हरियाणा विधानसभा के बजट सत्र के दूसरे दिन एक नई परंपरा की शुरुआत हुई। विधानसभा अध्यक्ष हरविंद्र कल्याण ने सोमवार को शून्यकाल में बोलने के लिए समय सीमा को बढ़ाने की घोषणा की। अब विधायकों को अपनी बात रखने के लिए 3 मिनट की बजाय 5 मिनट का समय मिलेगा, जिससे वे अधिक प्रभावी ढंग से अपने मुद्दे उठा सकेंगे।
विधानसभा अध्यक्ष हरविंद्र कल्याण ने बताया कि उन्होंने पिछले 10 वर्षों में बतौर विधायक अनुभव किया कि शून्यकाल को और अधिक प्रभावी बनाया जाना चाहिए। इसी विचार को ध्यान में रखते हुए 6 मार्च 2025 को एक सर्वदलीय बैठक आयोजित की गई, जिसमें शून्यकाल की प्रक्रिया को अधिक उत्पादक और व्यवस्थित बनाने पर चर्चा हुई।
नई व्यवस्था के तहत क्या होंगे बदलाव?
- अब लंबे सत्रों में विधायकों को 5 मिनट तक शून्यकाल में बोलने का अवसर मिलेगा।
- छोटे सत्रों में लोकसभा की तर्ज पर सीमित शब्दों में नोटिस पढ़ने की सुविधा दी जाएगी, जिससे संक्षेप में विषय सरकार के संज्ञान में लाया जा सकेगा।
- सभी सदस्यों से अपील की गई है कि वे निश्चित समय सीमा में लोकहित के मुद्दों पर केंद्रित रहें, ताकि चर्चा अधिक व्यवस्थित और प्रभावशाली हो।
अध्यक्ष ने सदन के सदस्यों से अपील की कि वे नई व्यवस्था के तहत अनुशासन बनाए रखें और जनता से जुड़े मुद्दों को प्राथमिकता दें। उन्होंने कहा कि सदन में व्यवधान पैदा करने से आमजन के मुद्दों की अनदेखी होती है, इसलिए सभी विधायकों को सुनिश्चित करना होगा कि चर्चा सार्थक हो और प्रदेश की जनता को इसका अधिकतम लाभ मिले।