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New Delhi: मोदी कैबिनेट ने दी वन नेशन, वन इलेक्शन को मंजूरी, संसद में पेश होगा बिल

दिल्ली देश

New Delhi मोदी कैबिनेट ने वन नेशन, वन इलेक्शन (एक देश, एक चुनाव) को मंजूरी दे दी है। सूत्रों के अनुसार, यह बिल अगले हफ्ते संसद में पेश किया जाएगा। इस कानून का उद्देश्य लोकसभा, विधानसभा, नगर निकाय और पंचायत चुनावों को एक साथ कराना है।

वन नेशन, वन इलेक्शन पर विचार:

  1. समिति की सिफारिशें:
    • पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित समिति ने इसकी सिफारिश की थी।
    • समिति का मानना है कि इस प्रणाली से चुनावों में लगने वाले समय और संसाधनों की बचत होगी।
  2. सरकार का दृष्टिकोण:
    • सरकार के अनुसार, इस पहल से देश की GDP में 1-1.5% की वृद्धि होगी।
    • चुनाव प्रक्रिया को 100 दिनों के भीतर पूरा करने की योजना है।
  3. समर्थन के कारण:
    • बार-बार चुनाव कराने से समय और पैसा दोनों का अपव्यय होता है।
    • केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी इस कानून का समर्थन करते हुए इसे देश की प्रगति में सहायक बताया।

विपक्षी नेताओं की प्रतिक्रियाएं:

  • आम आदमी पार्टी:
    सांसद संजय सिंह ने इसे “अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक” बताते हुए विरोध जताया।
  • समाजवादी पार्टी:
    रामगोपाल यादव ने कहा कि वे बिल का मसौदा पढ़ने के बाद इस पर निर्णय लेंगे।
  • प्रियंका चतुर्वेदी:
    वायनाड सांसद ने कहा कि वे इस बिल का संसद में जोरदार विरोध करेंगी।

कोविंद की राय:

पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने कहा कि केंद्र सरकार को इस मुद्दे पर आम सहमति बनानी चाहिए। उन्होंने इसे “राष्ट्रहित में एक गेम-चेंजर” करार दिया।

कांग्रेस का रुख:

मोदी कैबिनेट द्वारा वन नेशन, वन इलेक्शन को मंजूरी दिए जाने पर कांग्रेस नेता प्रेमचंद्र मिश्रा ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इस फैसले को जल्दबाजी भरा बताते हुए कहा कि इतने महत्वपूर्ण मुद्दे पर संसद में व्यापक चर्चा होनी चाहिए। कांग्रेस ने इस बिल को लेकर केंद्र सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा है कि यह लोकतंत्र के मूलभूत ढांचे पर प्रभाव डाल सकता है। पार्टी का मानना है कि इससे राज्यों के अधिकार प्रभावित हो सकते हैं और जनता का प्रतिनिधित्व कमज़ोर होगा।

प्रेमचंद्र मिश्रा के मुख्य बिंदु:

  1. कैबिनेट के फैसले पर सवाल:
    • मिश्रा ने कहा, “कैबिनेट उनकी है, जो मन में आए पास कर लें, लेकिन इस तरह के संवेदनशील विषय पर सभी पक्षों की राय जरूरी है।”
  2. वन नेशन, वन इलेक्शन की व्यावहारिकता पर शंका:
    • उन्होंने कहा कि आम जनता के लिए यह समझना मुश्किल है कि एक देश, एक चुनाव कैसे संभव हो सकता है।
    • इसे पूरी तरह असंभव करार देते हुए उन्होंने इस विषय पर गहन अध्ययन और चर्चा की आवश्यकता जताई।

राजद का रुख:

राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के मुख्य प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने वन नेशन, वन इलेक्शन को कैबिनेट से मंजूरी मिलने पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने केंद्र सरकार की मंशा और इस पहल की व्यावहारिकता पर सवाल खड़े किए। राजद का मानना है कि यह कदम केंद्र सरकार द्वारा राज्यों की स्वायत्तता को कमजोर करने और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को बाधित करने का प्रयास हो सकता है।

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