नई दिल्ली — पुरुषों में होने वाला एक खतरनाक लेकिन अक्सर अनदेखा किया जाने वाला कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर अब धीरे-धीरे स्वास्थ्य विशेषज्ञों की सबसे बड़ी चिंता बनता जा रहा है। खासकर 50 वर्ष की उम्र के बाद यह रोग तेजी से फैलता है और शुरुआती लक्षण इतने मामूली होते हैं कि अक्सर लोग इन्हें नजरअंदाज कर देते हैं।
क्या है प्रोस्टेट कैंसर?
प्रोस्टेट एक छोटा ग्रंथि (gland) होती है, जो पुरुषों के मूत्राशय के नीचे स्थित होती है और वीर्य बनाने में अहम भूमिका निभाती है। जब इस ग्रंथि की कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं, तो यह प्रोस्टेट कैंसर कहलाता है।
प्रोस्टेट कैंसर के आम लक्षण:
- बार-बार पेशाब लगना, खासकर रात में
- पेशाब करने में कठिनाई या रुकावट आना
- पेशाब में खून आना या दर्द होना
- कमर, जांघ या पीठ के निचले हिस्से में लगातार दर्द
- यौन क्षमता में कमी या इरेक्टाइल डिसफंक्शन
विशेषज्ञों का कहना है कि ये लक्षण बेशक अन्य सामान्य बीमारियों से भी जुड़ सकते हैं, लेकिन लगातार बने रहने पर जांच जरूरी है।
इलाज और तकनीकें:
प्रोस्टेट कैंसर के इलाज में हाल के वर्षों में कई आधुनिक तकनीकों का विकास हुआ है:
- सर्जरी (Prostatectomy): कैंसर ग्रसित प्रोस्टेट को हटाना
- Radiation Therapy: कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए रेडिएशन
- Hormone Therapy: टेस्टोस्टेरोन को कम करना ताकि कैंसर न बढ़े
- Targeted Therapy और Immunotherapy: आधुनिक विकल्प जो अब भारत में भी उपलब्ध हैं
आवश्यकता के अनुसार डॉक्टर मरीज की उम्र, कैंसर के स्टेज और स्वास्थ्य स्थिति देखकर इलाज तय करते हैं।
कब करवाएं जांच?
विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि:
- 50 साल की उम्र के बाद हर पुरुष को सालाना PSA (Prostate Specific Antigen) टेस्ट करवाना चाहिए।
- जिनके परिवार में पहले प्रोस्टेट कैंसर रहा हो, वे 45 की उम्र से जांच शुरू करें।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
AIIMS के यूरोलॉजी विशेषज्ञ डॉ. अरुण मिश्रा के मुताबिक:
“प्रोस्टेट कैंसर को यदि स्टेज 1 या 2 में पकड़ लिया जाए, तो 90% मामलों में सफल इलाज संभव है। लेकिन भारत में जागरूकता की कमी के कारण लोग अंतिम स्टेज में आते हैं।”