Bhiwani में स्थानीय महम गेट पर चौखानी इस्टेट स्थित गली नंबर-1 के फर्जी पीआईडी को रद्द करवाने व दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की मांग को लेकर पीडि़त मुरारीलाल सैनी का परिवार पिछले करीबन 9 माह से संघर्ष कर रहा था तथा अधिकारियों के कार्यालयों के चक्कर काट -काटकर न्याय की गुहार लगा रहा था। जिसके बाद पीड़ित व्यक्ति के संघर्ष को करीबन दो माह से भिवानी संघर्ष समिति का साथ मिला।
फर्जी पीआईडी के खिलाफ कार्यवाही की मांग
समिति का साथ मिलने से उनका संघर्ष तेज हुआ है तथा अब लगभग 9 माह बाद पीड़ित परिवार का संघर्ष रंग लाया। इस मामले में बनवाई गई फर्जी पीआईडी भिवानी नगर परिषद द्वारा रद्द कर दी गई है। जिसके बाद पीड़ित परिवार वाले संघर्ष समिति व अन्य सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ वीरवार को उपायुक्त महाबीर कौशिक से मिले तथा इस मामले में रजिस्ट्री रद्द करवाने, गली में डाले गए सामान उठाने व फर्जी पीआईडी बनाने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ कार्यवाही किए जाने की मांग का ज्ञापन सौंपा।
अवैध रूप से बनवाई फर्जी पीआईडी
पीड़ित मुकेश सैनी, पिछड़ा वर्ग कल्याण महासभा के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश प्रजापति, सैनी विचार मंच के संस्थापक सदस्य सुरेश सैनी ने बताया कि कुछ भू-माफियाओं द्वारा नगर परिषद के कर्मचारियों की मिली भगत से फर्जी कागजात तैयार करके महम गेट पर चौखानी इस्टेट स्थित गली नंबर-1 पर अवैध रूप से कब्जा किए जाने के प्रयास किए जा रहे थे।
पीआईडी की गूगल लोकेशन भी नहीं
साथ ही उन्होंने बताया कि यह गली पिछले करीबन 25 वर्षों से पक्की बनी हुई थी, जिसमें सीवरेज व पेयजल लाईन भी डली हुई है। यही नहीं यह गली नगर परिषद के नक्शों में पास की गई है। इसके बावजूद भी भू-माफिया ने अवैध रूप से नगर परिषद से फर्जी पीआईडी बनवाई गई तथा इस पीआईडी की गूगल पर कोई लोकेशन तक नहीं है। सुरेश सैनी ने बताया कि आरोपी फर्जी पीआईडी के आधार पर गली को अपनी निजी फायदे के लिए बंद करना चाहता था। जिसके खिलाफ गली निवासी मुकेश सैनी के परिवार ने आवाज उठाई तथा पिछले करीबन 9 माह से संघर्ष कर रहा था।
चंडीगढ़ से फर्जी पीआईडी रद्द करने के आदेश
जिस संघर्ष का परिणाम उन्हें अब मिला है तथा शहरी स्थानीय निकाय निदेशालय हरियाणा चंडीगढ़ से फर्जी पीआईडी रद्द करने के आदेश पारित हुए है। इसके अलावा फर्जी पीआईडी बनाने वाले कर्मचारियों के खिलाफ भी कानूनी कार्यवाही के आदेश किए गए है। उपायुक्त को मांगपत्र सौंपते हुए पीड़ित परिवार व अन्य सामाजिक संगठनों ने इस मामले में रजिस्ट्री रद्द करवाने, गली में डाले गए सामान उठाने व फर्जी पीआईडी बनाने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई किए जाने की मांग उठाई है।
3 वर्षो पहले 300 करोड़ का घोटाला
भिवानी नगर परिषद में 3 वर्षो पहले भी करीबन 300 करोड़ रूपये के का घोटाला हुआ था। जिसमें नगर परिषद के कई बड़े अधिकारी व कर्मचारियों की संलिप्तता पाई गई थी। इस मामले में बहुत से आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था। जिसकी अभी भी सीबीआई जांच जारी है। इसके बाद अब एक बार फिर से नगर परिषद द्वारा फर्जी पीआईडी बनाने का मामला सामने आना प्रदेश सरकार के जीरो टोलरेंस के नारे पर तमाचा मारने का काम कर रहा है।