रेवाड़ी में एक इंश्योरेंस कंपनी ने कोविड-19 से पीड़ित मरीज के इलाज के लिए क्लेम नहीं दिया। इस मामले पर मरीज ने कंज्यूमर फोरम में शिकायत की थी। फोरम ने कंपनी पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया है। साथ ही फोरम ने कंपनी को मरीज के बिल की राशि 9 प्रतिशत ब्याज के साथ वापस करने के आदेश दिए हैं। अगर यह राशि 2 महीने के भीतर नहीं दी गई, तो कंपनी को 12 प्रतिशत ब्याज के साथ देना होगा।
बता दें कि मामले का विवाद सुनाने के लिए मरीज ने कंज्यूमर फोरम में मामला दायर किया था। मरीज का कहना था कि उन्होंने इंश्योरेंस कंपनी से इलाज के बिल का क्लेम किया था, लेकिन कंपनी ने क्लेम देने से मना कर दिया था। फोरम ने इस मामले में निर्णय सुनाते हुए कहा कि कोविड-19 जैसी बीमारी से पीड़ित मरीज को अलग से वार्ड में रखने की आवश्यकता थी ताकि यह बीमारी किसी और को न लग सके। इस निर्णय के बाद, कंज्यूमर फोरम ने इंश्योरेंस कंपनी को 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया है और उन्हें मरीज के बिल की राशि 9 प्रतिशत ब्याज के साथ वापस करने का आदेश दिया है। यह फैसला मरीज और इंश्योरेंस कंपनी के बीच में हुए मामले पर हुआ है। इसमें फोरम ने मरीज के हक की सुनिश्चित करने के लिए एक महत्त्वपूर्ण कदम उठाया है।
इलाज का दावा करने पर क्लेम देने पर किया था मना
यह कानूनी मामला एक इंश्योरेंस क्लेम से जुड़ा हुआ है, जिसमें कंज्यूमर फोरम ने फैसला सुनाया है। इसके अनुसार इंश्योरेंस कंपनी ने कोविड-19 से पीड़ित व्यक्ति के इलाज का दावा करने पर क्लेम देने से मना किया था। अधिकारियों ने कंज्यूमर फोरम में एक मामला दायर किया। जिसमें उन्होंने कंपनी के खिलाफ विवाद किया था। फोरम ने इस मामले को सुनने के बाद फैसला सुनाया और इंश्योरेंस कंपनी पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया है।
2 माह में राशि वापस नहीं की, तो देना होगा 12 प्रतिशत ब्याज
फोरम ने इसके अलावा इंश्योरेंस कंपनी को मरीज को बिल की राशि 9 प्रतिशत ब्याज के साथ वापस करने के आदेश भी दिए हैं। इसके अतिरिक्त, अगर 2 महीने के भीतर यह राशि वापस नहीं की गई, तो कंपनी को 12% ब्याज के साथ इसे देना होगा। यह एक अहम फैसला है जो मरीज और इंश्योरेंस कंपनी के बीच का मामला है। कंज्यूमर फोरम ने मरीज के हक की सुनिश्चित करने के लिए एक सख्त संदेश दिया है।