फरीदाबाद की अरावली की खूबसूरत वादियों में हर साल आयोजित होने वाला सूरजकुंड इंटरनैशनल क्राफ्ट मेला न केवल देश-विदेश की कला और संस्कृति को एक मंच प्रदान कर रहा है, बल्कि हरियाणा सरकार के खजाने को भी भरने का काम कर रहा है। इस बार हरियाणा पर्यटन निगम ने पहली बार मेले से हुई कमाई का डेटा सार्वजनिक किया है, जो मेले की बढ़ती लोकप्रियता और इसकी आर्थिक सफलता को दर्शाता है।
245 करोड़ रुपये की ऐतिहासिक कमाई, 9 करोड़ का शुद्ध मुनाफा
2025 में सूरजकुंड मेले ने कॉर्पोरेट और इंस्टीट्यूशनल पार्टनरशिप को अपनाते हुए स्पॉन्सरशिप और ग्रांट से ही 24.5 करोड़ रुपये की कमाई कर ली, जबकि 2024 में यह कमाई 19.23 करोड़ रुपये थी। कुल मिलाकर, इस साल 245 करोड़ रुपये की ऐतिहासिक कमाई दर्ज की गई, जिससे सरकार को 9 करोड़ रुपये का शुद्ध मुनाफा हुआ।
टिकट बिक्री ने बनाया नया रिकॉर्ड
मेले की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 2024 में 3.8 करोड़ रुपये की टिकटें बिकी थीं, जबकि 2025 में यह आंकड़ा बढ़कर 43 करोड़ रुपये हो गया। यह टिकटों की बिक्री में रिकॉर्ड वृद्धि को दर्शाता है।
खर्चों में कटौती से बढ़ा लाभ
इस साल खर्चों को नियंत्रित करने की विशेष रणनीति अपनाई गई।
- कलाकारों और कारीगरों के आवास व भोजन पर खर्च
- 2024 में: 9 करोड़ रुपये
- 2025 में: 5 करोड़ रुपये
- कुल खर्च
- 2024 में: 17 करोड़ रुपये
- 2025 में: सीमित खर्च रणनीति अपनाकर लागत को नियंत्रित किया गया।
1500 से ज्यादा क्राफ्ट्समैन, 600 से अधिक कलाकारों का शानदार प्रदर्शन
मेले में 1500 से अधिक हस्तशिल्प कलाकार और 600 से ज्यादा लोक कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन कर रहे हैं, जो इसे वैश्विक स्तर पर भी पहचान दिला रहा है।