आषाढ़ी एकादशी, जिसे देवशयनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान Vishnu 4 महीने की लंबी नींद में चले जाते हैं। भगवान विष्णु लगभग 8 महीने तक ब्रह्मांड के सुचारू संचालन का ध्यान रखते हैं, बाकी बचे 4 महीनों तक धरती का संचालन कौन करता है? आइए जानते हैं कि भगवान विष्णु के सो जाने के बाद धरती का संचालन, पालन पोषण किसके द्वारा किया जाता है?
गुरु पूर्णिमा
देवशयनी एकादशी के चार दिन बाद गुरु पूर्णिमा आती है। गुरु अपने शिष्यों को सही मार्ग पर चलने और धर्म को बनाए रखने की शिक्षा देते हैं, इसलिए कहा जाता है कि जब भगवान विष्णु विश्राम करते हैं, तो अगले कुछ दिनों के लिए गुरु और शिक्षक ब्रह्मांड के सुचारू संचालन की जिम्मेदारी लेते हैं।
भगवान शिव
बता दें कि गुरु पूर्णिमा के बाद सावन का महीना शुरू होता है। सावन के महीने में भगवान शिव जी की पूजा की जाती है। गुरु पूर्णिमा के बाद भगवान शिव ब्रह्मांड के संचालन को देखते हैं। इसके बाद शिवरात्रि को बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है।
जन्माष्टमी
इसके बाद आता है भाद्रपद। भाद्रपद के दौरान जन्माष्टमी मनाई जाती है, इसलिए भगवान शिव के बाद ब्रह्मांड की बागडोर भगवान कृष्ण के हाथों में आ जाती है। जन्माष्टमी को भारत में बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है और साथ ही मटकी भी फोड़ी जाती है।
गणेश चतुर्थी
जन्माष्टमी के बाद आती है गणेश चतुर्थी। गणेश चतुर्थी आमतौर पर 10 दिनों तक मनाई जाती है और इस दौरान भगवान गणेश ब्रह्मांड के कार्यों को संभालते हैं। गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश हम सब के घर में विराजमान होते हैं। उनकी विधि-विधान से पूजा की जाती है और हम उनसे सुखी जीवन की कामना करते हैं।
पितृपक्ष
फिर आते हैं पितृपक्ष। ऐसा माना जाता है कि 16 दिनों के लिए हमारे पितृ धरती पर आते हैं। इस के दौरान लोग पितरों को भोजन खिलाते हैं। इन दिनों पितृ ब्रह्मांड का संचालन करते हैं। साथ ही हमारे घर में खुशहाली लाते है और अपना आशीर्वाद हमें देते हैं।
अम्बे मां
पितृपक्ष के तुरंत बाद आते है नवरात्रे। इन नौ दिनों देवी मां की विधि-विधान के साथ पूजा की जाता है और उनके नाम के व्रत किए जाते हैं। पितृपक्ष के बाद देवी मां ही हमारी सृष्टि का संचालन, पालन पोषण करती है।
माँ लक्ष्मी और भगवान कुबेर
नवरात्रि के बाद आता है दिवाली का त्यौहार। दिवाली के दौरान माँ लक्ष्मी और भगवान कुबेर जी दुनिया का संचालन करते हैं। दिवाली के दौरान लोग माँ लक्ष्मी और दैवीय तिजोरियों के कोषाध्यक्ष भगवान कुबेर की पूजा करते हैं।
देवउठनी एकादशी
इसके बाद आती है देव उठनी एकादशी। हिंदू धर्म-शास्त्रों में सभी एकादशी में देवउठनी एकादशी को काफी विशेष माना गया है। इस दिन भगवान विष्णु 4 महीने बाद निंद्रा से उठते हैं और इस सृष्टि का पालन पोष्ण, संचालन फिर से करने लगते हैं।