Uttarkashi Tunnel Rescue Update : उत्तराखंड की सिल्क्यारा-डंडालगांव टनल में दिवाली के दिन से फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकालने की उम्मीद जारी है। उन्हें बाहर निकालने के लिए तमाम कोशिशें की जा रही हैं, लेकिन हर बार कोई न कोई बाधा सफलता को हासिल करने में रोक लगा रही है। मजदूरों को बाहर निकलाने के लिए आज रेस्क्यू का 16वां दिन है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव डॉ. पीके मिश्रा ने सिल्कयारा टनल का दौरा किया और वहां फंसे श्रमिकों से बातचीत की। इस दौरान डॉ. मिश्रा ने मजदूरों के परिजनों से भी मुलाकात कर बातचीत की। साथ ही उन्होंने टनल में फंसे मजदूरों को भेजी जा रही खाद्य सामग्री के बारे में जानकारी ली।
बता दें कि टनल के ऊपर वर्टिकल ड्रिल से 36 मीटर तक खुदाई की जा चुकी है। बताया जा रहा है कि पीएम के प्रधान सचिव डॉ. पीके मिश्रा, गृह सचिव अजय कुमार भल्ला और मुख्य सचिव एसएस संधू जल्द रेस्क्यू ऑपरेशन जुड़े अधिकारियों के साथ बैठक कर चर्चा करेंगे। वहीं अंतरराष्ट्रीय टनलिंग विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स का कहना है कि वह टनल में फंसे मजदूरों को बाहर निकालने में प्रगति की ओर अग्रसर हैं। टीम जिस तरह से काम कर रही है, उन्हें उन पर काफी गर्व महसूस हो रहा है। मैन्युअल ड्रिलिंग अभी शुरू नहीं हुई है जैसे ही इसे शुरू किया जाएगा, हम जल्दी कामयाबी की ओर बढ़ेंगे।
वहीं मजदूरों को सकुशल बाहर निकालने के लिए रैट माइनर्स की टीम टनल में ड्रिलिंग के लिए पहुंची है। अब तक टनल में वर्टिकल ड्रिलिंग 30 मीटर तक हुई है। पानी निकलने और पत्थरों के कारण वर्टिकल ड्रिलिंग में कुछ परेशानियां सामने आ रही हैं। फिलहाल अभी मैन्युअल ड्रिलिंग शुरू नहीं हो पाई है।
बारिश का नहीं पड़ेगा कोई असर, मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालना ही लक्ष्य
एमडीए के सदस्य सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल सईद अता हसनैन का कहना है कि चीजें नियंत्रण में हैं। जरूरत के हिसाब से भोजन और दवाएं अंदर भेजी जा रही हैं। मनोवैज्ञानिक पहलुओं को भी महत्व दिया गया है। इसके साथ ही बैकअप संचार स्थापित किया गया है। बारिश को लेकर हसनैन का कहना है कि बारिश की संभावना है, लेकिन इससे विशेष असर नहीं पड़ेगा। सभी मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाला जाएगा। यही काम कर रही टीम का लक्ष्य है।
एनएचएआई के सदस्य विशाल चौहान का कहना है कि मैन्युअल ड्रिलिंग किसी भी समय शुरू की जा सकती है। इसके लिए तैयारी शुरू कर दी गई है। इस कार्य में 6 सदस्यों की एक टीम शामिल है, जो 3-3 के समूह में मिलकर काम करेंगी। ड्रिलिंग के लिए धरती के अंदर की हलचल पर नजर रखने के लिए सेंसर लगे हुए हैं।
अब रोबोट साधेगा मजदूरों से संपर्क, हेल्थ-बिहेवियर पर रखेगा नजर
उत्तरकाशी टनल में फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकालने के लिए पूरी ताकत लगाई जा रही है। फिलहाल कोई कामयाबी हाथ नहीं लगी है। कहा जा रहा है कि अब रोबोट टनल में फंसे मजदूरों को बाहर निकालेगा। साथ ही रोबोट मजदूरों से संपर्क साधकर उनके हेल्थ और बिहेवियर का भी नजर रखेगा। इसके अलावा टनल में बन रही विभिन्न गैसों को नियंत्रित करने का कार्य करेगा, ताकि मजदूरों को आसानी से बाहर निकाला जा सके। बता दें कि लखनऊ के रोबोटिक साइंटिस्ट और ड्रोन मैन ऑफ इंडिया मिलिंद राज ने इस रोबोट को बनाया है, जिन्हें उत्तरकाशी प्रशासन ने वहां बुला भी लिया है, ताकि मिलिंद राज और उनका रोबोट टनल में फंसे मजदूरों को बाहर निकालने में मदद कर सकें।
