Supreme Court ने उत्तर प्रदेश(Uttar Pradesh) में कांवड़ यात्रा के रूट(Kanwar Yatra route) पर दुकानदारों को अपनी पहचान बताने(shopkeepers reveal their identity) के सरकारी आदेश पर अंतरिम रोक(stays government order) लगा दी है। कोर्ट ने कहा कि दुकानदारों को अपनी पहचान बताने की जरूरत नहीं है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी किया है और शुक्रवार तक जवाब देने को कहा है। अगली सुनवाई 26 जुलाई को होगी।
उत्तर प्रदेश सरकार ने कांवड़ यात्रा के रूट पर दुकान मालिकों को अपने नाम और नंबर लिखने का आदेश दिया था। इस आदेश के खिलाफ एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स नाम के एक NGO ने 20 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। याचिकाकर्ता के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने तर्क दिया कि यह आदेश अल्पसंख्यकों की पहचान कराकर उनका आर्थिक बहिष्कार करने का प्रयास है, जो कि चिंताजनक है। सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस द्वारा अपनी ताकत का गलत इस्तेमाल करने पर टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि दुकानदारों को यह बताना जरूरी है कि उनका भोजन शाकाहारी है या मांसाहारी, लेकिन उन्हें अपना नाम लिखने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए। यह आदेश पुलिस और यूपी सरकार द्वारा दो स्तरों पर जारी हुआ था।

मुजफ्फरनगर के SSP अभिषेक सिंह ने 17 जुलाई को कहा था कि जिले के करीब 240 किमी एरिया में कांवड़ यात्रा का मार्ग पड़ता है। सभी होटल, ढाबा, दुकान और ठेले वालों को अपनी दुकान के बाहर मालिक का नाम और नंबर साफ अक्षरों में लिखना पड़ेगा। उनका कहना था कि यह कदम कांवड़ियों में किसी प्रकार की कन्फ्यूजन न हो और कानून व्यवस्था बनी रहे, इसलिए जरूरी था। मुजफ्फरनगर पुलिस का यह आदेश सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद 19 जुलाई को सरकार ने इसे पूरे राज्य में लागू कर दिया। सरकार का कहना था कि कांवड़ियों की शुचिता बनाए रखने के लिए यह फैसला लिया गया है। इसके साथ ही हलाल सर्टिफिकेशन वाले प्रोडक्ट बेचने वालों पर भी कार्रवाई की जाएगी।

कांवड़ यात्रा का महत्व
उत्तर प्रदेश में सावन के महीने में आयोजित होने वाली कांवड़ यात्रा में देश के अलग-अलग राज्यों से लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं। इन्हें कांवड़िया कहा जाता है। ये कांवड़िए हरिद्वार से गंगा जल लेकर विभिन्न शिवालयों में जलाभिषेक करते हैं। हर साल इस यात्रा में करीब 4 करोड़ श्रद्धालु शामिल होते हैं। करीब एक महीने तक चलने वाली कांवड़ यात्रा के दौरान हर श्रद्धालु एक से डेढ़ हजार रुपए तक खर्च करता है।

अगली सुनवाई 26 जुलाई को
इस हिसाब से पूरी कांवड़ यात्रा के दौरान 5 हजार करोड़ रुपए तक का कारोबार होता है। कांवड़िए खाने-पीने से लेकर हर दिन की जरूरत का ज्यादातर सामान रास्ते में पड़ने वाली दुकानों से ही खरीदते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने दुकानदारों को पहचान बताने के आदेश पर रोक लगाकर एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है। अब अगली सुनवाई 26 जुलाई को होगी, जिसमें सरकार से इस मामले में जवाब मांगा जाएगा।
