एक देश एक चुनाव पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व वाली कमेटी ने अधिसूचना जारी होने के बाद काम शुरू कर दिया है। सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार केंद्रीय कानून मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने रविवार को रामनाथ कोविंद से मुलाकात कर उन्हें एक देश-एक चुनाव के मसले पर अपना सुझाव दिया है। केंद्रीय कानून सचिव और कमेटी के सचिव नितेन चंद्रा, विधायी सचिव रीता वशिष्ठ सहित कई अधिकारियों ने रामनाथ कोविंद से मुलाकात की।
वहीं केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने अपने एक साक्षात्कार के दौरान देश में लोकसभा चुनाव समय से पहले या बाद में करवाने की मंशा को दरकिनार किया है। उनका कहना है कि ऐसा कदम उठाने की सरकार की कोई मंशा नहीं है। अनुराग ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने कार्यकाल के आखिरी दिनों में भी देश और जनता की सेवा करना चाहते है। यह बात भी झूठ नहीं है कि भाजपा काफी समय से एक देश एक चुनाव के पक्ष में है, क्योंकि ऐसा करके बचाया गया धन आमजन और देश के विकास में प्रयोग किया जा सकता है।
बता दें कि केंद्र की मोदी सरकार ने एक देश एक चुनाव पर चर्चा के लिए विशेष संसद सत्र बुलाया है। यह विशेष सत्र 18 से 22 सितंबर तक चलेगा, जो कि 17वीं लोकसभा का 13वां और राज्यसभा का 261वां सत्र होगा। सत्र के तहत 5 बैठकें की जाएंगी। विशेष सत्र बुलाने और पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व में कमेटी गठित करने के बाद अटकलें शुरू हो गई थी कि देश में एक देश एक चुनाव करवाए जा सकते हैं। इन चुनाव को समय से पहले करवाया जा सकता है। हालांकि इसको लेकर सरकार की तरफ से अभी कोई बयान जारी नहीं किया गया है। वहीं गठित की गई कमेटी ने अपना कार्य शुरू कर दिया है। ऐसे में सरकार का विशेष सत्र बुलाने का क्या उद्देश्य है, यह भविष्य के गर्भ में है।
सरकार ने अधिसूचना में विधि आयोग की 170वीं रिपोर्ट का दिया है हवाला
संसद की स्थायी समिति की ओर से दिसंबर 2015 में अपनी 79वीं रिपोर्ट में लोकसभा और विधानसभा चुनाव दो चरणों मे करवाने की सिफारिश की गई थी। वहीं शनिवार को जारी अधिसूचना में सरकार ने विधि आयोग की 170वीं रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा है कि हर वर्ष बिना तय समय के होने वाले चुनाव पर रोक लगाना आवश्यक है। अलग चुनाव अपवाद की स्थिति में होना चाहिए। लोकसभा और विधानसभाओं चुनाव के लिए पांच साल में एक बार नियम होना चाहिए।
कमेटी गठित होते ही कांग्रेस ने जताया था विरोध
केंद्र सरकार की ओर से विशेष सत्र को लेकर कमेटी गठित करने के फैसले की जानकारी मिलते ही कांग्रेस पार्टी की ओर से विरोध जताया गया था। कांग्रेस का कहना है कि आखिर पूरे देश में एक साथ चुनाव कराए जाने की क्या जल्दी है? देश में महंगाई, बेरोजगारी समेत कई मुद्दे हैं, जिन पर सरकार को पहले कार्यवाही करनी चाहिए। कमेटी में शामिल किए गए कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि महंगाई के मुद्दे पर केंद्र सरकार की नीयत साफ नहीं है, जबकि बाद में उन्होंने कमेटी का हिस्सा बनने की सहमति को दरकिनार कर दिया था। साथ ही कमेटी में शामिल नहीं होने के लिए गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखा था। वहीं AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी ने भी सरकार के इस फैसले पर विरोध जताया था।
विशेष सत्र में इन विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की संभावना
संसद के विशेष सत्र में विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की संभावना जताई जा रही है। इन मुद्दों में सरकार की ओर से लोकसभा-विधानसभा चुनाव एक साथ कराने का बिल आ सकता है। महिलाओं के लिए संसद में एक-तिहाई अतिरिक्त सीट देना और नए संसद भवन में शिफ्टिंग का मुद्दा भी शामिल हो सकता है। साथ ही यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल पेश किया जा सकता है। आरक्षण पर प्रावधान संभव है। OBC की केंद्रीय सूची के उप-वर्गीकरण, आरक्षण के असमान वितरण के अध्ययन के लिए 2017 में बने रोहिणी आयोग ने 1 अगस्त को राष्ट्रपति को रिपोर्ट दी है।
सरकार ने 2 सितंबर को जारी की थी 8 सदस्यों की सूची
एक देश एक चुनाव के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनाई गई कमेटी के लिए सरकार ने 2 सितंबर को आठ सदस्यों का नाम जारी किया था। इनमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, राज्यसभा में पूर्व नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी को शामिल किया गया है। इनके अलावा कमेटी में 15वें वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एनके सिंह, लोकसभा के पूर्व महासचिव डॉ. सुभाष कश्यप, वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त संजय कोठारी भी शामिल हैं। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल समिति में विशेष आमंत्रित सदस्य और विधि विभाग के सचिव नितेन चंद्र समिति के सचिव होंगे। अधीर रंजन चौधरी ने कमेटी में शामिल होने से इनकार कर दिया था। हालांकि यह भी दावा किया जा रहा है कि नामों के साथ नोटिफिकेशन जारी होने से पहले कांग्रेस नेता चौधरी ने एक देश एक चुनाव कमेटी का हिस्सा बनने के लिए अपनी सहमति दे दी थी।
देश में पहले भी हो चुके हैं एक साथ चुनाव
बता दें कि देश में पहले भी वर्ष 1951-1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभाओं में एक साथ चुनाव कराए जा चुके हैं। संवैधानिक विशेषज्ञ के अनुसार अगर एक देश एक कानून बिल को लागू किया जाता है तो इसके लिए संविधान में कम से कम 5 संशोधन किए जाने चाहिए। बता दें कि संसद के मानसून सत्र के दौरान कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने बताया था कि लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के व्यावहारिक रोडमैप और रूपरेखा तैयार करने के लिए मामले को जांच के लिए विधि आयोग के पास भेज दिया गया है।