- हरियाणा सरकार ने यूरिया और डीएपी खाद की बढ़ती खपत को लेकर ग्राउंड वेरिफिकेशन शुरू किया।
- 20 से अधिक बोरी खाद खरीदने वाले किसानों की जांच की जा रही है, कालाबाजारी की आशंका।
- यमुनानगर और जींद में यूरिया की सबसे ज्यादा खपत दर्ज, फील्ड स्टाफ को तीन दिन में रिपोर्ट देने के निर्देश।
हरियाणा में यूरिया और डीएपी खाद की अप्रत्याशित रूप से बढ़ती खपत को देखते हुए सरकार ने इसे गंभीरता से लिया है। हरियाणा कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने 20 या उससे अधिक बैग खाद खरीदने वाले किसानों का ग्राउंड वेरिफिकेशन शुरू कर दिया है। कृषि विभाग के निदेशक ने इस संबंध में सभी जिलों के कृषि उपनिदेशकों (DDA) को दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं और जांच आज से शुरू हो गई है।

सूत्रों के अनुसार, यमुनानगर और जींद ऐसे जिले हैं जहाँ यूरिया और डीएपी की सर्वाधिक खपत दर्ज की गई है। विभाग ने आशंका जताई है कि कहीं खाद का दुरुपयोग या कालाबाजारी तो नहीं हो रही। इस पर रोक लगाने के लिए विभाग ने कृषि और पुलिस अधिकारियों के उड़न दस्ते बनाए हैं। इसके अलावा राज्य की सीमाओं और रिटेल स्टोर्स पर निगरानी बढ़ा दी गई है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 1 अप्रैल से 11 जुलाई 2025 तक 6.63 लाख मीट्रिक टन यूरिया की बिक्री हो चुकी है, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह संख्या 5.39 लाख मीट्रिक टन थी। इस प्रकार, इस बार करीब 1.5 लाख मीट्रिक टन ज्यादा खाद की खपत हुई है। इससे स्टॉक पर दबाव बढ़ा है और सप्लाई चेन बाधित हो रही है।
कृषि विभाग ने IFMS पोर्टल के डेटा के आधार पर 20 से अधिक बैग यूरिया खरीदने वाले किसानों को तीन श्रेणियों में बांटा है:
- कैटेगरी 1: 40-50 बैग
- कैटेगरी 2: 30-40 बैग
- कैटेगरी 3: 20-30 बैग

इन श्रेणियों के किसानों का तीन दिनों के भीतर फील्ड वेरिफिकेशन किया जाएगा। पहले कैटेगरी 1 के किसानों की जांच होगी, फिर क्रमशः कैटेगरी 2 और 3 की। किसी भी नई खरीद पर तीन दिन के भीतर जांच अनिवार्य है और रिपोर्ट तुरंत मुख्यालय को भेजनी होगी।
जिला-स्तर पर खपत के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। रबी सीजन में यमुनानगर में 19,373 मीट्रिक टन और जींद में 16,913 मीट्रिक टन यूरिया की अतिरिक्त खपत हुई। चालू खरीफ सीजन में भी यह ट्रेंड जारी है — जींद में 13,327 और यमुनानगर में 6,035 मीट्रिक टन की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
सरकार का यह कदम यह सुनिश्चित करने की दिशा में है कि वास्तविक किसानों तक ही खाद पहुंचे और किसी प्रकार की बिचौलियों या गैरकृषि उपयोग पर लगाम लगाई जा सके।