हरियाणा में भाजपा की राज्यसभा उम्मीदवार Kiran Chaudhary को मंगलवार को निर्विरोध राज्यसभा सांसद चुन लिया गया। रिटर्निंग ऑफिसर साकेत कुमार ने उन्हें राज्यसभा सीट से निर्विरोध सांसद का प्रमाण पत्र सौंपा।
भाजपा ने 20 अगस्त को किरण चौधरी को राज्यसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार घोषित किया था। 21 अगस्त को उन्होंने मुख्यमंत्री नायब सैनी की उपस्थिति में अपना नामांकन दाखिल किया। चूंकि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों की ओर से कोई उम्मीदवार नहीं खड़ा किया गया, इसलिए किरण चौधरी का निर्विरोध राज्यसभा सांसद बनना तय था। आज रिटर्निंग ऑफिसर ने उन्हें निर्वाचन सर्टिफिकेट देकर इसकी आधिकारिक पुष्टि की।
कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा में हुईं शामिल
किरण चौधरी ने पहले कांग्रेस विधायक के रूप में भिवानी के तोशाम से इस्तीफा दिया, जिसे हरियाणा विधानसभा के स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता ने स्वीकार कर लिया। किरण चौधरी ने अपनी बेटी श्रुति चौधरी की भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट से टिकट कटने के बाद कांग्रेस छोड़ दी थी। भाजपा में शामिल होने के दो महीने बाद उन्हें राज्यसभा भेजा जा रहा है। हरियाणा की यह राज्यसभा सीट कांग्रेस के दीपेंद्र हुड्डा के इस्तीफे के बाद खाली हुई थी, जिनका कार्यकाल अप्रैल 2026 तक था।
राज्यसभा चुनाव की प्रक्रिया
राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया 14 अगस्त से शुरू हुई थी और अंतिम तारीख 21 अगस्त थी। इस प्रक्रिया में केवल किरण चौधरी ने नामांकन दाखिल किया। 27 अगस्त को नाम वापसी का दिन था, लेकिन चूंकि कोई अन्य उम्मीदवार नहीं था, इसलिए किरण चौधरी निर्विरोध चुनी गईं।
सीएम सैनी का बयान और समर्थन
नामांकन के बाद सीएम नायब सैनी ने कहा था कि किरण चौधरी को जीत के लिए आवश्यक विधायकों से ज्यादा समर्थन मिला है, जिसमें JJP के बागी विधायक जोगीराम सिहाग, अनूप धानक, रामनिवास सुरजाखेड़ा और रामकुमार गौतम भी शामिल हैं। इसके अलावा निर्दलीय नयनपाल रावत और हलोपा के गोपाल कांडा भी किरण के समर्थन में हैं।
राज्यसभा जाने की 20 साल पुरानी इच्छा पूरी
किरण चौधरी ने भाजपा के शीर्ष नेतृत्व का धन्यवाद करते हुए कहा था, “मैं भाजपा के लिए काम करूंगी और हरियाणा के मुद्दों को राज्यसभा में उठाऊंगी।” राज्यसभा जाने की किरण चौधरी की 20 साल पुरानी इच्छा अब पूरी हो रही है। इससे पहले, 2004 में वह ओमप्रकाश चौटाला की वजह से राज्यसभा चुनाव हार गई थीं।
2004 में राज्यसभा चुनाव की कहानी
जून 2004 में ओमप्रकाश चौटाला की INLD सरकार के दौरान हुए राज्यसभा चुनाव में किरण चौधरी कांग्रेस की उम्मीदवार थीं। लेकिन मतदान से तीन दिन पहले विधानसभा अध्यक्ष सतबीर सिंह कादियान ने किरण चौधरी का समर्थन कर रहे छह विधायकों को दल-बदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित कर दिया था। इस कारण किरण चौधरी हार गई थीं।