- हरियाणा के सिरसा में 24 वर्षीय महिला रज्जो ने एक साथ दो लड़के और दो लड़कियों को जन्म दिया, चारों बच्चे और मां स्वस्थ।
- सिजेरियन डिलीवरी के दौरान नहीं रुकी ब्लीडिंग, डॉक्टरों और स्टाफ के लिए केस रहा बेहद चुनौतीपूर्ण।
- परिवार में खुशी का माहौल, सास-ननद-दादी सहित पूरा घर बच्चों की देखभाल में जुटा।
Sirsa Quadruplets Birth: हरियाणा के सिरसा जिले के टीटू खेड़ा गांव की रहने वाली 24 वर्षीय रज्जो देवी ने एक बार में चार बच्चों को जन्म देकर पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गई हैं। खास बात यह है कि यह उनकी पहली डिलीवरी थी और वह दो बेटे और दो बेटियों की मां बनी हैं। डिलीवरी 14 मई को सिरसा के सिविल अस्पताल में हुई, जिसमें डॉक्टरों को भी भारी चुनौती का सामना करना पड़ा।
रज्जो की डिलीवरी सिजेरियन ऑपरेशन से हुई और इस दौरान उनकी ब्लीडिंग नहीं रुक रही थी, जिससे ऑपरेशन थिएटर में मौजूद स्टाफ की सांसें थम गई थीं। गायनोकॉलोजिस्ट डॉ. राहुल गर्ग के मुताबिक, यह केस मेडिकल हिस्ट्री में बहुत ही दुर्लभ और जोखिमपूर्ण माना जाता है, क्योंकि चार बच्चों के साथ एक मां की जान पर भारी खतरा हो सकता है।
तीन नहीं, चार थे बच्चे; अल्ट्रासाउंड से चला पता
रज्जो के पति सोनू, जो किसान और मजदूरी का काम करते हैं, ने बताया कि तीसरे महीने अल्ट्रासाउंड में डॉक्टरों ने बताया था कि तीन बच्चे हैं, लेकिन जब दोबारा प्राइवेट अस्पताल में जांच करवाई तो बताया गया कि गर्भ में चार शिशु हैं। इसके बाद पूरे परिवार ने रज्जो की देखभाल को प्राथमिकता दी।
परिवार का साथ और हिम्मत बनी सहारा
रज्जो ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान उनके पति सोनू ने हर छोटी जरूरत का ध्यान रखा। सास, दादी और मां ने भी उन्हें बच्चों की चिंता से मुक्त रखा और कहा – “तू बस अपना ध्यान रख, बच्चे हम संभाल लेंगे।” इस सहयोग और प्रेम ने उन्हें मानसिक रूप से मजबूत बनाए रखा।
20 दिन बाद बच्चों को अस्पताल से छुट्टी
डिलीवरी के बाद रज्जो को तीन दिन बाद अस्पताल से छुट्टी मिल गई थी, लेकिन बच्चों को 20 दिन तक नर्सरी में रखना पड़ा। इस दौरान परिवार के कुछ सदस्य अस्पताल में बच्चों के साथ और कुछ घर पर रज्जो की देखभाल में लगे रहे। बाद में टांकों में दर्द के कारण रज्जो को फिर से अस्पताल में भर्ती कराया गया और 4 जून को चारों बच्चों सहित उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया।
हर बच्चा अलग स्वभाव का
सोनू ने बताया कि चारों बच्चों की एक्टिविटी अलग-अलग है। किसी को ज्यादा भूख लगती है, कोई जल्दी जाग जाता है, तो कोई देर तक सोता है। गर्मी को देखते हुए घर में कूलर की विशेष व्यवस्था की गई है ताकि बच्चों को आराम मिल सके।
डॉक्टर बोले: “जानलेवा हो सकता था केस”
डॉ. राहुल गर्ग ने कहा कि “एक मां पर चार बच्चों का दबाव सामान्य से चार गुना ज्यादा होता है। ऐसी डिलीवरी अक्सर 32 हफ्तों में ही हो जाती है, जबकि सामान्य डिलीवरी 40 सप्ताह में होती है। ऐसी स्थिति में या तो मां की जान खतरे में होती है या बच्चों की, लेकिन भगवान की कृपा रही कि सब कुछ सही रहा।”