Supreme Court On Raghav Chaddha : सुप्रीम कोर्ट ने आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा को राज्यसभा के सभापति से मिलकर बिना शर्त माफी मांगने को कहा है। कोर्ट ने कहा कि आप सभापति से मिलकर बिना शर्त माफी मांगें। जिसके बाद सभापति इस आधार पर विचार कर सकते हैं कि वह एक युवा सदस्य हैं। इस तरह उनके निलंबन को खत्म करने का रास्ता निकल सकता है।
राघव चड्ढा ने राज्यसभा से अपने निलंबन को चुनौती दी थी। अगस्त में उनको निलंबित किया गया था। उन पर आरोप था कि उन्होंने अपने साथी 5 सांसदों की सहमति के बिना उनके नाम के हस्ताक्षर किए थे। अपना नाम सेलेक्ट कमेटी के लिए प्रस्तावित करने के आरोप में उनको निलंबित किया गया था। यह मामला अभी संसद की विशेषाधिकार कमेटी के पास है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है इस मामले के निपटारे के लिए माफी का रास्ता उचित है। जिसके बाद सभापति उनके निलंबन वापसी पर गौर करेंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने राज्यसभा सचिवालय को भी किया था नोटिस जारी
इससे पहले की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने राज्यसभा सचिवालय को नोटिस जारी करते हुए पूछा था कि एक सांसद को कब तक निलंबित रखा जा सकता है। बीते दिनों आप सांसद के मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने अटार्नी जनरल से संसद सदस्यों के निलंबन के नियमों के बारे में सवाल जवाब किया। उन्होंने सवाल किया कि एक संसद सदस्य को कब तक निलंबित किया जा सकता है।

क्या राघव चड्ढा की गलती बड़ी है?
क्या सदन की कार्यवाही बाधित करने वालों को एक सत्र के लिए निलंबित किया जा सकता है या उससे अधिक समय के लिए चड्ढा को निलंबित रहना होगा। क्या उनकी गलती उससे भी बड़ी है? अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमनी ने कहा कि यह विषय राज्यसभा के अधिकार क्षेत्र में आता है। इस पर कोर्ट में सुनवाई नहीं होनी चाहिए। इससे पहले राघव चड्ढा की याचिका पर 16 अक्तूबर को सुप्रीम कोर्ट ने राज्यसभा सचिवालय को नोटिस जारी किया था।

आप सांसद राघव चड्ढा माफी मांगने को तैयार
कोर्ट के आदेश के बाद राघव चड्ढा की ओर से उनके वकील का कहना है कि राघव चड्ढा सभापति से बिना शर्त माफी मांगने के लिए तैयार हैं। कोर्ट में सुनवाई के दौरान यह भी बताया गया कि पूरे मामले में आप सांसद राघव चड्ढा का सदन की गरिमा पर हमला करने का कोई इरादा नहीं था।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट को इस बात को लेकर आश्वास्त दिया गया कि राघव चड्ढा सभापति से मिलेंगे और बिन शर्त उनसे लिखित रूप में माफी मांगेंगे। इसके बाद सदन के तथ्यों और परिस्थितियों की पृष्ठभूमि में सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जाएगा। पूरे मामले में निर्देश देने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस मामले में अगली सुनवाई अब दिवाली के बाद होगी।

