राजस्थान का मर्ज जब हद से ज्यादा बढ़ने लगबा तो अधिकारियों को पुख्ता इलाज का फर्ज आया है। एक दशक से भी ज्यादा समय से धारूहेड़ा व आसपास के गांवों के लोगों के लिए खतरनाक साबित हो रहे भिवाड़ी से आ रहे दूषित पानी का रास्ता बंद होने के बाद राजस्थान के अधिकारियों की नींद टूट चुकी है। वीआईपी लोगों और अफसरों के बच्चों को पढ़ाने वाला एक स्कूल दूषित पानी के कारण कई दिनों से बंद पड़ा है। अब राजस्थान के अधिकारियों ने दूषित पानी को अपनी ही सीमा में एकत्रित कर ट्रीट करने के बाद पहाड़ी इलाके में भेजने की तैयारियां तेज कर दी हैं। तीन माह में इस योजना को सिरे चढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
पानी का बहाव धारूहेड़ा की ओर होने का बहाना बनाते हुए राजस्थान ने कभी भी दूषित पानी से परेशान हो रहे कस्बा व आसपास के गांवों के लोगों का दर्द नहीं समझा। जुलाई माह में धारूहेड़ा नगर पालिका प्रधान कंवर सिंह यादव के नेतृत्व में जब जनप्रतिनिधियों ने आंदोलन का रास्ता अपनाया तो जिला प्रशासन की ओर से सोहना रोड पर चार फुट ऊंचा रैंप बनाने का निर्णय लिया गया। सीएम मनोहर लाल ने खुद धारूहेड़ा का दौरा करते हुए केमिकल युक्त पानी का नजारा अपनी आंखों से देखकर दोनों राज्यों के अधिकारियों की मीटिंग ली। इसके बाद दोनों राज्यों के अधिकारियों की ज्वाइंट इंस्पेक्शन टीम बनाने के निर्देश दिए। इन निर्देशों पर भी राजस्थान के अधिकारियों ने कोई ध्यान नहीं दिया।
पहली बार छोड़े गए पानी ने दिखाया अधिकारियों को आइना
रैंप बनकर तैयार होने के बाद जब पहली बार भिवाड़ी की ओर से केमिकल युक्त पानी छोड़ा गया तो इस पानी ने वहां के अधिकारियों को आइना दिखाने का काम कर दिया। धारूहेड़ा की सीमा में भिवाड़ी की ओर से आ रहे नाले को भी अवरुद्ध कर दिया गया। इससे वहां से आने वाला दूषित पानी रैंप से टकराने के बाद वापस भिवाड़ी के सरकारी कार्यालयों व आवासीय कॉलोनियों की ओर रुख कर गया है। अब तक यह पानी भिवाड़ी क्षेत्र में खड़ा है। जिसका स्थाई समाधान करने के लिए अधिकारियों की नींद टूट चुकी है।
मॉडर्न स्कूल में नहीं लग रहीं कक्षाएं, वीआईपी बच्चों की बाधित हो रही पढ़ाई
भिवाड़ी के मॉडर्न स्कूल में उद्योगपतियों से लेकर अफसरों तक के बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। दूषित पानी के भराव के कारण स्कूल का अवकाश चल रहा है। जिस कारण वीआईपी बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है। दोनों राज्यों की सीमा पर बसी कॉलोनियों में जलभराव की स्थिति बनी हुई है। अलवर बाइपास से पानी अभी तक सूख नहीं पाया है। ऐसे में भिवाड़ी के लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। दूषित पानी का जो दंश अभी तक धारूहेड़ा क्षेत्र के लोग झेल रहे थे, वह अब भिवाड़ी के लोगों को झेलना पड़ रहा है।

रीको की खाली जमीन पर जाएगा पानी, 209 करोड़ का टेंडर जारी
सूत्रों से अनुसार भिवाड़ी के अधिकारियों ने दूषित पानी की समस्या का समाधान करने के लिए नगीना गार्डन के पास रीको की खाली पड़ी करीब 15 बीघा जमीन का चयन किया है। सीईटीपी बनाने के लिए 209 करोड़ रुपये का टेंडर हो चुका है। रीको की जमीन पर पानी एकत्रित करने के बाद इसे पंप सेटों से पाइपों के जरिए मिलकपुर की काली पहाड़ी के पास नाले में डाला जाएगा। नाले के जरिए यह पानी ऐसी बंजर भूमि पर चला जाएगा, जिसके दूर तक आबादी वाला क्षेत्र नहीं है। राजस्थान के अधिकारियों ने इस योजना को तीन माह में सिरे चढ़ाने की समय सीमा निर्धारित की है।
रंग ला रहा जनप्रतिनिधियों का आंदोलन
नगर पालिका अध्यक्ष कंवर सिंह यादव का कहना है कि बताया की रंग ला रहा जनप्रतिनिधियों का आंदोलन नप के पार्षदों ने एकजुट होकर जो आंदोलन शुरू किया था, उसके सकारात्मक परिणाम सामने आने लगे हैं। जिला प्रशासन के एक्शन और सीएम के प्रयासों से रैंप बनने के बाद हमारा दर्द राजस्थान को झेलना पड़ रहा है, जिस कारण वहां के अधिकारी समस्या का पुख्ता इंतजाम करने में लगे हुए हैं।