चंद्रयान-3 अंतिम गंतव्य पर, जल्द चांद पर उतरने की उम्मीद और भारत के पास होगी चौथी उपलब्धि

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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चंद्रयान-3 को 23 अगस्त बुधवार को शाम 6:04 बजे (भारतीय समयानुसार शाम लगभग 5.45 बजे) चांद पर उतरने की उम्मीद है। अंतरिक्ष यान अब अपने अंतिम गंतव्य अर्थात चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव से केवल तीन दिन की दुरी पर है। वहीं इसरो चंद्रमा पर सफल सॉफ्ट लेंडिंग करने का प्रयास कर रहा है। जिससे भारत संयुक्त राज्य अमेरिका रूस और चीन के बाद यह उपलब्धि हासिल करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा।

चंद्रयान-3 चांद के बेहद करीब पहुंच चुका है। विक्रम लैंडर 20 अगस्त को चांद के और करीब पहुंच चुका है। अब विक्रम लैंडर चांद से महज 25 किलोमीटर की दुरी पर रह गया है। इससे पहले वह 113 किमी x 157 किमी की ऑर्बिट में था। दूसरे डिबूस्टिंग ऑपरेशन (रफ्तार कम करने की प्रक्रिया) ने ऑर्बिट को 25 किमी x 134 किमी तक कम कर दिया है। जिससे अब चांद की सतह से विक्रम लैंडर की दूरी 25 किलोमीटर ही शेष बची है। अब विक्रम लैंडर के 23 अगस्त को चांद पर सफल लैंडिंग का इंतजार रह गया है। लैंडिंग से पहले मॉड्यूल को आंतरिक जांच से गुजरना होगा और लैंडिंग स्थल पर सूर्योदय का इंतजार करना होगा।

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डीबूस्टिंग की पहली और दूसरी प्रक्रिया पूरी, जल्द भारत के लिए होगा गौरवान्वित पल

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चंद्रयान-3 के चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग के लिए लैंडर की रफ्तार को कम किया जाना जरूरी है। लैंडिंग मिशन के दौरान चंद्रयान-3 की यही सबसे बड़ी चुनौती है। इससे पहले 18 अगस्त को डीबूस्टिंग की पहली प्रक्रिया और रविवार को दूसरी प्रक्रिया हो चुकी है। अब अंतिम डीबूस्टिंग के बारे में इसरो का कहना है कि ऑपरेशन सफल रहा और विक्रम लैंडर ने ऑर्बिट को 25 किमी x 134 किमी कर दिया है। वहीं देश के मिशन चंद्रयान-3 ने अपनी चंद्रमा खोज में बड़ी छलांग लगाई है। अंतरिक्ष यान का विक्रम लैंडर मॉड्यूल वीरवार को प्रणोदन मॉड्यूल से सफलतापूर्वक अलग होने के बाद महत्वपूर्ण डीबूस्टिंग से गुजरकर थोड़ी निचली कक्षा में उतर चुका है। अब जल्द ही भारत के लिए गौरवान्वित पल होगा।

अब तक दक्षिणी ध्रुव पर नहीं पहुंचा कोई मिशन

इसरो के अनुसार लैंडर विक्रम मौजूदा समय में चांद के ऐसे ऑर्बिट में है, जहां चंद्रमा का निकटतम बिंदु 25 किलोमीटर और सबसे दूर 134 किलोमीटर है। इसी कक्षा से यह 23 अगस्त बुधवार को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास करेगा। मौजूदा समय तक दक्षिणी ध्रुव पर कोई मिशन नहीं पहुंचा है। इसका यही कारण है कि इसरो की ओर से चंद्रयान-3 को वहां भेजा गया है। इसरो का कहना है कि लैंडर विक्रम स्वचालित मोड में चंद्रमा की कक्षा में उतर रहा है। साथ ही यह निर्णय ले रहा है कि लैंडर को आगे की प्रक्रिया को किस प्रकार पूरा करना है। अगर चंद्रयान-3 चांद की सतह पर सफलतापूर्वक लैंडिंग कर लेगा तो इस सफलता को प्राप्त करने वाला दुनिया के चौथे देश की श्रेणी में शामिल हो जाएगा।

