Congress' 15-year wait for Hisar seat end

Hisar सीट पर Congress का 15 साल का इंतजार खत्म, 6 कारणों से भारी पड़े JP, 48.58% मिले Vote

लोकसभा चुनाव हिसार

Hisar सीट पर कांग्रेस(Congress) का 15 साल का इंतजार(15-year wait) आखिरकार खत्म हो गया है। 2004 में कांग्रेस के जयप्रकाश उर्फ जेपी(JP) इस सीट से सांसद चुने गए और 2024 में फिर से उन्होंने कांग्रेस को इस सीट पर जीत दिलाई। उन्होंने कैबिनेट मंत्री और भाजपा उम्मीदवार रणजीत सिंह चौटाला को 63,381 वोटों(Vote) के अंतर से हराया।

बता दें कि जयप्रकाश को 48.58 प्रतिशत वोट मिले, जबकि रणजीत चौटाला को 43.19 प्रतिशत वोट मिले। भाजपा का वोट प्रतिशत 2019 की तुलना में 7.81 प्रतिशत घट गया। 2019 में भाजपा को 51.13 प्रतिशत वोट मिले थे, वहीं कांग्रेस को 15.63 प्रतिशत वोट मिले थे, जो 2024 में बढ़कर 48.58 प्रतिशत हो गए। रणजीत चौटाला की हार के दो मुख्य कारण रहे। पहले आदमपुर हलके में हार और दूसरे शहरों में वोटों का कम मार्जिन। जयप्रकाश ने 9 में से 6 हलकों में जीत हासिल की, जबकि रणजीत चौटाला सिर्फ 3 हलकों में ही जीत सके। जजपा की नैना चौटाला को 22,032 और इनेलो की सुनैना चौटाला को 22,303 वोट मिले। दोनों को मिलाकर 44,335 वोट मिले। वहीं जयप्रकाश को नारनौंद हलके से ही 44,794 वोटों की लीड मिल गई।

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जयप्रकाश को जिन हलकों से लीड मिलने की उम्मीद थी, वहां से उन्हें बड़ा मार्जिन मिला, जिसे रणजीत चौटाला कवर नहीं कर पाए और अंतः हार का सामना करना पड़ा। जयप्रकाश की जीत का मुख्य कारण जाट वोट बैंक का न बंटना है। इस बार सभी प्रमुख पार्टियों भाजपा, कांग्रेस, जजपा और इनेलो ने जाट उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था। हिसार में करीब 33 प्रतिशत जाट आबादी है और जाट वोट सीधे कांग्रेस को मिले। जाट बाहुल्य हलके उचाना और नारनौंद में जयप्रकाश को बंपर वोट मिले।

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लीड को जयप्रकाश ने नारनौंद हलके से ही पूरा

शहरों में कम मार्जिन भी जयप्रकाश की जीत का कारण रहा। शहरों में भाजपा प्रत्याशी रणजीत चौटाला को करीब 1 लाख वोटों से लीड मिलने की उम्मीद थी। मगर हिसार में रणजीत चौटाला को 36,605 और हांसी में 6,670 वोटों की लीड मिली। कुल मिलाकर यह आंकड़ा 43,275 वोटों का बना। इस लीड को जयप्रकाश ने नारनौंद हलके से ही पूरा कर लिया। इसके बाद उकलाना और उचाना ने बची कसर पूरी कर दी।

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भाजपा को था 15 हजार की लीड मिलने का अनुमान

आदमपुर और नलवा से हार भी भाजपा के लिए बड़ा झटका रही। भाजपा को उम्मीद थी कि कुलदीप बिश्नोई के गढ़ आदमपुर और डिप्टी स्पीकर रणबीर गंगवा के हलके नलवा से जीत मिलेगी। मगर आदमपुर में भाजपा 6,384 वोटों से हार गई और नलवा हलके में भाजपा 2,439 वोटों से पीछे रही। आदमपुर में भाजपा को 15,000 वोटों की लीड मिलने का अनुमान था। दो साल पहले हुए आदमपुर उपचुनाव में भव्य बिश्नोई करीब 15,000 से अधिक वोटों से जीते थे। मगर इस चुनाव में 2 साल पहले हुए चुनाव का मार्जिन घट गया और जयप्रकाश ने 6,384 वोटों की बढ़त बना ली।

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अन्य जातियों के वोट बैंक का भी मिला फायदा

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा की रैलियां भी जयप्रकाश की जीत में महत्वपूर्ण साबित हुईं। उन्होंने बालसमंद, बरवाला और नारनौंद में रैलियां कीं। बालसमंद और नारनौंद में जयप्रकाश को एकतरफा वोट मिले, जबकि बरवाला में जीत का मार्जिन घटकर 11,657 वोटों पर आ गया। बरवाला से जजपा विधायक जोगीराम सिहाग ने भाजपा को समर्थन दिया था, इसके बावजूद भाजपा बड़ी बढ़त नहीं ले पाई। जयप्रकाश को अन्य जातियों के वोट बैंक का भी फायदा मिला। सभी पार्टियों ने जाट उम्मीदवारों पर दांव लगाया, इसलिए चुनाव जातिगत आधार पर नहीं बंट पाया। अन्य जातियों ने भी जयप्रकाश को वोट दिए।

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किसान आंदोलन में रहे सक्रिय

रिजर्व सीट मानी जाने वाली उकलाना और बवानीखेड़ा विधानसभा में जयप्रकाश को 26,000 से अधिक वोटों की लीड मिली, जो जीत का सबसे बड़ा आधार बनी। किसान आंदोलन और अग्निवीर योजना भी जयप्रकाश की जीत के महत्वपूर्ण कारण रहे। किसान आंदोलन में सक्रिय रहे लोगों ने भाजपा के खिलाफ कांग्रेस को वोट दिया। इसके अलावा ग्रामीण इलाकों में अग्निवीर योजना को लेकर विरोध और बेरोजगारी का मुद्दा भी महत्वपूर्ण रहा। महिलाओं ने महंगाई के खिलाफ कांग्रेस को वोट दिया, जिससे जयप्रकाश की जीत हुई।