हरियाणा के पूर्व सीएम Om Prakash Chautala का 89 साल की उम्र में निधन हो गया है। सूत्रों के माध्यम से पता चला है कि शुक्रवार को वे गुरुग्राम में अपने घर पर थे जब उन्हें दिल का दौरा पड़ा। आनन-फानन में उन्हें मेदांता अस्पताल लाया गया, जहां करीब आधे घंटे बाद दोपहर 12 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली।
“उनका अंतिम संस्कार तेजा खेड़ा में होगा, जो उनका पैतृक गांव है। यहां पर उनके परिवार और समर्थक उनकी अंतिम यात्रा में शामिल होंगे और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। उनके निधन के बाद राज्य और देश भर से नेताओं और समर्थकों ने शोक व्यक्त किया है।
चौटाला का जन्म 1 जनवरी, 1935 को हुआ था और वे पूर्व उपप्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल की पांच संतानों में सबसे बड़े थे। चौटाला की चुनावी राजनीति की शुरुआत 1968 में हुई, जब उन्होंने देवीलाल की परंपरागत सीट ऐलनाबाद से चुनाव लड़ा। इस चुनाव में उनकी हार हुई, लेकिन उन्होंने हार मानने की बजाय हाईकोर्ट का रुख किया और जीत हासिल की। 1970 में हुए उपचुनाव में जनता दल के टिकट पर उन्होंने जीत दर्ज की और विधायक बने।

साल 1987 में लोकदल ने हरियाणा में 90 सीटों में से 60 सीटें जीतीं और ओम प्रकाश चौटाला के पिता देवीलाल दूसरी बार मुख्यमंत्री बने। इसके बाद देवीलाल केंद्र सरकार में उपप्रधानमंत्री बने। दिल्ली में एक बैठक में ओपी चौटाला को मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया। 2013 में शिक्षक भर्ती घोटाले के मामले में चौटाला तिहाड़ जेल में बंद थे। 82 साल की उम्र में उन्होंने जेल में रहते हुए पहले दसवीं और फिर बारहवीं की परीक्षा पास की, जो उनकी शिक्षा के प्रति समर्पण और आत्म-प्रेरणा की कहानी को सामने लाता है।
2 दिसंबर 1989 को ओमप्रकाश चौटाला पहली बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने। तब वे राज्यसभा सांसद थे। CM बने रहने के लिए उन्हें 6 महीने के भीतर विधायक बनना जरूरी था। देवीलाल ने उन्हें अपनी पारंपरिक सीट महम से चुनाव लड़वाया, लेकिन खाप पंचायत ने इसका विरोध शुरू कर दिया।
27 फरवरी, 1990 को महम में वोटिंग हुई, जो हिंसा और बूथ कैप्चरिंग की भेंट चढ़ गई। चुनाव आयोग ने आठ बूथों पर दोबारा वोटिंग कराने के आदेश दिए। जब दोबारा वोटिंग हुई, तो फिर से हिंसा भड़क उठी। चुनाव आयोग ने फिर से चुनाव रद्द कर दिया। लंबे सियासी घटनाक्रम के बाद 27 मई को फिर से चुनाव की तारीखें तय की गईं, लेकिन वोटिंग से कुछ दिन पहले निर्दलीय उम्मीदवार अमीर सिंह की हत्या हो गई।
चौटाला ने दांगी के वोट काटने के लिए अमीर सिंह को डमी कैंडिडेट बनाया था। अमीर सिंह और दांगी एक ही गांव मदीना के थे। हत्या का आरोप भी दांगी पर लगा। जब पुलिस दांगी को गिरफ्तार करने उनके घर पहुंची, तो उनके समर्थक भड़क गए। पुलिस ने भीड़ पर गोलियां चली दीं। इसमें 10 लोगों की मौत हो गई।

पहली बार में सीएम बनने के साढ़े 5 महीने बाद इस्तीफा देना पड़ा
महम में हुई इस हिंसा का शोर संसद में भी गूंजने लगा। प्रधानमंत्री वीपी सिंह और गठबंधन के दबाव में तत्कालीन उपप्रधानमंत्री देवीलाल को झुकना पड़ा। पहली बार मुख्यमंत्री बनने के साढ़े 5 महीने बाद ही ओमप्रकाश चौटाला को इस्तीफा देना पड़ा। उनकी जगह बनारसी दास गुप्ता को CM बनाया गया।
दूसरी बार 5 दिन में ही मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा
कुछ दिन बाद चौटाला दड़बा सीट से उपचुनाव जीत गए। बनारसी दास को 51 दिन बाद ही पद से हटाकर चौटाला दूसरी बार CM बन गए। मगर, महम में हुई हिंसा का मामला ठंडा नहीं हुआ। प्रधानमंत्री वीपी सिंह भी चाहते थे कि चौटाला पर जब तक केस चल रहा है वे CM न बनें। मजबूरन 5 दिन बाद ही चौटाला को फिर से पद छोड़ना पड़ा। अब की बार उन्होंने मास्टर हुकुम सिंह फोगाट को CM बनाया।
केंद्र की मदद से तीसरी बार सिर्फ 15 दिन के लिए मुख्यमंत्री बने
साल 1990 के बाद प्रधानमंत्री वीपी सिंह सरकार को बाहर से समर्थन दे रही भाजपा ने राम मंदिर बनाने के लिए रथयात्रा निकालने का फैसला किया। वीपी सिंह ने आडवाणी से रथयात्रा न निकालने के लिए कहा, लेकिन वे नहीं माने। इसके बाद आडवाणी को आडवाणी को बिहार के समस्तीपुर से गिरफ्तार कर लिया गया।
गिरफ्तारी से नाराज भाजपा ने वीपी सिंह सरकार से समर्थन वापस से लिया। 7 नवंबर 1990 को वीपी सिंह की सरकार गिर गई। इसके बाद जनता दल से चंद्रशेखर पीएम बन गए और देवीलाल को उपप्रधानमंत्री बना दिया। इसके चार महीने बाद यानी, मार्च 1991 में देवीलाल ने हुकुम सिंह को हटाकर ओमप्रकाश चौटाला को तीसरी बार हरियाणा का मुख्यमंत्री बनवा दिया।

इस फैसले से राज्य में पार्टी के कई विधायक नाराज हो गए। कुछ विधायकों ने पार्टी भी छोड़ दी। नतीजा ये हुआ कि 15 दिनों के भीतर ही सरकार गिर गई। राज्य में राष्ट्रपति शासन लग गया। 15 महीने के भीतर तीसरी बार चौटाला ने CM पद से इस्तीफा दिया था।