Cinema के किस्से : बॉलीवुड में अपने दम पर धाक जमाने वाले एक्टर अनुपम खेर आज किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं। उन्होंने कई तरह के रोल कर इंडस्ट्री में अपनी इमेज बनाई है। पिता से लेकर दादा और विलेन तक के किरदार में अनुपम खेर ने अपनी धाक जमाई है। बॉलीवुड के दिग्गज और वर्सटाइल एक्टर अनुपम खेर ने फिल्म इंडस्ट्री में लंबा सफर तय किया है।
7 मार्च 1955 को शिमला में जन्में अनुपम खेर एक कश्मीरी पंडित हैं। उनके पिता पुष्कर नाथ खेर थे जो हिमाचल प्रदेश में फॉरेस्ट डिपार्टमेंट में क्लर्क थे और उनकी मां दुलारी खेर एक हाउसवाइफ रही हैं। अनुपम खेर ने पंजाब यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया लेकिन थिएटर के लिए उन्होंने बीच में पढ़ाई छोड़ दी थी। उन्होंने बहुत निचले स्तर से शुरुआत की लेकिन आज 500 से ज्यादा फिल्मों में काम कर चुके हैं। साल 1978 में अनुपम खेर ने दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से ग्रेजुएशन किया है। इसी थिएटर में उन्होंने कई प्लेज भी किए हैं। अनुपम खेर ने लखनऊ के राज बिसारिया के भारतेंदु नट्या एकेडमी से ड्रामा सीखा था। मुंबई आने के बाद अनुपम खेर का सफर संघर्षों से भरा रहा।
सालों के संघर्ष के बाद महेश भट्ट ने 29 साल के अनुपम खेर को 1984 की फिल्म सारांश में 65 साल के बुजुर्ग व्यक्ति का रोल दिया था। अपनी डेब्यू फिल्म के लिए अनुपम ने 6 महीने पहले ही बुजुर्ग व्यक्ति की तरह चलना और बोलना शुरु कर दिया। शूटिंग शुरु होने ही वाली थी कि 10 दिन पहले उन्हें एक दोस्त के जरिए पता चला कि राजश्री प्रोडक्शन वालों ने उन्हें फिल्म से निकाल दिया है। उनकी जगह अब संजीव कुमार फिल्म में रहेंगे। ये सुनते ही अनुपम ने सीधे महेश भट्ट को कॉल किया तो जवाब मिला कि वो किसी न्यूकमर को लेकर रिस्क नहीं ले सकते।
इस रिजेक्शन से वो बुरी तरह टूट गए और उन्होंने मुबंई छोड़कर जाने का मन बना लिया। जाने से पहले अनुपम खेर महेश भट्ट से मिलने पहुंचे। मिलते ही अनुपम ने महेश पर चिल्लाना शुरु कर दिया। उन्होंने कहा, ‘आप बहुत बड़े धोखेबाज है, आखिरी समय पर कोई किसी को फिल्म से कैसे निकाल सकता है। मैं एक ब्राहम्ण व्यक्ति हूं और आपको श्राप देता हूं।’ अनुपम खेर को गुस्से में देखकर महेश भट्ट इतने इम्प्रेस हुए कि उन्होंने संजीव कुमार की जगह उन्हें ही दोबारा कास्ट कर दिया। ऐसा इसलिए भी हुआ क्योंकि फिल्म सारांश में अनुपम को एक ऐसे व्यक्ति का रोल दिया जाना था जो विदेश में हुई बेटे की मौत के बाद कस्टम वालों से उसकी अंस्थिया लेने के लिए जद्दोजहद करता है।
फिल्म सारांश 25 मई 1984 को रिलीज हुई थी। फिल्म में बेहतरीन अभिनय की बदौलत अनुपम खेर को महज एक हफ्ते में ही 57 फिल्मों के ऑफर मिले। क्रिटिक्स को तारीफों के साथ-साथ फिल्म के लिए उन्हें फिल्मफेयर बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड भी मिला था। आगे उन्होंने तेजाब 1988, डैडी 1989, राम लखन 1989, निगांहें 1989 में जैसी सुपरहिट फिल्मों में काम कर खुद को 89-90 के दौर के बेहतरीन सपोर्टिंग एक्टर्स में शुमार कर लिया।
