झज्जर में अपनी मांगों को लेकर आंगनवाड़ी वर्करों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। आंगनवाड़ी वर्करों ने सरकार से गुजरात हाईकोर्ट के फैसले को लागू करने की मांग की है। वर्करों का कहना है कि काम का दबाव अत्यधिक है, लेकिन इसके बदले उन्हें उचित मेहनताना नहीं मिल रहा है।
आंगनवाड़ी वर्करों ने अपनी मांगों की सूची में तृतीय श्रेणी कर्मचारियों के समान दर्जा देने की मांग भी उठाई है, जिसमें वर्करों को तृतीय श्रेणी और हैल्परों को चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों का दर्जा देने की बात शामिल है।
जिले के जिला कोर्ट में चपरासी और प्रोसेस सर्वर के कुल 13 पदों के लिए लगभग 8,000 आवेदन आए हैं। यह स्थिति तब है जब इस नौकरी के लिए स्नातक, उच्च शिक्षा और प्रोफेशनल डिग्रीधारी अभ्यर्थी भी लाइन में खड़े हैं।
चपरासी की नौकरी के लिए आवेदन करने वाले उम्मीदवारों में बीए, एमए, बीएड और एमएससी पास जैसे उच्च शैक्षिक योग्यताएं रखने वाले युवा भी शामिल हैं। इसके अलावा, कई प्रोफेशनल कोर्सेज के डिग्रीधारी भी इस पद के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं।
यहां तक कि जिले में आयोजित इंटरव्यू में भाग लेने के लिए हरियाणा के अलावा पंजाब और राजस्थान से भी युवा झज्जर पहुंचे हैं। चपरासी की इस नौकरी के लिए भारी प्रतिस्पर्धा और अभ्यर्थियों की बढ़ती संख्या, रोजगार के संकट को दर्शाती है।
इसके अलावा, आंगनवाड़ी वर्करों ने न्यूनतम वेतन बढ़ाकर 26,000 रुपये प्रति माह करने की भी अपील की है। उन्होंने कहा कि वे सरकार से मिलने वाले फोन पर OTP की समस्या से भी जूझ रहे हैं, जिससे काम में रुकावट आ रही है।
आंगनवाड़ी वर्करों ने बच्चों को मिलने वाले राशन की बजाय उनके खाते में सीधे पैसे डाले जाने की भी मांग की है, ताकि यह राशि सही तरीके से बच्चों तक पहुंचे।