दीपक बाबरिया

Haryana कांग्रेस में आंतरिक कलह: प्रभारी दीपक बाबरिया ने प्रदेश अध्यक्ष उदयभान की लिस्ट पर लगाई रोक

हरियाणा

Haryana कांग्रेस के प्रभारी दीपक बाबरिया ने प्रदेश अध्यक्ष उदयभान द्वारा जारी जिला प्रभारियों की लिस्ट पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। उदयभान ने हाल ही में जिला प्रभारियों की सूची में बदलाव किए थे, जिसमें कुछ नए नेताओं को स्थान दिया गया था।

रोक के कारण:

बता दें कि पहले से नियुक्त जिला प्रभारियों में से कुछ नेता विधानसभा चुनाव में बागी हो गए थे। कुछ नेताओं ने टिकट न मिलने पर निर्दलीय चुनाव लड़ा था, जिसके चलते उन्हें 6 साल के लिए पार्टी से निकाल दिया गया था। उदयभान की लिस्ट में सिरसा सांसद कुमारी सैलजा और पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह के गुट को नजरअंदाज किया गया था। माना जा रहा है कि इन्हीं नेताओं की शिकायत पर यह कार्रवाई हुई है।

प्रभारी दीपक बाबरिया का बयान:

दीपक बाबरिया ने मीडिया को जारी अपने प्रेस नोट में कहा “हरियाणा प्रदेश कार्यालय की ओर से 18 दिसंबर 2024 को जारी जिला प्रभारियों की नियुक्ति को अगले आदेश तक फिलहाल लंबित किया जाता है।” यह फैसला कांग्रेस के भीतर गुटबाजी और असंतोष की ओर इशारा करता है। आगामी चुनावों को देखते हुए यह स्थिति पार्टी के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकती है।

हरियाणा कांग्रेस में संगठनात्मक असंतोष

हरियाणा कांग्रेस प्रभारी दीपक बाबरिया ने हाल ही में प्रदेश अध्यक्ष उदयभान की ओर से जारी जिला प्रभारियों की लिस्ट पर रोक लगा दी। इसके पीछे तीन प्रमुख कारण बताए जा रहे हैं:

1. सैलजा गुट को नजरअंदाज किया गया

कांग्रेस हरियाणा में विधानसभा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करने में नाकाम रही। माना गया कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्‌डा को फ्री हैंड देने से पार्टी के अन्य नेता नाराज हो गए। सिरसा सांसद कुमारी सैलजा और उनके गुट के नेताओं को संगठन में कोई प्रमुख स्थान नहीं दिया गया। लिस्ट में सैलजा गुट को जगह न मिलने पर हाईकमान ने इसे गंभीरता से लिया और नाराजगी जताई।

2. बीरेंद्र सिंह की शिकायत

उचाना से चुनाव हारे पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह के बेटे और पूर्व सांसद बृजेंद्र सिंह का नाम लिस्ट में शामिल नहीं किया गया। इस फैसले से नाराज बीरेंद्र सिंह ने दिल्ली जाकर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की। उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष उदयभान और भूपेंद्र हुड्‌डा पर खुलकर सवाल उठाए और संगठन में गुटबाजी का आरोप लगाया।

3. हाईकमान को भरोसे में नहीं लिया गया

चुनावी हार के बाद कांग्रेस संगठन को मजबूत बनाने की कोशिशों में है। जिला प्रभारियों की लिस्ट में बदलाव से पहले न तो प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया और न ही हाईकमान को भरोसे में लिया गया। इस कदम से नाराज होकर हाईकमान ने तत्काल प्रभाव से लिस्ट पर रोक लगा दी।

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