➤ 45 पूर्व IAS अधिकारियों ने सीएम नायब सैनी को लिखा कड़ा पत्र
➤ विकास बराला की AG नियुक्ति पर गंभीर सवाल, ‘बेटी बचाओ’ अभियान से जोड़ा मुद्दा
➤ मामले को सुप्रीम कोर्ट ले जाने की चेतावनी, हरियाणा की अस्मिता पर बहस तेज
देश के 45 सेवानिवृत्त भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के अधिकारियों ने हरियाणा सरकार के महाधिवक्ता (Advocate General – AG) पद पर विकास बराला की नियुक्ति पर गहरा असंतोष व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को एक कड़ा पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने इस नियुक्ति को तत्काल रद्द करने का अनुरोध किया है, क्योंकि उनका मानना है कि यह फैसला हरियाणा की अस्मिता और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महत्वाकांक्षी अभियान ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ के साथ खुला विश्वासघात है।
पत्र में स्पष्ट रूप से वर्णिका कुंडू पीछा मामले का उल्लेख किया गया है, जिसमें सेवानिवृत्त IAS अधिकारी वी.एस. कुंडू की बेटी वर्णिका कुंडू का पीछा करने और उन्हें परेशान करने के आपराधिक आरोप विकास बराला पर लगे थे। अधिकारियों ने सवाल उठाया है कि ऐसे व्यक्ति को, जिस पर गंभीर आपराधिक आरोप लगे हों, उसे राज्य के सर्वोच्च कानूनी पद पर कैसे नियुक्त किया जा सकता है। उन्होंने जोर दिया कि यह नियुक्ति सार्वजनिक विश्वास को कमजोर करती है और संवेदनशील पदों पर ऐसे व्यक्तियों की नियुक्ति को बढ़ावा देती है जो न्यायिक प्रक्रिया और नैतिकता के लिए अयोग्य हैं।
आईएएस अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को संबोधित करते हुए कहा कि किसी आपराधिक मामले में आरोपी व्यक्ति को संवैधानिक पद पर नियुक्त करना न केवल नैतिक रूप से गलत है, बल्कि यह कानूनी सिद्धांतों का भी उल्लंघन है। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि हरियाणा सरकार की ओर से एक आरोपी व्यक्ति को अतिरिक्त महाधिवक्ता के रूप में नियुक्त करना जनता की सहज प्रक्रिया का उल्लंघन है और यह राज्य की न्यायिक प्रणाली पर भी प्रश्नचिह्न लगाता है। यह मामला 2017 में सामने आया था और तब से यह हरियाणा में एक प्रमुख राजनीतिक और सामाजिक मुद्दा बना हुआ है।
पत्र में आगे कहा गया है कि यह मामला अभी भी न्यायिक प्रक्रिया के अधीन है और ऐसे में विकास बराला की नियुक्ति से न्याय की निष्पक्षता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि यदि यह नियुक्ति रद्द नहीं की गई, तो वे इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में ले जाने पर विचार कर सकते हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि न्याय की जीत हो और कानून का शासन बना रहे। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि यह विवाद लगभग सात साल पुराना है, और इतनी लंबी अवधि के बाद भी न्याय की उम्मीद बाकी है।
विकास बराला राज्यसभा सदस्य सुभाष बराला के बेटे हैं, और विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि उनकी नियुक्ति में राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल किया गया है। हालांकि, हरियाणा सरकार की ओर से इस मामले पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन विपक्ष इस मुद्दे को लगातार उठा रहा है और सरकार पर नैतिकता के आधार पर दबाव बना रहा है। इस घटना ने एक बार फिर राजनीति में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले व्यक्तियों की भूमिका और उनकी सरकारी नियुक्तियों पर बहस छेड़ दी है।