Gurugram स्थित बॉम्बे शेविंग कंपनी के सीईओ और संस्थापक शांतनु देशपांडे ने हाल ही में भारत की वर्क कल्चर पर एक बेबाक पोस्ट साझा किया, जो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। उन्होंने लिंक्डइन पर भारतीय कर्मचारियों की नौकरी के प्रति असंतोष और देश की धन असमानता पर अपने विचार रखे।
99% लोग अगले दिन काम पर नहीं जाएंगे
देशपांडे ने लिखा कि अगर भारत में सभी को जीविका के लिए वित्तीय सुरक्षा और पर्याप्त पैसे मिल जाएं, तो 99% लोग अपनी नौकरी छोड़ देंगे और अगले दिन काम पर नहीं आएंगे। उनका कहना है कि भारतीय कर्मचारी अपनी नौकरी का आनंद नहीं लेते और अधिकांश लोग केवल अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए काम करते हैं।
हर क्षेत्र में एक जैसी स्थिति
उन्होंने लिखा कि यह स्थिति केवल एक क्षेत्र तक सीमित नहीं है। ब्लू-कॉलर वर्कर्स, सरकारी कर्मचारी, गिग वर्कर्स, फैक्ट्री वर्कर्स, बीमा एजेंट, बैंक कर्मचारी, छोटे व्यवसायी, यहां तक कि उनकी खुद की कंपनी के कर्मचारी भी इस असंतोष का हिस्सा हैं।
250 सालों से चली आ रही व्यवस्था पर सवाल
शांतनु ने कहा कि सुबह से रात तक, हफ्तों और महीनों तक अपने परिवार से दूर रहकर केवल वेतन की उम्मीद में काम करना, एक लटकते हुए गाजर के पीछे भागने जैसा है। यह व्यवस्था 250 सालों से चली आ रही है और हम इसे सही मानकर स्वीकार कर चुके हैं। देशपांडे ने देश में धन असमानता पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि भारत की संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा मात्र 2,000 परिवारों के पास है, जबकि ये परिवार 1.8% से भी कम करों का भुगतान करते हैं।
देशपांडे की पोस्ट पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। कुछ लोगों ने सहमति जताते कह रहते हैं कि नौकरी केवल वित्तीय स्थिरता देती है, लेकिन संतोष नहीं। वहीं, कुछ ने तर्क दिया कि नौकरी लोगों को मानसिक रूप से सक्रिय बनाए रखती है और जीवन को अनुशासन प्रदान करती है।
बहरहाल, शांतनु देशपांडे के इस बयान ने भारत में वर्क कल्चर और सामाजिक-आर्थिक असमानता पर चर्चा के नए आयाम खोल दिए हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मुद्दे पर आगे क्या बहस होती है और क्या इससे भारतीय कार्य संस्कृति में कोई बदलाव आता है।
कौन हैं शांतनु देशपांडे
शांतनु देशपांडे एक प्रमुख भारतीय उद्यमी हैं और बॉम्बे शेविंग कंपनी के संस्थापक और सीईओ के रूप में जाने जाते हैं। वह अपनी बेबाक राय और आधुनिक व्यवसायिक दृष्टिकोण के लिए मशहूर हैं। सोशल मीडिया पर उनके विचार अक्सर चर्चा का विषय बनते हैं। उनकी स्पष्टवादिता और बेबाक टिप्पणियां उन्हें सुर्खियों में रखती हैं। हालांकि, कई बार उनके बयान विवादित भी हो जाते हैं। इससे पहले उन्होंने युवाओं को करियर की शुरुआत में 12 घंटे काम करने की सलाह दी थी, जिसे आलोचना का सामना करना पड़ा।