हरियाणा सरकार द्वारा लगातार ड्यूटी से अनुपस्थित चल रहीं IAS अधिकारी रानी नागर को जबरन सेवानिवृत्त (Compulsory Retirement) करने का प्रस्ताव UPSC (संघ लोक सेवा आयोग) ने खारिज कर दिया है। आयोग ने इस पर असहमति जताई है और रानी नागर का दो वर्षों के लिए ग्रेड डाउन करने की सिफारिश की है। हालांकि UPSC ने इस निर्णय के पीछे कोई कारण नहीं बताया है, लेकिन इस आशय का पत्र केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्रालय (DoPT) को भेजा गया है।
वहीं, हरियाणा सरकार ने UPSC की इस सिफारिश को मानने से इनकार करते हुए दोबारा जबरन रिटायरमेंट का संशोधित प्रस्ताव मंत्रालय को भेज दिया है। मंत्रालय ने तकनीकी खामियों के चलते प्रस्ताव को वापस भेज दिया है। अब हरियाणा सरकार इस मामले में अगली कानूनी और प्रशासनिक रणनीति तय कर रही है। रानी नागर को भी पत्र भेजकर सूचना दे दी गई है।
रानी नागर, जो मूल रूप से उत्तर प्रदेश की रहने वाली हैं, हरियाणा कैडर की 2014 बैच की IAS अधिकारी हैं। उन्हें अंतिम बार 11 मार्च 2020 को अभिलेखागार विभाग में अतिरिक्त सचिव और निदेशक पद पर नियुक्त किया गया था। लेकिन 27 अक्टूबर 2020 के बाद से वे बिना सूचना के ड्यूटी से अनुपस्थित हैं। इसी आधार पर राज्य सरकार ने उन्हें सेवानिवृत्त करने का प्रस्ताव भेजा था।
इस पूरे मामले में अब संविधान के अनुच्छेद 311 के तहत कार्रवाई की जा रही है, जिसमें UPSC की सलाह बाध्यकारी नहीं होती, लेकिन उसका महत्व होता है। यदि दोबारा भी UPSC इस प्रस्ताव को नामंजूर करता है, तो सरकार को रानी नागर के विरुद्ध वैकल्पिक अनुशासनात्मक कार्रवाई करनी होगी।