रोबोट की मॉनिटरिंग में शामिल होंगे ऑडियो और विजुअल
मिलिंद राज के अनुसार उन्होंने 40 घंटे से भी कम समय में इस रोबोट एवं डिवाइस को तैयार किया है, जो मददगार साबित हो सकता है। यह रोबोट अपनी जगह से 100 मीटर दूरी तक लगातार 24 घंटे सुरंग में फंसे हुए मजदूरों के हेल्थ और बिहेवियर पर मॉनिटरिंग करेगा। इसकी मॉनिटरिंग में ऑडियो और विजुअल दोनों शामिल होंगे। मिलिंद राज का कहना है कि रोबोट उन जगहों पर भी हाई स्पीड इंटरनेट देगा, जहां पर मुश्किल से नेटवर्क मिलत है। इन्ही बातों के साथ रोबोट ड्रिलिंग से आग न लगने, कोई धमाका जैसी बातों का भी ध्यान रखेगा और इन्हें रोकने में मददगार साबित होगा।
केंद्रीय मंत्री ने टनल के पास बने मंदिर में की पूजा-अर्चना
केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह ने उत्तरकाशी में सिल्क्यारा टनल के मुहाने के पास बने मंदिर में पूजा-अर्चना की है। इसके बाद ऑगर मशीन की विफलता के बाद टनल में अंदर फंसे 41 मजदूरों तक पहुंचने के लिए ऊपर से ड्रिलिंग शुरू हो पाई थी। उधर पुजारी दिनेश प्रसाद का कहना है कि सभी मजदूरों को सकुशल बाहर लाने के लिए भगवान से प्रार्थना की जा रही है। जिससे सभी टनल में फंसे मजदूरों को सकुशल बाहर लाया जा सके। आज हवन करके इष्ट देवता की पूजा-अर्चना की गई है।
पूर्व इंजीनियर-इन-चीफ एवं बीआरओ के सेवानिवृत्त डीजी लेफ्टिनेंट जनरल हरपाल सिंह के अनुसार मौजूदा स्थिति में जो ऑगर मशीन फंसी थी, उसे हटा दिया गया है। क्षतिग्रस्त पाइप के 1.5 मीटर हिस्सा को निकालने का प्रयास जारी हैं। इसे हटाने, मजबूत करने और मलबा हटाने के बाद सेना की मदद से कुशल मजदूरों को इसमें भेजने का प्रयास किया जाएगा। उन्हें उम्मीद है कि यह कार्य जल्द ही कर लिया जाएगा।
इससे पहले टनल में फंसे मजदूरों तक पहुंचने के लिए अमेरिकन ऑगर मशीन के जरिए सिल्क्यारा छोर से खुदाई करके रेस्क्यू पाइप डाले जा रहे थे। शुक्रवार 24 नवंबर को मजदूरों की लोकेशन से महज 10 मीटर पहले मशीन की ब्लेड्स टूट गई थी। जिसकी वजह से इस रेस्क्यू भी बीच में ही रोकना पड़ा। इस दौरान मलबे में ड्रिलिंग मशीन का 13.9 मीटर लंबा ब्लेड फंस गया था। जिसे लेजर और प्लाज्मा कटर से काटकर बाहर निकाला गया।
कब-कब बंधी मजदूरों को बाहर निकालने की उम्मीदें
– 14 नवंबर को टनल में फंसे मजदूरों को बाहर निकालने के लिए टनल के भीतर ड्रिल शुरू की गई। इस दौरान मलबे की बाधा सामने आई, लेकिन अभियान ने उम्मीद बंधाए रखी।
– 16 नवंबर को पहली मशीन के नाकाम होने के बाद दूसरी अमेरिकन ऑगर मशीन से ड्रिल का कार्य शुरू किया गया। यह ड्रिल 18 मीटर तक पहुंची तो एक बार फिर उम्मीद बढ़ने लगी।
– 20 नवंबर को टनल के भीतर सफलतापूर्वक 6 इंच का पाइप पहुंचा तो 900 मिमी पाइप के पहुंचने की उम्मीद के बढ़ने की आस जगी।
– 21 नवंबर को मशीन के भीतर टेलिस्कोपिक कैमरा पहुंचाया गया। जिसकी मदद से मजदूरों को देखकर उनका कुशलक्षेम जाना गया। फिर अभियान में और तेजी आई। 900 मिमी पाइप 22 मीटर पर अटकने के बाद 800 मिमी पाइप उसके अंदर से भेजने का कार्य शुरू किया गया।