अनुपन खेर महज 19 साल के थे, जब उनके बाल झड़ने लगे। उनके पिता और चाचाजी ने भी कम उम्र में गंजेपन का सामना किया था। लेकिन हीरो बनने मुंबई पहुंचे अनुपम के लिए गिरते हुए बाल एक चिंता का विषय था। बाल इतनी तेजी से गिर रहे थे। कि अनुपम कंघी करने से डरने लगे, पंखे के सामने खड़े होने से बचते थे। कभी चार-चार दिनों तक रीठा लगाकर रखते थे तो कभी कोई नुस्खा अपनाया।
एक दिन किसी ने उनसे कह दिया कि ऊंट का पेशाब लगाने से बाल वापस आ जाते है। ऐसे में अनुपम एक प्लास्टिक की बोतल लेकर जुहू बीच पहुंच गए जहां ऊंट हुआ करते थे। वो घंटों ऊंट के पीछे बोतल लेकर खड़े रहते थे। आखिरकार वो ऊंट का पेशाब इकट्ठा करने में कामयाब रहे। उन्होंने कई दिनों तक पेशाब सिर पर लगाए रखी, लेकिन इससे कभी भी कोई फायदा नहीं मिला। इसके बाद अनुपम ने दोबारा बाल उगाने की उम्नीद छोड़ दी और गंजेपन के साथ ही फिल्मों में जगह बनाई। ये किस्सा अनुपम ने सालों पहले आप की अदालत में सुनाया था।
स्ट्रगल के दिनों में अनुपम खेर की मुलाकात दोबारा किरण खेर से हुई, जो फिल्मों में जगह बनाने के लिए संघर्ष कर रही थी। इसी बीच दोनों को नादिरा बब्बर के प्ले चांदपरी की चंपाबाई में साथ काम मिला। दोनों प्ले करने के लिए कोलकाता गए थे, जहां अनुपम ने किरण को शादी का प्रस्ताव दे दिया। किरण ने झट से हामी भर दी और दोनों ने तलाक लेकर 1985 में शादी कर ली। अनुपम ने किरण केर के बेटे सिंकदर को भी अपना लिया और उसे अपना सरनेम दिया। किरण और अनुपम की अपनी कोई संतान नहीं है।
साल 1991 की फिल्म दिल है कि मानता नहीं में अनुपम खेर को आमिर खान और पूजा भट्ट के साथ कास्ट किया गया था। एक दिन सेट पर आमिर खान ने अनुपम खेर को एक्टिंग करते देखा और सीधे जाकर महेश भट्ट को शिकायत कर दी। उन्होंने कहा कि अनुपम बहुत लाउड एक्टर है, सीन खराब हो जाएगा। हालांकि महेश भट्ट ने उनकी शिकायत पर कोई ध्यान नहीं दिया और अनुपम को मन मुताबिक काम करने दिया। इस फिल्म के लिए अनुपम को बेस्ट कॉमेडियन का नॉमिनेशन मिला था। फिल्म विजय के लिए अनुपम ने बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर, फिल्म डैडी के लिए बेस्ट एक्टर क्रिटिक और राम लखन के लिए बेस्ट कॉमेडियन का अवॉर्ड जीता था। अनुपम खेर को फिल्म डैडी और मैंने गांधी को नहीं मारा के लिए नेशनल फिल्म अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था।
बॉलीवुड के साथ-साथ अनुपम खेर ने हॉलीवुड में भी दम-खम दिखाया है। वे कई हॉलीवुड फिल्मों में नजर आ चुके है। जिनमें 2002 में आई बेंड इट लाइक बेकहम, इस फिल्म को गोल्डन ग्लोब नॉमिनी किया गया था। फिल्म लस्ट कॉशन 2007 में आई थी। इसके बाद 2013 में आई सिल्वर लाइनिंग्स प्लेबुक ऑस्कर विनर थी। 2018 में आई द बॉय विथ द टॉप नोट के लिए अनुपम को बीएएफटीए नॉमिनेशन मिला था।
अनुपम खेर ने कई बार अपने संघर्षों की कहानी बताई है। उन्होंने बताया कि जब वो मुंबई आए थे तब छोटे-मोटे काम करने पड़ते थे। समुद्र के किनारे या रेलवे स्टेशन पर भी कई रातें उन्होंने बिताई है। फिर भी अनुपम खेर हार नहीं माने और आज जो हैं सभी जानते हैं। अनुपम खेर आज बेहतरीन एक्टर के साथ-साथ प्रेजेंटेटर और होस्ट भी हैं। वहीं अनुपम खेर सोशल मीडिया पर भी काफी एक्टिव रहते हैं और अपने डेली रुटीन के बारे में फैंस को अपडेट देते हैं।