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अवैध खनन कांड: ACB ने तत्‍कालीन डीआरओ बिजेंद्र राणा को किया गिरफ्तार

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नूंह में अवैध खनन केस: एसीबी ने डीआरओ बिजेंद्र राणा को किया अरेस्ट
राजस्थान सीमा से सटे दो रास्ते चौड़े करने में गड़बड़ी का आरोप
तीन आरोपी अभी भी फरार, जिन पर 50-50 हजार का इनाम घोषित



हरियाणा के नूंह जिले में अवैध खनन से जुड़े एक बड़े घोटाले में एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने राजस्व विभाग के तत्कालीन डीआरओ बिजेंद्र राणा को गिरफ्तार कर लिया है। यह इस मामले में चौथी अधिकारी स्तर की गिरफ्तारी है। बिजेंद्र राणा पर आरोप है कि उन्होंने 13 फरवरी 2024 को फिरोजपुर झिरका के गांव बसई मेव की चकबंदी योजना में दो ग्रामीण रास्तों को 4 करम (22 फुट) से बढ़ाकर 6 करम (33 फुट) कर दिया, जबकि इस पर स्थानीय लोगों ने गंभीर आपत्तियां दर्ज करवाई थीं।

गांव के लोगों का आरोप था कि ये रास्ते राजस्थान सीमा से सटे क्षेत्रों में चल रहे वैध-अवैध खनन माफिया को फायदा पहुंचाने के लिए बनाए जा रहे थे। तत्कालीन सरपंच मोहम्मद हनीफ उर्फ हन्ना और अन्य ग्रामीणों ने इस योजना के खिलाफ लिखित आपत्तियां दर्ज करवाईं, लेकिन बंदोबस्त अधिकारी के तौर पर कार्यरत बिजेंद्र राणा ने इन आपत्तियों को नजरअंदाज कर दिया और प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।

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एसीबी के डीएसपी गौरव फौगाट के मुताबिक, गिरफ्तारी जांच के दौरान सामने आए ठोस साक्ष्यों के आधार पर की गई है। फिलहाल राणा राजस्व विभाग में कार्यरत हैं और उन्हें एक दिन के पुलिस रिमांड पर लिया गया है, ताकि पूरे षड्यंत्र की गहराई से जांच की जा सके।

इससे पहले चकबंदी विभाग के तीन रिटायर्ड कर्मचारियों सहित पांच लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। इन पांचों में दो निजी व्यक्ति—शेर मोहम्मद और मोहम्मद लतीफ भी शामिल हैं। वहीं, मामले में तीन आरोपी—बर्खास्त सरपंच हनीफ, शाबिर और शौकत—फरार हैं, जिन पर 50-50 हजार रुपये का इनाम भी घोषित किया जा चुका है।

यह पूरा मामला दर्शाता है कि किस तरह से सरकारी तंत्र और खनन माफिया की मिलीभगत से राज्य की सीमाओं पर अवैध खनन का रैकेट फल-फूल रहा है, और किस तरह से चकबंदी योजना जैसे संवेदनशील दस्तावेजों का दुरुपयोग कर अवैध रास्तों को वैधता दी जा रही है।

एसीबी की जांच से यह भी संकेत मिल रहे हैं कि आगे आने वाले दिनों में और भी अधिकारी इस जाल में फंस सकते हैं।