Bajrang Punia and Vinesh Phogat

विनेश-बजरंग की औपचारिक एंट्री में हुड्डा गायब! शैलजा मौजूद, कांग्रेस गुटों की राजनीति गर्माई

राजनीति जींद हरियाणा

रेसलिंग के अखाड़े से राजनीति के मैदान में उतरे Bajrang Punia और Vinesh Phogat की हालिया राजनीतिक गतिविधियों ने सबको चौंका दिया है। हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले ये दोनों खिलाड़ी हुड्‌डा गुट के साथ थे, और चुनाव के दौरान विनेश फोगाट के लिए दीपेंद्र हुड्‌डा प्रचार करते हुए नजर आए। मगर, 22 अक्टूबर को बजरंग पूनिया ने दिल्ली में ऑल इंडिया किसान कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष का पदभार संभाला, जहां उनके साथ सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा मौजूद थीं।

यह हैरानी इसलिए हुई क्योंकि हुड्‌डा और सैलजा गुट हरियाणा कांग्रेस में एक-दूसरे के विरोधी माने जाते हैं, और अक्सर चुनावों में इनकी गुटबाजी देखने को मिलती रही है। ऐसे में बजरंग पूनिया के पदभार संभालते वक्त दीपेंद्र हुड्‌डा की गैरमौजूदगी ने राजनीतिक चर्चाओं को हवा दे दी।

हुड्‌डा गुट से पुरानी नजदीकियां

विनेश और बजरंग, दोनों ही शुरुआत से हुड्‌डा गुट के करीबी रहे हैं। जब पहलवानों ने बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ मोर्चा खोला था, तो कांग्रेस के कई नेता उनका समर्थन करने पहुंचे थे। हुड्‌डा ने जंतर-मंतर पर खिलाड़ियों के साथ खड़े होकर कहा था, “न्याय में देरी हो सकती है, पर अंधेर नहीं होगा।”

बजरंग पूनिया का कांग्रेस में बड़ा कदम

बजरंग के हालिया कदम ने राजनीति के अखाड़े में नई संभावनाएं खोल दी हैं। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि भूपेंद्र हुड्‌डा उनके सीनियर नेता हैं और वे उनके नेतृत्व में काम करते रहेंगे। बजरंग की राजनीति में एंट्री को रेसलिंग के दांव जैसा माना जा सकता है, जहां हर दांव सोच-समझकर खेला जाता है।

विनेश की राजनीति में शुरुआत

जब विनेश फोगाट पेरिस ओलंपिक से डिस्क्वालिफाई होकर लौटीं, तो उनका स्वागत करने के लिए दीपेंद्र हुड्‌डा एयरपोर्ट पर मौजूद थे। विनेश के साथ हुड्‌डा परिवार की नजदीकियां तब से ही चर्चा में हैं। भूपेंद्र हुड्‌डा ने विनेश की टिकट की पैरवी की थी, जिससे उन्हें चुनाव लड़ने का मौका मिला। विनेश ने जुलाना से चुनाव लड़ा और बजरंग पूनिया को किसान कांग्रेस में बड़ी भूमिका दी गई।

हुड्‌डा-सैलजा गुट की टकराहट

हरियाणा में हुड्‌डा और सैलजा गुटों की खींचतान लगातार चुनाव प्रचार और टिकट वितरण में दिखी। भूपेंद्र हुड्‌डा ने 72 सीटों पर अपने समर्थकों को टिकट दिलाया, जबकि सैलजा गुट के केवल 5 दावेदारों को टिकट मिला। दोनों गुटों के बीच जुबानी हमले भी होते रहे, जिससे हरियाणा की सियासत एक पेचीदा जाल जैसा बन गया।

इस पूरी राजनीतिक दांव-पेंच में, बजरंग पूनिया और विनेश फोगाट का कांग्रेस में बढ़ता कद हरियाणा की राजनीति के लिए किसी नए मोड़ की ओर इशारा कर रहा है, जिसमें आगे और दिलचस्प मोड़ आने की उम्मीद है।

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