विक्रम साराभाई के नाम पर है चंद्रयान-3 के लैंडर का नाम

विक्रम साराभाई को व्यापक रूप से भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का जनक माना गया है, इसलिए मिशन चंद्रयान-3 के लैंडर का नाम विक्रम साराभाई (1919-1971) के नाम पर रखा गया है। अंतरिक्ष यान के प्रक्षेपण के लिए एक जीएसएलवी मार्क 3 (एलवीएम 3) हेवी लिफ्ट लॉच वाहन का उपयोग किया गया था। जिसे 5 अगस्त को चंद्र कक्षा में स्थापित किया गया था। तब से यह कक्षीय युद्धाभ्यास की एक श्रृंखला के माध्यम से चांद की सतह के करीब उतारा गया है।

चंद्रयान-3 की लॉचिंग को बीते एक माह छह दिन

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान (इसरो) की ओर से मिशन चंद्रयान-3 को 14 जुलाई को लॉच किया था। जिसे एक महीना छह दिन हो चुके हैं। चंद्रयान-3 को आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन ने अंतरिक्ष केंद्र की ओर से लॉच किया गया था। चंद्रयान-3 घट मेंसे एक है। चंद्रयान-3 घटकों में विभिन्न इलेक्ट्रोनिक और मैकेनिकल उपलब्धियां  शामिल है। जिसका उद्देश्य सुरक्षित और जैसे नेविगेशन सेंसर,प्रणोदन प्रणाली, मार्गदर्शन, नियंत्रण और नरम लैंडिंग सुनिश्चत करना है। भारत के तीसरे चंद्रमा मिशन चंद्रयान-3 के घोषित उद्देश्य सुरक्षित और सफल लैंडिंग, चंद्रमा की सतह पर रोवर का घूमना और यथास्थान वैज्ञानिक प्रयोग है।

जनवरी 2020 में शुरू हुआ था चंद्रयान-3 का विकास चरण

चंद्रयान-3 का विकास चरण जनवरी 2020 में शुरू हुआ और लॉच की योजना 2021 में तय की गई थी। इसके बाद कोविड-19 महामारी के कारण मिशन की प्रगति में देरी हुई। चंद्रयान-3 की स्वीकृत लागत 250 करोड़ रुपये (प्रक्षेपण वाहन लागत को छोड़कर) है। चंद्रयान-2 मिशन को 2019 में चांद की सतह पर लैडिंग के दौरान कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। ऐसे में स्थितियों को देखते हुए इसरो की ओर से चंद्रयान-3 का प्रयास किया गया है। इस मुख्य मिशन को उद्देश्यों के साथ सफल माना जा रहा है।

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अब तक पांच से अधिक प्रक्रियाओं से गुजर चुका है चंद्रयान-3

इसरो का चंद्रयान-3 मिशन अपने अंतिम चरण में है। अब जल्द ही भारतीय अंतरिक्ष यान चंद्रमा पर सॉफ्ट-लैंडिंग का प्रयास करेगा। इसरो के अनुसार चंद्रयान-3 जल्द चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। चंद्रयान-3 का लैंडर मॉड्यूल, जिसमें विक्रम लैंडर और रोवर प्रज्ञान शामिल हैं, वह चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा, जहां गति 6000 किमी/घंटा से घटकर शून्य हो जाएगी। चंद्रयान-3 अब तक पांच से अधिक प्रक्रियाओं से गुजर चुका है। चंद्रयान-3 का अंतिम डीबूस्टिंग ऑपरेशन भी सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है। अब पावर्ड डिसेंट 23 अगस्त को शुरू होने की उम्मीद है।