➤करनाल के तेज गेंदबाज अंशुल कंबोज को भारतीय टेस्ट टीम में जगह मिली, इंग्लैंड दौरे पर चौथे टेस्ट में डेब्यू की संभावना।
➤रणजी ट्रॉफी में एक पारी में 10 विकेट लेने वाले तीसरे भारतीय बने, IPL में CSK ने 3.5 करोड़ में खरीदा।
➤संघर्ष से सफलता तक: 8 किमी पैदल चलकर एकेडमी जाने वाला खिलाड़ी अब भारत के लिए टेस्ट खेलने को तैयार।
हरियाणा के करनाल जिले के उभरते तेज गेंदबाज अंशुल कंबोज ने भारतीय टेस्ट क्रिकेट टीम में अपनी जगह पक्की कर ली है। इंग्लैंड के खिलाफ चल रही 5 टेस्ट मैचों की सीरीज में उन्हें चौथे टेस्ट के लिए टीम में बुलाया गया है। इस ऐतिहासिक मौके से पहले अंशुल इंग्लैंड में ही इंडिया ए टीम का हिस्सा थे, जहां उन्होंने दो अनौपचारिक टेस्ट मुकाबले खेलते हुए शानदार गेंदबाजी और बल्लेबाजी की।
इन दोनों मैचों में उन्होंने 5 विकेट लिए और एक अर्धशतक भी जड़ा। 3 ओवर में मात्र 6 रन देकर 2 विकेट उनकी सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी रही। मौजूदा परिस्थितियों में जब तेज गेंदबाज अर्शदीप सिंह और आकाशदीप चोटिल हैं, तब अंशुल के खेलने की संभावना और भी प्रबल हो गई है। अगर उन्हें मौका मिलता है, तो यह उनका पहला इंटरनेशनल टेस्ट मैच होगा।
अंशुल का क्रिकेट सफर संघर्ष से शुरू होकर सफलता तक पहुंचा है। उन्होंने 11 साल की उम्र में क्रिकेट खेलना शुरू किया और रोजाना 8 किलोमीटर पैदल चलकर गांव फाजिलपुर से करनाल की एकेडमी जाते थे। बाद में 2020 में वह स्थायी रूप से करनाल शिफ्ट हो गए। कोच सतीश राणा की देखरेख में उन्होंने खुद को एक ऑलराउंडर के रूप में साबित किया।
2022 में रणजी ट्रॉफी से डेब्यू करने वाले अंशुल ने घरेलू क्रिकेट में लगातार अच्छा प्रदर्शन किया। नवंबर 2024 में केरल के खिलाफ रणजी ट्रॉफी में उन्होंने एक पारी में सभी 10 विकेट लेकर इतिहास रच दिया। वह ऐसा करने वाले तीसरे भारतीय तेज गेंदबाज बने। IPL में मुंबई इंडियंस और चेन्नई सुपरकिंग्स दोनों टीमों से खेल चुके अंशुल को CSK ने 3.5 करोड़ में खरीदा था।
अब तक IPL में उन्होंने 11 मैचों में 10 विकेट लिए हैं और उनकी इकोनॉमी 9.08 रही है। एक मैच में 6 रन देकर 3 विकेट उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा है।
अंशुल की इस सफलता पर उनके परिवार की आंखें नम हैं लेकिन चेहरों पर गर्व है। किसान पिता उधम सिंह, गृहिणी मां पिंकी और सेना से सेवानिवृत्त दादा पूर्ण सिंह का यह सपना अब हकीकत में बदलता दिख रहा है। 18 जुलाई 2025 को वह अपनी पुरानी करनाल एकेडमी भी गए थे और बच्चों को टिप्स देते हुए प्रेरित किया।
आज अंशुल न केवल अपने गांव बल्कि पूरे देश के युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत बन चुके हैं।