- ऑपरेशन सिंदूर पर पोस्ट के बाद गिरफ्तार अली खान महमूदाबाद को सुप्रीम कोर्ट से मिली अंतरिम जमानत, लेकिन जांच होगी SIT से
- हरियाणा पुलिस की FIR रद्द नहीं हुईं, सुप्रीम कोर्ट ने 24 घंटे में SIT गठित करने का आदेश दिया, एक महिला IPS अधिकारी भी होंगी शामिल
- 18 मई को हुई थी गिरफ्तारी, आरोप हैं देश की अखंडता को ठेस पहुंचाने और महिला सैन्य अधिकारियों के अपमान का
Ali Khan Interim Bail: ऑपरेशन सिंदूर पर सोशल मीडिया पोस्ट के चलते गिरफ्तार किए गए अशोका यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद की जांच अब SIT के हवाले की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें बुधवार को अंतरिम जमानत दी थी, जिसके बाद गुरुवार को सोनीपत जेल से उनकी रिहाई हुई। हालांकि रिहाई के वक्त न तो उन्होंने मीडिया से बात की और न ही उनके वकील ने कोई बयान दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा पुलिस द्वारा दर्ज की गई दो FIR की जांच पर रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा कि इस मामले की निष्पक्ष जांच जरूरी है। कोर्ट ने हरियाणा के DGP को निर्देश दिया है कि वह 24 घंटे के भीतर तीन वरिष्ठ IPS अधिकारियों की एक SIT का गठन करें, जिसमें कम से कम एक महिला अधिकारी शामिल हो। यह विशेष जांच दल अली खान पर लगे आरोपों की विस्तृत जांच करेगा।
कोर्ट ने प्रोफेसर महमूदाबाद को स्पष्ट शर्तों के साथ अंतरिम राहत दी है – वे ऑपरेशन सिंदूर, हाल के आतंकी हमले या भारत की सैन्य कार्रवाई पर कोई लेख, भाषण या सार्वजनिक टिप्पणी नहीं करेंगे। साथ ही उन्हें अपना पासपोर्ट सोनीपत के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को सौंपना होगा।
गौरतलब है कि 18 मई को दिल्ली के ग्रेटर कैलाश से अली खान को गिरफ्तार किया गया था। उनके खिलाफ दो एफआईआर दर्ज हैं — पहली हरियाणा बीजेपी युवा मोर्चा के महासचिव योगेश जठेरी की शिकायत पर, और दूसरी हरियाणा महिला आयोग की अध्यक्ष रेणु भाटिया की शिकायत पर। आरोपों में देश की संप्रभुता और अखंडता को नुकसान पहुंचाना, सांप्रदायिक नफरत फैलाना और महिला सैन्य अधिकारियों का अपमान शामिल हैं।
अब इस संवेदनशील और राजनीतिक रूप से गंभीर प्रकरण की जांच SIT करेगी, जिससे इस बात पर रोशनी डाली जाएगी कि क्या प्रोफेसर की पोस्ट कानून की सीमाएं लांघ गई थी या नहीं।