Electricity will be produced from waste

Haryana में कचरे से Electricity उत्पादन, शहर होंगे साफ, जानें कैसे होगी बिजली की कमी दूर

बड़ी ख़बर हरियाणा

Haryana में अब कचरे से बिजली(Electricity) बनाने की योजना(produced from waste) शुरू हो रही है। इससे न सिर्फ शहरों की सफाई(cities will be clean) होगी, बल्कि बिजली की जरूरतें भी पूरी(power shortage will be resolved) होंगी। अभी तक हरियाणा को अपनी बिजली की जरूरतें पूरी करने के लिए दूसरे राज्यों पर निर्भर रहना पड़ता था, लेकिन इस योजना से राज्य की बढ़ती बिजली की मांग को पूरा(power shortage will be resolved) किया जा सकेगा।

बता दें कि आज चंडीगढ़ में हरियाणा और केंद्र सरकार के बीच एक महत्वपूर्ण एमओयू (समझौता ज्ञापन) साइन हुआ है। यह एमओयू विद्युत व्यापार निगम लिमिटेड (एनटीपीसी) और हरियाणा के गुरुग्राम और फरीदाबाद नगर निगम के बीच साइन हुआ है। इस समझौते के तहत गुरुग्राम और फरीदाबाद में वेस्ट टू एनर्जी प्लांट लगाए जाएंगे। वेस्ट टू एनर्जी प्लांट की खासियत यह है कि यह प्लांट शहर के कचरे का निपटान करेगा और इसी कचरे से ऊर्जा उत्पन्न करेगा।

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इससे न केवल शहर साफ होंगे, बल्कि बिजली की भी आपूर्ति हो सकेगी। इस योजना से हरियाणा को अतिरिक्त बिजली मिलेगी और उसकी बिजली की कमी को दूर किया जा सकेगा। केंद्रीय ऊर्जा, आवास और शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल ने हाल ही में दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि वर्ष 2035 तक देश में बिजली की मौजूदा मांग दोगुनी हो जाएगी। उन्होंने बताया कि 2035 तक देश में 130 करोड़ लोगों को आवास उपलब्ध कराने होंगे। इसी को ध्यान में रखते हुए मनोहर लाल खट्टर काम कर रहे हैं और हरियाणा में भी इस दिशा में काम हो रहा है।

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पावर प्लांट्स की स्थापना

मनोहर लाल ने हरियाणा में बिजली उत्पादन के लिए कई नई परियोजनाओं की घोषणा की है। उन्होंने हरियाणा के झांडली और खेदड़ पावर प्लांट्स में एक और यूनिट लगाने की बात कही है। इसके अलावा, उन्होंने यमुनानगर में 800 मेगावाट क्षमता वाले नए दीनबंधु छोटू राम थर्मल पावर प्लांट के निर्माण का भी ऐलान किया है। इससे हरियाणा को अतिरिक्त बिजली मिलेगी।

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बिजली परियोजनाओं पर जोर

केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल ने देश में बढ़ती बिजली की मांग को पूरा करने के लिए कई कदम उठाए हैं। उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में पनबिजली परियोजनाओं का रास्ता साफ कर दिया गया है। सरकार ने वर्ष 2030 तक हाइड्रो-इलेक्ट्रिक परियोजनाओं के जरिए 500 गीगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा है।

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