Haryana Politics : हरियाणा में सियासी संकट के बीच जेजेपी ने अपने दो विधायकों के खिलाफ कार्रवाई करने की शुरुआत कर दी है। दोनों विधायकों पर संकट के बादल मंडराते दिख रहे हैं। क्या दोनों बागी विधायकों की सदस्यता जा सकती है? पार्टी ने दोनों विधायकों की सदस्यता रद्द करने की मांग को लेकर विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता को पत्र लिखा है। साथ ही दोनों विधायकों को कानूनी नोटिस भेजा गया है।
गौरतलब है कि जजपा के दो विधायकों रामनिवास सुरजाखेड़ा और जोगीराम सिहाग ने भाजपा के साथ मंच साझा किया था। नरवाना में भाजपा की रैली में रामनिवास और हिसार में जोगीराम सिहाग ने भाजपा प्रत्याशी के लिए वोट मांगे थे। इसी को लेकर जजपा ने पार्टी विरोधी गतिविधि के चलते इन दोनों विधायकों को कई बार लीगल नोटिस दिए थे, लेकिन उनका जवाब नहीं आया है। अब जजपा ने विधानसभा स्पीकर से दोनों विधायकों की सदस्यता रद्द करने की मांग की है। सूत्रों की मानें तो पार्टी ने दोनों विधायकों की पार्टी विरोधी गतिविधियों के सबूत भी स्पीकर को दिए हैं।
रिपोर्ट के अनुसार पार्टी की ओर से कार्यालय सचिव रणधीर सिंह ने यह नोटिस जारी किया है। उन्होंने नोटिस में आरोप लगाया है कि इन दोनों विधायकों ने भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में जनता से वोट मांगे। पार्टी ने विधानसभा अध्यक्ष को लिखे पत्र में कहा है कि दोनों विधायक काफी समय से सोशल, प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में भाजपा प्रत्याशी का समर्थन कर रहे थे। उनकी इन गतिविधियों के चलते उन्हें 2-3 बार पार्टी की तरफ से नोटिस भी दिया गया, लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया। अंततः दलबदल कानून के तहत उनके खिलाफ याचिका लगाई गई है।
इसके अलावा विधायक देवेंद्र बबली को भी पार्टी के खिलाफ बोलने पर पार्टी की तरफ से नोटिस दिया गया है। हालांकि बबली ने अभी तक किसी अन्य पार्टी की रैली में मंच साझा नहीं किया है। इसके चलते उनके खिलाफ अभी तक दलबदल कानून को लागू नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि सरकार अब अल्पमत में आ गई है, इसलिए वह विधानसभा में बहुमत साबित करे। तब भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा था कि जजपा अपने 10 विधायकों को चंडीगढ़ लेकर पहुंचे तो वह राज्यपाल के पास चंडीगढ़ अपने 30 विधायक लेकर पहुंच जाएंगे।
बता दें कि 3 निर्दलीय विधायकों के भाजपा से समर्थन वापस लेने और कांग्रेस को समर्थन देने के बाद भाजपा की नायब सिंह सैनी सरकार के सामने संकट खड़ा हो गया है। हाल ही में दुष्यंत चौटाला की जजपा के समर्थन वापस लेने के बाद से इन्हीं निर्दलियों के समर्थन से भाजपा सरकार चल रही थी। इससे पहले 12 मार्च को हरियाणा में मनोहर लाल के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद जजपा ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। तब जजपा के 6 विधायकों ने दुष्यंत चौटाला से खुद को दूर कर लिया था।
इसके बाद कयास लगाए जा रहे थे कि एक बागी विधायक देवेंद्र बबली जजपा पर दावा ठोकने की तैयारी में हैं। करीब एक सप्ताह पहले टोहाना के विधायक बबली ने मीडिया को दिए साक्षात्कार में कहा था कि दुष्यंत चौटाला को पार्टी विधायक दल का नेता उन्होंने चुना था। अब अगर 10 में से 7 विधायक उन्हें विधायक दल के नेता से हटा दें तो क्या व्हीप का खेल मां बेटा आपस में ही खेलते रहेंगे।