Haryana राज्यसभा सांसद रामचंद्र जांगड़ा के विवादित बयान ने पहले से जारी किसानों के आंदोलन को और भड़का दिया है। किसानों को नशेड़ी कहने और आंदोलन स्थलों के पास से 700 लड़कियों के गायब होने का आरोप लगाने से राजनीतिक माहौल गर्मा गया है। किसानों के साथ विपक्षी दल भी इस बयान पर आक्रामक हो गए हैं।
बयान ने कैसे बदला आंदोलन का स्वरूप?
सांसद के बयान के बाद किसान संगठनों में भारी गुस्सा है। शंभू बॉर्डर पर जारी आंदोलन अब और तेज होता दिख रहा है। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के बड़े नेताओं की आंदोलन में एंट्री ने इसे राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बना दिया है। किसानों ने शनिवार को ट्रैक्टर मार्च और रेल रोकने जैसे कदम उठाने का ऐलान किया है, जिससे हरियाणा और पंजाब में प्रशासन की चुनौतियां बढ़ गई हैं।
सांसद पर चौतरफा हमला
सांसद जांगड़ा के बयान के बाद विपक्षी दल और किसान नेता उनके खिलाफ खुलकर सामने आ गए हैं। पंजाब किसान मजदूर संघर्ष समिति के प्रधान सरवन सिंह पंढेर ने सांसद को पार्टी से निष्कासित करने की मांग की। उन्होंने कहा कि “अगर सांसद के पास 700 लड़कियां गायब होने का कोई प्रमाण है तो वे तथ्य पेश करें।” आम आदमी पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सुशील गुप्ता ने बयान को शर्मनाक बताते हुए कहा, “बीजेपी को अब देश के अन्नदाता नशेड़ी नजर आने लगे हैं। यह बयान किसानों का अपमान है।” इनेलो की नेता सुनैना चौटाला ने सांसद से तत्काल माफी मांगने की मांग की।
सरकार के लिए नई मुश्किलें
जांगड़ा के बयान ने हरियाणा सरकार को असहज स्थिति में डाल दिया है। विपक्ष ने सरकार पर किसानों का अपमान करने का आरोप लगाते हुए इस बयान पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
किसानों ने आंदोलन तेज करने का लिया फैसला
किसानों ने शंभू बॉर्डर पर प्रदर्शन को और उग्र करने का फैसला लिया है। 16 दिसंबर को ट्रैक्टर मार्च और 18 को रेल रोकने जैसी घोषणाओं से साफ है कि किसान आंदोलन अब तेज होने जा रहा है। ऐसे में किसानों के उग्र आंदोलन के बीच रामचंद्र जांगड़ा के विवादित बयान ने आग में घी डालने जैसा काम किया है।
क्या दिया था सांसद ने बयान
सांसद जांगड़ा ने महम में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा था कि “2021 से पहले हरियाणा में केवल शराब और बीड़ी का ही नशा था, लेकिन 2021 के बाद हरियाणा में चरस, गांजा जैसे जानलेवा नशे पनप रहे हैं, जो युवाओं को बर्बाद कर चुके हैं।“ इसके अलावा एक और विवादित बयान देते हुए कहा था कि “2021 में किसान आंदोलन के दौरान जहां-जहां बॉर्डर पर किसान बैठे उसके आसपास के गांव की करीबन 700 लड़कियां लापता हो गई थी।“