weather 18 2

आर्मेनिया-अजरबैजान का ऐतिहासिक शांति समझौता: ईरान के विरोध के बीच ट्रंप का शांति कॉरिडोर प्रस्तावित

World बड़ी ख़बर

➤अमेरिका में ट्रंप की मौजूदगी में आर्मेनिया-अजरबैजान के बीच शांति समझौते पर हस्ताक्षर
➤‘ट्रंप रूट फॉर इंटरनेशनल पीस एंड प्रॉस्पेरिटी’ को अमेरिका का प्रमुख शांति प्रयास बताया गया
➤ईरान ने इस अमेरिकी मध्यस्थता और शांति कॉरिडोर को कड़ी नकारात्मक प्रतिक्रिया दी

शुक्रवार को अमेरिका के व्हाइट हाउस में आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच एक ऐतिहासिक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए गए, जिससे दशकों पुरानी दुश्मनी के बीच दोनों देशों के रिश्तों में सुधार की उम्मीद जगी है। इस मौके पर अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव, आर्मेनिया के प्रधानमंत्री निकोल पाशिनयान और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप मौजूद थे।

समझौते के तहत एक प्रमुख पारगमन गलियारा स्थापित करने का निर्णय लिया गया है, जिसे ‘ट्रंप रूट फॉर इंटरनेशनल पीस एंड प्रॉस्पेरिटी’ नाम दिया गया है। यह गलियारा अजरबैजान को उसके नखिचेवन एक्सक्लेव से जोड़ेगा, जो ईरान की सीमा के बेहद पास से गुजरता है। इस रास्ते के जरिए दोनों देशों के बीच व्यापार और यात्रा को सुविधाजनक बनाने के साथ ही क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा देना लक्ष्य है।

Whatsapp Channel Join

हालांकि, ईरान इस समझौते से पूरी तरह असहमत है और उसने ‘ट्रंप रूट’ की निंदा की है। ईरान की सीमा नखिचेवन एक्सक्लेव और अजरबैजान दोनों से लगती है, और उसे यह कॉरिडोर अपने क्षेत्रीय हितों के खिलाफ लगता है। ईरान के लिए यह कॉरिडोर एक सुरक्षा खतरा भी माना जा रहा है, इसलिए उसने इसे सिरे से खारिज कर दिया है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस मौके पर कहा कि यह उनके लिए सम्मान की बात है, हालांकि उन्होंने कहा कि उन्होंने इस उपलब्धि के लिए खासतौर पर कोई कोशिश नहीं की। ट्रंप ने अपनी भूमिका को शांति दूत के रूप में प्रस्तुत किया और इस शांति प्रयास से नोबेल शांति पुरस्कार की उम्मीद भी जाहिर की।

इस शांति समझौते से दक्षिण काकेशस क्षेत्र में रूस के प्रभाव में कमी आने की संभावना है, क्योंकि अमेरिका इस क्षेत्र में अपनी राजनीतिक पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रहा है। आर्मेनिया और अजरबैजान के नेताओं ने इस सफलता का श्रेय ट्रंप और उनकी टीम को दिया है।

यह समझौता क्षेत्रीय तनाव को कम करने, आर्थिक सहयोग बढ़ाने और राजनीतिक स्थिरता स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, लेकिन ईरान जैसे पड़ोसी देश का विरोध इसे चुनौती भी दे सकता है। आगामी दिनों में इस समझौते के क्रियान्वयन और प्रभाव पर सभी की नजरें टिकी रहेंगी।