हरियाणा के जिला पानीपत में एक डेढ माह के मासूम बच्चे की निमोनिया बुखार से मौत होने का मामला सामने आया है। बच्चा 3 दिन से बुखार से पीड़ित था। जब परिजन बच्चे को गंभीर हालत में करनाल के घरौंडा से पानीपत के सिविल अस्पताल लेकर पहुंचे तो उसकी मौत हो गई। इससे पहले परिजन आपातकालीन वार्ड में पर्ची बनवाकर डॉक्टर के पास पहुंचे तो डॉक्टर ने परिजनों को बच्चे के मृत होने की बात कही। यह सुनते ही मां-बाप अस्पताल परिसर में ही बिलख-बिलख कर रोने लगे।
मासूम के पिता सतीश के अनुसार वह परिवार के साथ करनाल के घरौंडा में रहता हैं। परिवार में पत्नी काजल, ढाई साल का बड़ा बेटा आर्यन और डेढ़ माह का छोटा बेटा आयुष हैं। छोटे बेटे आयुष को 3 दिन पहले बुखार हुआ था। जिसकी उन्होंने घरौंडा के सरकारी अस्पताल में जांच करवाई तो डॉक्टर ने उसे निमोनिया बुखार होने की बात कही। इस दौरान डॉक्टर ने दवाईयां देते हुए हिदायत दी थी कि अगर बच्चे की हालत में सुधार न आए तो उसे पानीपत के सिविल अस्पताल में जांच करवा लें।
सतीश का कहना है कि दवाई लेने के बाद रात को बच्चे को कुछ आराम हो गया, लेकिन अगले दिन सुबह फिर से उसका बुखार बढ़ गया। इसके बाद वह बेटे को पानीपत सिविल अस्पताल में लेकर पहुंचे। अस्पताल तक पहुंचने पर बच्चा ठीक ढंग से सांस ले रहा था। अस्पताल पहुंचते ही उसकी तबीयत अचानक ज्यादा बिगड़ गई। इसके बाद वह आयुष को तुरंत इमरजेंसी वार्ड लेकर पहुंचे।
आरोप है कि डॉक्टर के पास जाने से पहले वह पर्ची बनवाने के लिए लाइन में लगे तो 5 मिनट से ज्यादा समय लग गया। इसके बाद डॉक्टर के पास पहुंचे तो उन्होंने बच्चे को मृत घोषित कर दिया। सतीश का आरोप है कि अगर पर्ची समय पर बन जाती तो शायद उसके बच्चे की जान बच सकती थी।