➤ सपा विधायक पूजा पाल को अखिलेश यादव ने पार्टी से बर्खास्त किया
➤ विधानसभा में अतीक अहमद के खिलाफ और सीएम योगी के पक्ष में बोला
➤ 2005 में पति राजू पाल की हत्या के बाद से अतीक के खिलाफ लड़ रही हैं
उत्तर प्रदेश की राजनीति में गुरुवार को बड़ा सियासी ड्रामा देखने को मिला। समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बागी तेवर दिखा रहीं विधायक पूजा पाल को तत्काल प्रभाव से पार्टी से बाहर कर दिया। यह फैसला उस बयान के बाद आया, जो पूजा पाल ने विधानसभा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की खुले मंच से तारीफ करते हुए दिया। उन्होंने माफिया अतीक अहमद के खात्मे को “व्यक्तिगत न्याय” करार दिया और कहा कि “मुख्यमंत्री ने जीरो टॉलरेंस नीति से अतीक अहमद जैसे अपराधियों को मिट्टी में मिला दिया, इसके लिए मैं उनका धन्यवाद करती हूं।”
पूजा पाल, दिवंगत बसपा विधायक राजू पाल की पत्नी हैं, जिनकी 2005 में दिनदहाड़े हत्या अतीक अहमद और उसके गिरोह ने कराई थी। पति की मौत के बाद से पूजा लगातार कानूनी लड़ाई और राजनीतिक मोर्चे पर अतीक के खिलाफ डटी रहीं। गुरुवार के भाषण के बाद सपा ने आदेश जारी करते हुए कहा कि पूजा लगातार पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त थीं और चेतावनी के बावजूद उनका रुख नहीं बदला, जिससे पार्टी की छवि को नुकसान हुआ। इस कारण उन्हें सभी पदों से हटाते हुए पार्टी कार्यक्रमों में शामिल होने पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
बर्खास्तगी के बाद पूजा पाल ने सफाई दी कि उन्होंने न तो सपा का नाम लिया और न ही अखिलेश यादव का, बल्कि केवल मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया, जो अपराध नहीं है। भाजपा में जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि फिलहाल ऐसा कोई विचार नहीं है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि पूजा पाल का बागी रुख नया नहीं है। 2024 में राज्यसभा चुनाव के दौरान भी उन्होंने भाजपा उम्मीदवार को वोट दिया था, लेकिन अखिलेश ने उन्हें कई मौके दिए। गुरुवार को विधानसभा में दिए बयान के आठ घंटे के भीतर ही उनकी पार्टी सदस्यता समाप्त कर दी गई।
पूजा का राजनीतिक सफर उतार-चढ़ाव और संघर्ष से भरा रहा है। 2007 और 2012 में वह बसपा से विधायक चुनी गईं, जबकि 2022 में सपा के टिकट पर जीतकर सदन में पहुंचीं। पति की हत्या के गवाह उमेश पाल की 2023 में हत्या के बाद अतीक अहमद पर हुई कड़ी कार्रवाई को उन्होंने अपना 20 साल पुराना न्याय बताया।