आत्मा

Garuda Purana:  मृत्यु के 24 घंटे बाद यमराज छोड़ जाते हैं आत्मा घर वापिस, जानिए क्या है इसके पीछे की वजह?

धर्म-कर्म

Garuda Purana: हिंदु धर्म में 16 संस्कार होते है, जिनमें से एक अंतिम संस्कार होता है। मरने के बाद यमराज मृतक की आत्मा को अपने साथ यमलोक लेकर चले जाते हैं। व्यक्ति को अपने कर्मों का फल भोगना पड़ता है। सनातन धर्म में कई महत्वपूर्ण ग्रंथ हैं, जिनमें से गरुड़ पुराण एक अहम ग्रंथ है। इस ग्रंथ में 19 हजार श्लोक हैं, जिसके सात हजार श्लोक में इंसान के जीवन से संबंधित है। इसमें नरक, स्वर्ग, रहस्य, नीति, धर्म और ज्ञान का उल्लेख किया गया है।

यह जगत के पालनहार भगवान विष्णु के द्वारा अपने भक्तों को दिए गए ज्ञान पर आधारित है। इस पुराण में मृत्यु के बाद की स्थिति को भी वर्णन किया गया है। जिस इंसान की मृत्यु होती है उसकी आत्मा को गरुड़ पुराण सुनाया जाता है। आपने अक्सर सुना होगा कि 13 दिनों तक मृतक व्यक्ति की आत्मा घर में ही भटकती रहती है। आपके मन में भी सवाल जरूर होगा। इस सवाल का जवाब आज हम आपको इस लेख के द्वारा देंगे।

गरुड़ पुराण के अनुसार

गरुड़ पुराण में बताया गया है कि जब किसी इंसान की मृत्यु होती है तो यमराज के यमदूत उसे अपने साथ यमलोक ले जाते हैं। जहां पर उसके अच्छे और बुरे कर्मों का हिसाब होता है। इसके बाद 24 घंटे के अंदर यमदूत उस व्यक्ति की आत्मा को वापिस उसके घर छोड़ जाते हैं। यमदूत के द्वारा आत्मा को वापिस छोड़ जाने के बाद मृतक की आत्मा अपने परिजनों के बीच भटकती रहती है और अपने परिजनों को पुकारती रहती है, लेकिन उसकी आवाज को कोई नहीं सुन पाता। जिस वजह से मृत व्यक्ति की आत्मा बेचैन हो जाती है और जोर-जोर से चिलाने लगती है। आत्मा अपने शरीर के अंदर प्रवेश करने की कोशिश करती है, परंतु यमदूत की बंदिश होने के कारण वह मृत शरीर में प्रवेश नहीं कर पाती।

आपकी जानकारी के सिए बता दें कि जब यमदूत आत्मा को उनके परिजनों के पास छोड़ जाती है तो उस समय उस आत्मा में इतना बल नहीं होता कि वो यमलोक की यात्रा तय कर पाए। जब 13वें दिन 13वीं की जाती है तो उस दिन मृतक के नाम का पिंडदान किया जाता है। उसी से ही वो यमलोक तक की यात्रा तय करते हैं। जब किसी मनुष्य की मृत्यु हो जाती है तो उसकी आत्मा 13 दिनों तक अपने परिजनों के पास घर में भटकती रहती है और उसके बाद आत्मा मृत लोक से यमलोक की ओर निकल पड़ती है, जहां उसे अपने कर्मों को भोगना पड़ता है।

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