानसिक और शारीरिक तौर पर मजबूत रखता है। आज का युवा सोशल मीडिया के माध्यम से चका चोंध की तरफ जा रहा है। और इसी वजह से नशे का दुष्प्रभाव समाज में फैल रहा है। वहीं उन्होंने यह भी कहा है कि जरूरी नहीं की प्रोफेशनली खेल किया जाए। अपने शरीर को फिट करने के लिए भी खेल किया जा सकता है। 2024 में होने वाले पैरा ओलंपिक खेल के को लेकर भी लगातार तैयारी चल रही है। अमित सरोहा ने दावा किया है कि इस बार बहुत अच्छी तैयारी उन्होंने की है। पूरी टीम का उन्हें पूरी तरह से सहयोग है। उन्होंने उम्मीद की है कि इस बार उनका प्रदर्शन अच्छा होगा और पैरा ओलंपिक में मेडल जीत कर लेकर आएंगे।
गौरतलब है कि पैरालिंपियन अमित सरोहा ने अपनी सफलता में अमूल्य योगदान के लिए अपनी कोर टीम को फिर से सम्मानित किया। इससे पहले, 2021 में, उन्होंने अपनी दोनों कोर टीम के सदस्यों को उनके अटूट समर्थन के प्रति आभार स्वरूप प्रत्येक को 25 लाख रुपये के चेक से सम्मानित किया था। अपनी कोर टीम के लिए अंतिम सम्मान के बाद, अमित ने 2023 में पैरा एशियाई खेलों में एक और पदक जोड़ा है। यह उनका 5वां पैरा एशियाई खेलों का पदक था जो उन्हें पैरा एशियाई खेलों में भारत का सर्वोच्च पदक जीतने वाला एथलीट बनाता है।