🔹 महाराष्ट्र में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) के मामले 192 पहुंचे, अब तक 7 मौतें
🔹 48 मरीज ICU में, 21 वेंटिलेटर पर, पुणे में 37 वर्षीय की मौत
🔹 नांदेड़ में प्रदूषित पानी में कैंपिलोबैक्टर जेजुनी बैक्टीरिया मिला, 30 प्लांट सील
🔹 तेलंगाना, असम, पश्चिम बंगाल और राजस्थान में भी GBS के मामले सामने आए
🔹 GBS का इलाज महंगा, एक IVIG इंजेक्शन की कीमत ₹20,000, मरीज को कई इंजेक्शन लगाने पड़ते हैं
Guillain-Barré Syndrome India: महाराष्ट्र में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) के मामले लगातार बढ़ रहे हैं और अब तक कुल 192 संदिग्ध मरीज सामने आ चुके हैं, जिनमें से 167 मामलों की पुष्टि हो चुकी है। इस बीमारी से अब तक 7 लोगों की मौत हो चुकी है। सोमवार को पुणे में 37 वर्षीय युवक ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। वर्तमान में 48 मरीज ICU में हैं और 21 मरीज वेंटिलेटर पर हैं।
पुणे में सबसे अधिक केस
GBS के एक्टिव केसों में पुणे म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के 39 मरीज, पुणे ग्रामीण के 25 मरीज, पिंपरी चिंचवाड़ के 29, पुणे से लगे गांवों के 91 और अन्य जिलों से 8 मरीज सामने आए हैं।
प्रदूषित पानी से फैल रहा GBS
स्वास्थ्य अधिकारियों ने नांदेड़ के पास स्थित एक हाउसिंग सोसाइटी से सबसे अधिक मामले मिलने की जानकारी दी थी। पानी के सैंपल की जांच में कैंपिलोबैक्टर जेजुनी बैक्टीरिया पाया गया, जो GBS फैलाने के लिए जिम्मेदार माना जा रहा है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) ने पुष्टि की है कि GBS का यह प्रकोप प्रदूषित पानी की वजह से फैला है।
स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुणे नगर निगम ने नांदेड़ और आसपास के इलाकों में 30 जल शोधन संयंत्र (RO प्लांट) को सील कर दिया है, जिसमें 11 निजी आरओ प्लांट भी शामिल हैं।
अन्य राज्यों में भी फैल रहा GBS
महाराष्ट्र के अलावा तेलंगाना, असम, पश्चिम बंगाल और राजस्थान में भी GBS के मामले सामने आ चुके हैं।
➡️ तेलंगाना में अब तक 1 मामला सामने आया है।
➡️ असम में 17 वर्षीय लड़की की मौत हुई, लेकिन अन्य कोई एक्टिव केस नहीं है।
➡️ पश्चिम बंगाल में अब तक तीन लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें दो बच्चे और एक वयस्क शामिल हैं।
➡️ राजस्थान के जयपुर में 28 जनवरी को एक बच्चे की मौत हो गई थी।
GBS से पश्चिम बंगाल में तीन मौतों का दावा
कोलकाता और हुगली जिला अस्पताल में तीन मौतों की वजह GBS बताई जा रही है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, उत्तर 24 परगना जिले के 10 वर्षीय देबकुमार साहू, अमदंगा के 17 वर्षीय अरित्रा मनल और हुगली जिले के 48 वर्षीय व्यक्ति की मौत GBS से हुई है। हालाँकि, पश्चिम बंगाल सरकार ने इन मौतों की आधिकारिक पुष्टि नहीं की है।
GBS का इलाज महंगा, मरीजों पर भारी खर्च
GBS का इलाज बेहद महंगा है। डॉक्टरों के अनुसार, मरीजों को इम्युनोग्लोबुलिन (IVIG) इंजेक्शन का कोर्स करना पड़ता है, जिसके एक इंजेक्शन की कीमत ₹20,000 तक होती है। पुणे के एक अस्पताल में भर्ती 68 वर्षीय मरीज के परिजन ने बताया कि इलाज के दौरान उन्हें 13 इंजेक्शन लगाने पड़े।
कई मरीजों को ठीक होने में लगता है सालभर का समय
विशेषज्ञों के अनुसार, 80% मरीज अस्पताल से छुट्टी के बाद 6 महीने के भीतर सामान्य रूप से चलने-फिरने लगते हैं, लेकिन कुछ मामलों में ठीक होने में 1 साल या उससे अधिक समय भी लग सकता है।
गिलियन बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) के बारे में जानिए
गिलियन बैरे सिंड्रोम एक ऐसी स्थिति है जिसमें आपके ही शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली तंत्रिकाओं पर अटैक कर देती है। इस वजह से मरीजों को कमजोरी, सुन्न होने या फिर लकवा मारने जैसे दिक्कतें हो सकती हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ जीबीएस की समस्या को मेडिकल इमरजेंसी के तौर पर देखते हैं, जिसमें रोगी को तुरंत उपचार की आवश्यकता होती है। इलाज न मिलने पर जान जाने का भी खतरा हो सकता है। क्लीवलैंड क्लिनिक की रिपोर्ट पर नजर डालें तो पता चलता है कि दुनियाभर में हर साल लगभग एक लाख लोगों को ये समस्या होती है, हालांकि ये दिक्कत क्यों होती है इसका सटीक कारण अभी तक ज्ञात नहीं है। अगर समय पर रोग का इलाज हो जाए तो इससे आसानी से ठीक हो सकते हैं।
गुलियन-बैरे सिंड्रोम के क्या लक्षण होते हैं?
- मेडिकल रिपोर्ट्स के मुताबिक ये बीमारी आपके पेरीफेरल नर्वस को अटैक करती है। ये तंत्रिकाएं मांसपेशियों की गति, शरीर में दर्द के संकेत, तापमान और शरीर को छूने पर होने वाली संवेदनाओं का एहसास कराती हैं। इन तंत्रिकाओं को होने वाली क्षति के कारण आपको कई तरह की दिक्कतें हो सकती हैं।
- हाथ और पैर की उंगलियों, टखनों या कलाई में सुई चुभने जैसा एहसास।
- पैरों में कमजोरी जो शरीर के ऊपरी हिस्से तक फैल सकती है।
- चलने या सीढ़ियां में असमर्थ होना।
- बोलने, चबाने या निगलने में परेशानी होना।
- पेशाब पर नियंत्रण न रह जाना या हृदय गति का बहुत बढ़ जाना।