दीपावली पर अयोध्या के राम मंदिर की रौनक बढ़ाने के लिए Haryana के करनाल से 40,000 स्वदेशी लड़ियां भेजी गई हैं। इनकी खासियत यह है कि ये लड़ियां पहले भी मंदिर के उद्घाटन में शोभा बढ़ा चुकी हैं और चीन निर्मित लड़ियों को प्रतिस्पर्धा में कड़ी टक्कर दे रही हैं। इस स्वदेशी उत्पाद की मांग कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका तक है। एक लड़ी की कीमत 150 रुपए रखी गई है।
इन लड़ियों का निर्माण सेवा भारती संस्था द्वारा किया जा रहा है, जिसमें करनाल के 14 गांवों की 250 महिलाओं की भागीदारी है। ये महिलाएं, जो मुख्य रूप से आर्थिक रूप से कमजोर और कम पढ़ी-लिखी हैं, इन लड़ियों को तैयार करने में माहिर हो चुकी हैं। एक दिन में चार महिलाएं 300 से अधिक लड़ियां बना सकती हैं। महिलाओं को मेहनताने के रूप में कमीशन मिलता है, जिससे उनके परिवार की आर्थिक सहायता होती है।
अन्य उत्पाद भी तैयार कर रहीं महिलाएं
लड़ियों के साथ-साथ यह संस्था मल्टी ग्रेन आटा, पापड़, बड़ियां और टोकरियां भी बनाती है। महिलाओं को यहां रोजगार के साथ-साथ आत्मनिर्भरता का प्रशिक्षण भी दिया जाता है। यहां पर दीये, सिलाई, और कंप्यूटर क्लासेस की सुविधाएं भी हैं, जिससे महिलाओं और युवतियों को अपने पैरों पर खड़ा होने का अवसर मिलता है।
राम मंदिर प्रबंधन ने जताया भरोसा
संस्था के सदस्य रोशन लाल ने बताया कि राम मंदिर के उद्घाटन के दौरान एक कार्यकर्ता ने मंदिर में लगी लड़ियों की गुणवत्ता को देखा और सेवा भारती की लड़ियों का सुझाव दिया। राम मंदिर प्रबंधन ने इन स्वदेशी लड़ियों का सैंपल मंगवाया और उनकी गुणवत्ता देखकर ऑर्डर दे दिया। इसके बाद से करनाल से लड़ियां भोपाल, जम्मू-कश्मीर और अन्य राज्यों में भी भेजी जा रही हैं।
स्वदेशी अपनाओ और नारी सशक्तिकरण अभियान
सेवा भारती संस्था के सदस्य बताते हैं कि यह पहल व्यापार का नहीं बल्कि स्वदेशी अपनाने और नारी सशक्तिकरण के संदेश को बढ़ावा देने का एक हिस्सा है। करनाल में सेवा भारती के कार्यक्रमों के दौरान स्टॉल लगाकर मार्केटिंग की जाती है और लोगों को स्वदेशी उत्पादों की ओर प्रेरित किया जाता है।