हरियाणा सरकार के चर्चित मंत्री अनिल विज एक बार फिर अपनी ही सरकार और मुख्यमंत्री नायब सैनी से नाराज दिखाई दे रहे हैं। उनके लगातार नाराजगी भरे बयान और विवादों ने सरकार के भीतर एक नया संकट उत्पन्न कर दिया है। विज का कहना है कि विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी के ही कुछ स्थानीय नेताओं और वर्करों ने उनके खिलाफ जाकर निर्दलीय उम्मीदवार चित्रा सरवारा का समर्थन किया था, और वह इन नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन पार्टी ने अब तक इन्हें निष्कासित नहीं किया।
मुख्यमंत्री के नजदीकी नेताओं के खिलाफ गुस्सा
अनिल विज ने सोशल मीडिया पर मुख्यमंत्री के नजदीकी नेताओं की तस्वीरें भी शेयर कीं, जिनमें वे बीजेपी के नेता होते हुए चित्रा सरवारा के समर्थन में खड़े दिख रहे थे। विज ने इन नेताओं को “गद्दार” करार देते हुए आरोप लगाया कि इन लोगों ने उनके खिलाफ साजिश की। इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी की ओर से इन नेताओं के खिलाफ अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया।
चुनाव प्रचार के दौरान अफसरों से मिलीभगत का आरोप
विज ने यह भी आरोप लगाया कि विधानसभा चुनाव के दौरान कुछ स्थानीय सरकारी अफसरों ने उनके खिलाफ साजिश की थी, ताकि उनके चुनाव प्रचार में किसी तरह की हिंसा हो या उन्हें नुकसान पहुंचे। वह इन अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे थे, लेकिन केवल अंबाला के डीसी का ट्रांसफर ही किया गया है, जो उन्हें संतुष्ट नहीं कर पाया है।
सरकारी आदेशों की अवहेलना पर गुस्सा
अनिल विज अपने द्वारा दिए गए आदेशों के पालन न होने से भी परेशान हैं। उनका कहना है कि वे अपने जनता दरबारों और ग्रीवेंस कमेटी की बैठकों में कई अफसरों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश देते हैं, लेकिन इन आदेशों को सरकार और प्रशासन ने अमल में नहीं लाया। विज का आरोप है कि सरकार उनके आदेशों को नजरअंदाज कर रही है।
100 दिन में काम पूरा न होने से नाराज
विज का कहना है कि 100 दिन के बावजूद उनकी योजनाओं और कार्यों को सरकार ने पूरा नहीं किया है। उन्होंने मुख्यमंत्री नायब सैनी को नसीहत दी कि वे “उड़नखटोला” (हेलीकॉप्टर) से नीचे उतरकर जनता के हक में काम करें, क्योंकि उनके अनुसार सरकार के काम जनता तक नहीं पहुंच रहे।
विज का मंत्री पद से इस्तीफा?
अनिल विज ने स्पष्ट किया कि अगर सरकार उन्हें मंत्री पद से हटा भी देती है तो उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। उनके अनुसार, विधायक का पद जनता ने उन्हें दिया है और वह इस पद को किसी भी हाल में नहीं खो सकते। इसके अलावा, यदि सरकार उनकी दी हुई गाड़ी भी वापस ले लेती है, तो उनके कार्यकर्ता पैसे इकट्ठा करके उन्हें नई गाड़ी दिलवा देंगे। विज ने यह भी कहा कि न तो उन्होंने सरकारी मकान लिया है और न ही अन्य कोई सरकारी सुविधा, इसलिए उन्हें कुछ भी खोने का डर नहीं है।
सरकार का रुख
हरियाणा सरकार के मंत्री इस पूरे विवाद पर अधिकतर नपे-तुले बयान दे रहे हैं। कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा ने कहा, “अनिल विज हमारे सीनियर मंत्री और विधायक हैं, वे पार्टी के अच्छे नेता हैं। उनका अपना स्वभाव है और वे एक सम्मानित नेता हैं। हालांकि, उनकी नाराजगी कोई बड़ा मुद्दा नहीं है और सरकार में कोई मतभेद नहीं है। सभी अधिकारी अपना काम कर रहे हैं।”
विज और खट्टर के बीच टकराव का इतिहास
यह पहला अवसर नहीं है जब अनिल विज और मुख्यमंत्री के बीच टकराव हुआ हो। इससे पहले भी विज का पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से टकराव हो चुका था, जब उनके आदेश सीएमओ द्वारा रोक दिए गए थे। अब ऐसा ही माहौल नायब सैनी के कार्यकाल के दौरान भी देखा जा रहा है, जहां विज के आदेशों को टाला या रोका जा रहा है, जिससे उनकी नाराजगी और बढ़ रही है।