अनंतनाग जिले के गाडोल में 3 से 4 आतंकियों की मौजूदगी की सूचना के बाद सेना और पुलिस ने मंगलवार शाम संयुक्त ऑपरेशन शुरू किया था, रात होने पर ऑपरेशन रोक दिया गया था। वहीं 13 सितंबर यानी बुधवार सुबह जब दोबारा तलाश शुरू की गई, तो आतंकियों ने घने जंगल में घात लगाकर घेराबंदी की और हमला किया। उन्होंने अंधाधुंध फायरिंग की। इसके चलते 19 राष्ट्रीय राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल मनप्रीत सिंह, मेजर आशीष धौंचक और जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीएसपी हुमायूं भट शहीद हो गए। मनप्रीत मोहाली के और मेजर आशीष पानीपत और भट कश्मीर के बडगाम के रहने वाले थे।
लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े प्रतिबंधित रेजिस्टेंट फ्रंट ने हमले की जिम्मेदारी ली है। अफसरों का मानना है कि ये वही आतंकी हैं, जिनसे 4 अगस्त को कुलगाम के जंगल में मुठभेड़ में 3 जवान शहीद हो गए थे। कश्मीर में पिछले तीन साल में यह सबसे बड़ा हमला है। इससे पहले इससे पहले कश्मीर के हंदवाड़ा में 30 मार्च 2020 को 18 घंटे चले हमले में कर्नल, मेजर और सब-इंस्पेक्टर समेत पांच अफसर शहीद हुए थे। वहीं शहीद आशीष की मां ने जानकारी देते हुए कहा कि बेटे के आते ही बिल्कुल नहीं रोउंगी और सैल्यूट करूंगी।

आशीष तीन बहनों के थे इकलौते भाई
जम्मू कश्मीर के अनंतनाग में पाकिस्तानी आंतिकों से लोहा लेते हुए हरियाणा के मेजर आशीष ढोंचक शहीद हो गए। आशीष हरियाणा के पानीपत जिले के रहने वाले थे और आशीष तीन बहनों के इकलौते भाई थे। आशीष ढोंचक की शहादत से पानीपत के साथ पूरा प्रदेश में शोक की लहर है। मेजर आशीष 6 महीने पहले अपने साले की शादी में छुट्टी लेकर घर आए थे, उनकी 2 साल पहले मेरठ से जम्मू में पोस्टिंग हुई थी। उनका परिवार 2 साल पहले ही गांव से शहर में किराए के मकान में शिफ्ट हुआ था।
सर्च ऑपरेशन के दौरान सुरक्षाबलों पर आतंकियों ने चलाई गोली
बता दें कि दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले में राजौरी में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में पानीपत जिले का लाल आशीष ढोंचक शहीद हो गया। जिनका पार्थिव शरीर गुरुवार दोपहर बाद तक पानीपत उनके पैतृक गांव बिंझौल लाए जाने की संभावना है। अनंतनाग में आतंकियों ने सुरक्षाबलों पर उस वक्त गोली चला दी, जब वे सर्च ऑपरेशन चला रहे थे। जिसमें कर्नल मनप्रीत सिंह, मेजर आशीष ढोंचक और डीएसपी हुमायूं भट्ट शहीद हो गए।
शोक में डूबा प्रदेश सहित पानीपत शहर
आशीष ढोंचक की शहादत से पानीपत के साथ पूरा प्रदेश शोक में डूबा हुआ है। वहीं गांव बिंझौल में भी गमगीन माहौल बना हुआ है। तीन बहनों के इकलौते भाई के शहीद होने पर परिवार में मातम पसरा हुआ है। बताया जा रहा है कि पिता लालचंद एनएफएल से सेवानिवृत्त के बाद पानीपत के सेक्टर-7 में किराए के मकान में रहते हैं।
कोकेरनाग में आंतकवादियों के मौजूद होने की मिली थी सूचना
जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले के कोकेरनाग में बुधवार को आतंकवादियों और सुरक्षाबलों के बीच हुई मुठभेड़ हो गई। इस मुठभेड़ में भारतीय सेना के एक कर्नल, मेजर और एक पुलिस उपाधीक्षक शहीद हो गए। पुलिस और सुरक्षाबलों की संयुक्त टीम को कोकेरनाग में आतंकवादियों की मौजूदगी की सूचना मिली थी। इसके बाद टीम ने सर्च ऑपेशन शुरू किया।
जब आतंकियों ने खुद को सुरक्षाबलों से घिरा देखा तो उन पर फायरिंग कर दी। सुरक्षाबलों ने भी जवाबी कार्रवाई शुरू की। फिर दोनों ओर से भारी गोलीबारी शुरू हो गई। छिपे हुए आतंकवादियों पर नजर रखने और उन्हें मार गिराने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा दल मौके पर पहुंचे और उन्हें ढेर किया।
2 साल पहले ही शहर में किराए के मकान में शिफ्ट हुआ परिवार
मेजर आशीष 6 महीने पहले अपने साले की शादी में छुट्टी लेकर घर आए थे। प्रशासन और पुलिस के अधिकारी भी उनकी शहादत की खबर मिलते ही सेक्टर-7 में उनके घर पहुंच गए। आशीष की 2 साल पहले मेरठ से जम्मू में पोस्टिंग हुई थी। उनका परिवार 2 साल पहले ही गांव से शहर में किराए के मकान में शिफ्ट हुआ है।
सेक्टर 7 में बन रहे नवनिर्मित मकान में करना था गृह प्रवेश
आशीष के चाचा ने जानकारी देते हुए बताया कि उनकी 3 दिन पहले ही आशीष से फोन पर बातचीत हुई थी। कुछ देर हुई बातचीत में उसने में मुख्य तौर पर परिवार वालों का हाल चाल जाना था और अपने बारे में बताया। इसके बाद उन्होंने कहा था कि वे 13 अक्टूबर को पानीपत आएंगे। यहां सेक्टर 7 में बन रहे उनके नव निर्मित मकान में गृह प्रवेश करेंगे। वहीं परिवार में आशीष की तीन बहनें अंजू, सुमन हैं, मां कमला गृहिणी है। उनकी दो वर्षीय बेटी वामिनी है। पत्नी ज्योति भी गृहिणी है। इसके अलावा उनके चाचा का बेटा विकास भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट पद है, जो कि फिलहाल पुना में ट्रेनिंग पर है और झांसी में पोस्टिंग है।
कौन हैं आशीष ढोंचक
मेजर आशीष ढोंचक भी 19 राष्ट्रीय राइफल्स के सिख लाइट इन्फैंट्री में तैनात थे। 15 अगस्त 2023 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें ये मेडल दिया था। मेजर आशीष हरियाणा के पानीपत के निवासी थे, वो पानीपत जिले के बिंझौल गांव के रहने वाले थे। आशीष के पिता एनएफएल (नेशनल फर्टिलाइजर्स लिमिटेड) से रिटायर्ड हैं। आशीष की दो साल पहले जम्मू-कश्मीर में पोस्टिंग हुई थी, उनकी एक बेटी है।
पार्थिव शरीर आने में देरी हुई तो कल होगा कर्नल मनप्रीत का अंतिम संस्कार
शहीद कर्नल मनप्रीत सिंह को दो साल पहले सेना ने सेना पुरस्कार से सम्मानित किया था। उनका पार्थिव शरीर वीरवार शाम 4 बजे तक आने की उम्मीद है। अगर पार्थिव शरीर आने में देर होती है, तो कर्नल का शुक्रवार को अंतिम संस्कार किया जाएगा। बता दें कि चंडीगढ़ के गांव भड़ोजिया निवासी कर्नल मनप्रीत सिंह के पिता स्वर्गीय लखबीर सिंह भी आर्मी में सैनिक थे।
कर्नल शादीशुदा थे। उनके परिवार में दो भाई, एक बहन के अलावा एक 7 साल का बेटा कबीर सिंह और ढाई साल की बेटी बानी है। कर्नल के बहनोई वीरेंद्र गिल का कहना है कि मनप्रीत सिंह से उनकी आखिरी बार सुबह 6:45 बजे बात हुई थी। तब उन्होंने कहा था कि वह बाद में बात करेंगे। पिछले साल कर्नल मनप्रीत सिंह को सेना मेडल भी मिला था।

