➤ हरियाणा के 5 जिलों में होगी अब तक की सबसे बड़ी आपदा प्रबंधन मॉक ड्रिल
➤ 1 अगस्त को ‘सुरक्षा चक्र’ के नाम से चलेगा भूकंप और रिसाव का रियल टाइम अभ्यास
➤ NDRF, सेना, सिविल डिफेंस, पुलिस समेत 20 से ज्यादा एजेंसियां होंगी शामिल
हरियाणा के पांच जिलों में 1 अगस्त को होगी ‘सुरक्षा चक्र’ मॉक ड्रिल, भूकंप और औद्योगिक रिसाव से निपटने की तैयारी का होगा फील्ड लेवल परीक्षण
हरियाणा के गुरुग्राम, फरीदाबाद, नूंह, पलवल और रेवाड़ी जिलों में 1 अगस्त को ‘सुरक्षा चक्र‘ नाम से एक अभूतपूर्व मॉक ड्रिल का आयोजन किया जाएगा। इस अभ्यास का उद्देश्य यह परखना है कि अगर राज्य में अचानक किसी बड़ी आपदा—जैसे भूकंप, औद्योगिक गैस रिसाव या रासायनिक हादसा—होता है, तो केंद्र और राज्य की टीमें कितनी तेजी और कुशलता से प्रतिक्रिया दे सकती हैं। इसमें राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA), सेना, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF), सिविल डिफेंस, पुलिस, मौसम विभाग (IMD), राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (NCS) और कई गैर-सरकारी संगठन भाग लेंगे।
यह अभ्यास केवल कागजी योजना नहीं है, बल्कि इसे ग्राउंड लेवल पर रियल टाइम में किया जाएगा, जिसमें सायरन, रेस्क्यू टीमें, प्राथमिक उपचार शिविर, राहत सामग्री वितरण, घायलों की खोज और निकासी जैसे सभी मानकों का लाइव प्रदर्शन किया जाएगा। इस दौरान आम नागरिकों से अपेक्षा की जा रही है कि वे शांति बनाए रखें और सरकारी दिशा-निर्देशों का पालन करें, ताकि प्रशिक्षण प्रक्रिया बाधित न हो।

ड्रिल से पहले तीन चरणों में चलेगा पूर्वाभ्यास
इस बड़े अभ्यास को सफल बनाने के लिए इसे तीन प्रमुख चरणों में बांटा गया है।
29 जुलाई को दिल्ली स्थित मानेकशॉ सेंटर में NDMA और सभी एजेंसियों के वरिष्ठ अधिकारियों की रणनीतिक बैठक होगी, जहां जिम्मेदारियां तय होंगी और समन्वय प्रक्रिया अंतिम रूप में लाई जाएगी।
30 जुलाई को टेबल टॉप एक्सरसाइज के जरिए सभी टीमें कंप्यूटर सिमुलेशन में भाग लेंगी, जहां एजेंसियों की योजना और तैयारी की आभासी समीक्षा होगी।
1 अगस्त को ग्राउंड लेवल पर मॉक ड्रिल चलेगी, जिसमें जमीन पर फील्ड एक्सन होगा—जैसे भूकंप के तुरंत बाद सायरन बजना, एंबुलेंस पहुंचना, घायलों को निकालना, राहत कैंप स्थापित करना, नागरिकों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाना आदि।
हरियाणा के इन जिलों को क्यों चुना गया?
एनडीएमए ने गुरुग्राम, फरीदाबाद, नूंह, पलवल और रेवाड़ी को इसलिए चुना क्योंकि पिछले एक महीने में इन जिलों में लगातार भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। जून और जुलाई में कम से कम छह बार भूकंप की गतिविधियां दर्ज की गईं, जिनकी तीव्रता 2.5 से 4.4 के बीच रही। वैज्ञानिकों के अनुसार, हरियाणा के महेंद्रगढ़ से लेकर उत्तराखंड तक एक सक्रिय फॉल्ट लाइन मौजूद है, जो प्लेट मूवमेंट की स्थिति में भूकंप की प्रमुख वजह बनती है।
इन सभी भूकंपों का केंद्र झज्जर, महेंद्रगढ़, रोहतक और फरीदाबाद जैसे क्षेत्र रहे हैं, जो अब मॉक ड्रिल के फोकस में हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में इस क्षेत्र में अधिक तीव्रता वाले झटके महसूस हो सकते हैं। ऐसे में सरकार किसी भी प्रकार की लापरवाही से पहले तैयार रहना चाहती है।
कब-कब आया भूकंप और किस इलाके में:
27 जून: महेंद्रगढ़ – 2.8 तीव्रता, 5 किमी गहराई
10 जुलाई: झज्जर – 4.4 तीव्रता, असर गुरुग्राम, रोहतक, पानीपत तक
11 जुलाई: झज्जर – 3.7 तीव्रता, महसूस हुआ जींद, सोनीपत, रेवाड़ी में
16 जुलाई: रोहतक – 3.6 तीव्रता, रात 12:46 बजे
17 जुलाई: झज्जर – 2.5 तीव्रता, दोपहर 12:34 बजे
22 जुलाई: फरीदाबाद – 3.2 तीव्रता, सुबह 6 बजे झटका
भूकंप बार-बार क्यों आ रहे हैं?
भूकंप विज्ञान केंद्र (NCS) के अनुसार, हरियाणा के नीचे जो टेक्टोनिक फॉल्ट लाइन फैली हुई है, उसमें प्लेट मूवमेंट होते ही आपस की टकराहट से कंपन पैदा होता है, जिससे भूकंप आता है। यही कारण है कि दिल्ली-एनसीआर, विशेष रूप से झज्जर, रोहतक, महेंद्रगढ़, सोनीपत और गुरुग्राम, सिस्मिक जोन-4 में आते हैं, जिसे उच्च जोखिम क्षेत्र माना जाता है।
मॉक ड्रिल का उद्देश्य केवल सरकार की तैयारी ही नहीं बल्कि आम जनता को भी यह दिखाना है कि आपदा के समय उन्हें क्या करना चाहिए, किस तरह की सावधानियां जरूरी हैं और सरकारी मशीनरी से कैसे समन्वय स्थापित करना है।