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मंत्री विज के बयान पर अनिरुद्धाचार्य का तीखा पलटवार, बोले “संस्कृति का नाश नेताओं ने किया”

बड़ी ख़बर हरियाणा

➤कथावाचकों पर अनिल विज के बयान से मचा विवाद
➤देवकीनंदन ठाकुर ने विज पर बोला सीधा हमला
➤संस्कृति और ईमानदारी पर उठाए गंभीर सवाल

हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज द्वारा कथावाचकों पर दिए गए बयान ने धार्मिक और सामाजिक हलकों में नया विवाद खड़ा कर दिया है। अनिरुद्धाचार्य से जुड़ी बयानबाजी के बाद अब प्रसिद्ध कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने मंत्री विज पर तीखा पलटवार किया है।

देवकीनंदन ने कहा कि उन्हें यह समझ नहीं आता कि कथावाचकों को लेकर मंत्री ने इस तरह की टिप्पणी क्यों की। उन्होंने आरोप लगाया कि “कुर्सियों पर बैठे लोगों” ने ही देश की संस्कृति का सबसे ज्यादा नुकसान किया है। उनका कहना था, “अगर आपने ईमानदारी से काम किया होता, तो हम आपकी बात मानते।”

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1. विवाद की शुरुआत – विज का बयान

कुछ दिन पहले हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने मीडिया से बातचीत में कथावाचकों पर टिप्पणी की थी। उनका कहना था कि धार्मिक कथावाचकों को अपने मंचों का इस्तेमाल केवल आध्यात्मिक संदेश देने के लिए करना चाहिए, न कि राजनीति या व्यक्तिगत प्रचार के लिए।
विज ने उदाहरण देते हुए कहा था—

“आज कुछ कथावाचक धार्मिक भावनाओं का इस्तेमाल अपने निजी और राजनीतिक फायदे के लिए कर रहे हैं। यह सही नहीं है। धर्म को राजनीति से दूर रखना चाहिए।”

यह बयान उस समय आया, जब सोशल मीडिया पर अनिरुद्धाचार्य जी महाराज के एक कार्यक्रम की क्लिप वायरल हो रही थी, जिसमें बड़ी संख्या में भीड़ उमड़ी थी और मंच पर कई राजनीतिक चेहरे मौजूद थे।


2. अनिरुद्धाचार्य प्रकरण

  • अनिरुद्धाचार्य जी महाराज देशभर में अपने धार्मिक प्रवचनों के लिए प्रसिद्ध हैं।
  • हरियाणा के एक कार्यक्रम में उनके मंच पर स्थानीय नेताओं की मौजूदगी और भाषणों ने राजनीतिक बहस छेड़ दी।
  • कुछ लोगों का आरोप था कि धार्मिक मंच का इस्तेमाल चुनावी लाभ के लिए किया जा रहा है
  • इसी पृष्ठभूमि में विज का बयान आया, जिसे कई लोग अनिरुद्धाचार्य और बाकी कथावाचकों पर सीधा निशाना मान बैठे।

3. देवकीनंदन ठाकुर का पलटवार

विज के बयान के बाद कथावाचकों के समर्थकों और धार्मिक संगठनों में नाराज़गी फैल गई।
प्रसिद्ध कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने एक धार्मिक मंच से जवाब देते हुए कहा—

“हमारे साधु-संतों ने तो संस्कृति को बचाया है, लेकिन कुर्सियों पर बैठे लोगों ने इसका नाश किया है। अगर नेताओं ने ईमानदारी से काम किया होता, धर्म और समाज के लिए कुछ किया होता, तो हम मानते। लेकिन सच्चाई यह है कि आज सबसे ज्यादा गुनाह उन लोगों ने किए हैं जो खुद को जनता का सेवक कहते हैं।”

उन्होंने विज का नाम लिए बिना इशारा करते हुए कहा कि नेता जब धर्म का इस्तेमाल वोट बैंक के लिए करते हैं, तब कोई सवाल नहीं उठाता, लेकिन साधु-संत कुछ कह दें तो उन्हें निशाना बनाया जाता है।


4. राजनीतिक और सामाजिक असर

  • राजनीतिक तौर पर यह विवाद हरियाणा में चुनावी मौसम से पहले संवेदनशील हो गया है। विज बीजेपी के वरिष्ठ नेता हैं, और कथावाचकों का प्रभाव ग्रामीण और धार्मिक वोटरों पर काफी गहरा माना जाता है।
  • सामाजिक स्तर पर, यह बहस धर्म और राजनीति के रिश्ते को लेकर नई चर्चा छेड़ रही है—क्या धार्मिक मंचों को पूरी तरह राजनीति से अलग रखा जा सकता है?
  • कई लोग सोशल मीडिया पर देवकीनंदन का समर्थन कर रहे हैं, वहीं कुछ विज के बयान को सही ठहरा रहे हैं।

5. आगे की संभावनाएं

अब देखना होगा कि विज इस बयानबाज़ी के जवाब में क्या कहते हैं। अगर यह विवाद और बढ़ा, तो यह न केवल मीडिया हेडलाइंस में रहेगा, बल्कि हरियाणा के चुनावी समीकरणों को भी प्रभावित कर सकता है।